भारत में प्रभावी कार्बन बाजार: सीएसई का नया रोडमैप

saurabh pandey
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भारत अपने उत्सर्जन लक्ष्यों को पूरा करने और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठा रहा है। एक नई पहल के तहत, देश अपने स्वयं के राष्ट्रीय कार्बन बाजार को स्थापित करने की योजना बना रहा है। इस संदर्भ में, दिल्ली स्थित थिंक टैंक सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) ने एक नया रोडमैप पेश किया है, जो कार्बन बाजार को प्रभावी और व्यवस्थित बनाने के लिए दिशा-निर्देश प्रदान करता है।

सीएसई द्वारा प्रस्तुत रोडमैप

13 अगस्त 2024 को आयोजित एक वैश्विक वेबिनार में, सीएसई ने अपनी नई रिपोर्ट “भारतीय कार्बन मार्केट: प्रभावी तंत्र की दिशा में” जारी की। इस रिपोर्ट में, एक व्यापक और समावेशी कार्बन बाजार की स्थापना के लिए आवश्यक नीतियों और संरचनात्मक परिवर्तनों का सुझाव दिया गया है। सीएसई की महानिदेशक सुनीता नारायण ने उच्च उत्सर्जन वाले क्षेत्रों के लिए एक राष्ट्रव्यापी कार्बन बाजार की आवश्यकता पर बल दिया है, जो प्रक्रिया को सरल और प्रभावी बनाएगा।

भारत की जलवायु प्रतिबद्धताएँ

भारत ने 2030 तक अपने राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) लक्ष्यों को पूरा करने का संकल्प लिया है और 2070 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन का लक्ष्य निर्धारित किया है। इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए, भारत को उत्सर्जन को कम करने और प्रभावी उपाय अपनाने की जरूरत है।

बजट घोषणाएँ और योजनाएँ

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2024-25 के बजट में उन उद्योगों के लिए नई योजनाओं और नियमों की घोषणा की है, जो भारतीय कार्बन बाजार (आईसीएम) में स्थानांतरित होने में कठिनाई महसूस कर रहे हैं। यह पहल उन उद्योगों को कार्बन बाजार के साथ समन्वयित करने में मदद करेगी, जो प्रदर्शन और व्यापार (पीएटी) प्रणाली के तहत काम कर रहे हैं।

भारत का कार्बन बाजार विकसित करने की दिशा में उठाया गया यह कदम न केवल देश के जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने में सहायक होगा, बल्कि इससे उद्योगों को उत्सर्जन को नियंत्रित करने और कार्बन क्रेडिट के माध्यम से प्रोत्साहन प्राप्त करने का अवसर मिलेगा। इस पहल से भारत को वैश्विक जलवायु प्रयासों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का मौका मिलेगा, और इसके प्रभावी प्रबंधन से पर्यावरणीय और आर्थिक लाभ सुनिश्चित हो सकते हैं।

भारत के लिए एक प्रभावी कार्बन बाजार की स्थापना एक महत्वपूर्ण रणनीति है जो जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में योगदान देगी। सीएसई द्वारा प्रस्तुत रोडमैप और सरकार की योजनाएँ इस दिशा में एक ठोस कदम हैं। इन पहलों से न केवल उत्सर्जन को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी, बल्कि उद्योगों को भी स्थिर और प्रगतिशील तरीके से कार्बन प्रबंधन में शामिल किया जाएगा।

उच्च उत्सर्जन वाले क्षेत्रों के लिए एक राष्ट्रव्यापी कार्बन बाजार, कार्बन क्रेडिट प्रणाली और नई नीतियों के माध्यम से भारत को अपने जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने में मदद मिलेगी। यह कदम न केवल पर्यावरणीय प्रभावों को कम करेगा, बल्कि वैश्विक जलवायु प्रयासों में भारत की भूमिका को भी मजबूत करेगा। समग्र रूप से, इस पहल से आर्थिक और पर्यावरणीय लाभ सुनिश्चित होते हैं, जो एक स्थायी और स्वस्थ भविष्य की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति का संकेत देते हैं।

Source- down to earth

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