शंकुलधारा तालाब में रहने वाले दर्जनों कछुओं की जान खतरे में है। अत्यधिक प्रदूषण के कारण उनका अस्तित्व संकट में आ गया है। हालांकि, प्रशासन और स्थानीय नागरिकों के प्रयासों से कुछ कछुओं को बचाया गया है, लेकिन अभी भी कई कछुए संकट में हैं।
प्रदूषित जल का कहर
शहर के प्रमुख जल स्रोतों में से एक, शंकुलधारा तालाब, अत्यधिक प्रदूषण का शिकार हो चुका है। तालाब की सफाई के नाम पर पहले पानी निकाला गया, लेकिन सही से मलबा न हटाने के कारण तालाब में फिर से भराव होते ही समस्या गंभीर हो गई।
स्थानीय नागरिकों की चिंता
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि इस तालाब में अभी भी कई दर्जन कछुए जीवित हैं, लेकिन उनके अस्तित्व को खतरा बना हुआ है। हाल ही में तालाब से बाहर निकाले गए चार छोटे कछुओं को सुरक्षित स्थान पर रखा गया और बाद में दोबारा तालाब में छोड़ दिया गया।
वन विभाग की जांच जारी
पिछले रविवार को दुर्लभ प्रजाति के एक कछुए की मौत हो गई थी, जिसके बाद वन विभाग ने जांच शुरू की। वन विभाग की टीम ने मृत कछुए का पोस्टमार्टम करवाया और रिपोर्ट आने का इंतजार किया जा रहा है।
पर्यावरण संरक्षण की जरूरत
तालाब के पानी को प्रदूषण मुक्त करने और वन्यजीवों की रक्षा के लिए नागरिकों ने कई बार धरना प्रदर्शन किया। प्रशासन से अपील की जा रही है कि तालाब की सही तरीके से सफाई की जाए और वहां रहने वाले कछुओं के लिए सुरक्षित माहौल तैयार किया जाए।
शंकुलधारा तालाब में रहने वाले कछुए अभी भी संकट में हैं। यदि उचित कदम नहीं उठाए गए, तो यह समस्या और गंभीर हो सकती है। प्रशासन को जल्द से जल्द प्रभावी कदम उठाने चाहिए ताकि इन जल जीवों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।