भुवनेश्वर: ओडिशा में आए चक्रवाती तूफान ‘दाना’ ने राज्य के पांच जिलों – बालासोर, भद्रक, केंद्रपाड़ा, जाजपुर और मयूरभंज – में भारी तबाही मचाई है। तूफान ने 2.72 लाख एकड़ भूमि पर खड़ी फसलों को बर्बाद कर दिया, जिससे हजारों किसानों को गंभीर नुकसान हुआ है। 12 ब्लॉकों की 880 पंचायतों के 4100 गांवों में नुकसान की खबरें आई हैं, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर गहरा असर पड़ा है।
मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर स्थिति का जायजा लिया और बताया कि तूफान भले ही थम गया हो, लेकिन तबाही के निशान छोड़ गया है। उन्होंने कहा कि राहत कार्यों को तेज कर दिया गया है, और प्रभावितों को हर संभव मदद मुहैया कराई जा रही है।
राहत और बचाव कार्य
तूफान के दौरान 6,210 आश्रय गृहों में करीब 8 लाख लोगों को सुरक्षित पहुंचाया गया था। वर्तमान में 30,000 से अधिक लोग अब भी 470 आश्रय स्थलों में रह रहे हैं। राहत एजेंसियों ने सड़क मार्ग को बहाल करने और गिरे हुए पेड़ों को हटाने का काम युद्ध स्तर पर पूरा किया है।
बिजली आपूर्ति में आए व्यवधान को दूर करने के लिए 7,000 से अधिक कर्मचारी काम पर लगाए गए हैं। 22.32 लाख उपभोक्ताओं की बिजली गुल होने के बाद प्रभावित क्षेत्रों में बिजली बहाल करने की कोशिशें जारी हैं।
नुकसान का आकलन और राहत योजना
मुख्यमंत्री ने बताया कि नुकसान का आकलन तेजी से किया जा रहा है। उन्होंने संबंधित जिलाधिकारियों को 2 नवंबर तक रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है, ताकि प्रभावित किसानों और लोगों को तत्काल मुआवजा दिया जा सके। अधिकतर लोग अपने घर लौट चुके हैं, लेकिन जिनके घरों को गंभीर नुकसान पहुंचा है, वे अब भी आश्रय गृहों में रहने को मजबूर हैं।
प्रभावित किसानों को राहत की उम्मीद
तूफान से फसलें नष्ट होने के बाद किसानों की हालत चिंताजनक है। राज्य सरकार ने तत्काल सहायता और मुआवजे का भरोसा दिलाया है। इसके अलावा, केंद्र सरकार से मदद की भी उम्मीद की जा रही है। किसानों की आजीविका को देखते हुए सरकार से कर्ज माफी और वित्तीय राहत पैकेज की भी मांग उठ रही है।
चक्रवात ‘दाना’ ने ओडिशा के कई जिलों में कहर बरपाया, जिससे कृषि और जनजीवन पर भारी असर पड़ा है। प्रशासन की तत्परता से बचाव कार्य तेजी से हुए हैं, लेकिन लंबी अवधि के पुनर्वास और राहत के लिए व्यापक प्रयासों की जरूरत है। तूफान की इस तबाही ने जलवायु परिवर्तन के गंभीर प्रभावों की ओर भी संकेत किया है, जिससे भविष्य में ऐसी आपदाओं से निपटने के लिए बेहतर तैयारी की जरूरत है।
चक्रवाती तूफान ‘दाना’ ने ओडिशा के कई जिलों में व्यापक तबाही मचाई, जिससे कृषि उत्पादन और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान हुआ है। फसलों के नष्ट होने और हजारों लोगों के विस्थापन ने इस प्राकृतिक आपदा की गंभीरता को उजागर किया है। सरकार द्वारा राहत और बचाव कार्य तेजी से किए जा रहे हैं, लेकिन लंबी अवधि के पुनर्वास के लिए ठोस योजना की आवश्यकता है।
इस आपदा ने जलवायु परिवर्तन के बढ़ते खतरों की ओर भी ध्यान आकर्षित किया है। भविष्य में ऐसी आपदाओं से बेहतर ढंग से निपटने के लिए सरकार को मजबूत आपदा प्रबंधन प्रणाली विकसित करने, किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान करने, और जलवायु-प्रभावित योजनाओं पर काम करने की जरूरत है। चक्रवात ‘दाना’ के सबक हमें प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए सतर्कता और तैयारी का महत्व सिखाते हैं।