अवैध निर्माणों से बिगड़ रहा पर्यावरणीय संतुलन
ईस्ट कोलकाता वेटलैंड्स, जिसे ‘ईस्ट कोलकाता की किडनी’ कहा जाता है, आज अवैध निर्माणों की अराजकता का शिकार हो रहा है। 12,500 हेक्टेयर में फैले इस रामसर साइट पर अब तक 550 अवैध निर्माण चिन्हित किए जा चुके हैं। कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद इन निर्माणों को हटाने की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं।
वेटलैंड्स की महत्ता को नजरअंदाज करते हुए यहां कंक्रीट के जंगल तेजी से उभर रहे हैं। नियमों के अनुसार, इन वेटलैंड्स पर स्थायी निर्माण पूरी तरह से प्रतिबंधित है। लेकिन सरकारी एजेंसियों की लापरवाही और मिलीभगत के चलते न केवल अवैध भवन खड़े किए गए हैं, बल्कि उन्हें बिजली जैसी सुविधाएं भी प्रदान की गई हैं।
ईस्ट कोलकाता वेटलैंड्स की अनोखी पारिस्थितिकी
यह वेटलैंड दुनिया की सबसे बड़ी जल-आधारित कृषि प्रणाली के लिए प्रसिद्ध है। यहां प्रतिदिन 900 मिलियन लीटर से अधिक अपशिष्ट जल को प्राकृतिक रूप से उपचारित किया जाता है। यह प्रक्रिया न केवल पर्यावरण को स्वच्छ रखती है, बल्कि मछुआरों को सस्ती लागत पर मछली पालन का अवसर भी देती है।
आंकड़ों के अनुसार, वेटलैंड में 5852 हेक्टेयर भूमि पर मछली पालन के 254 केंद्र हैं। इसके अलावा 4718 हेक्टेयर क्षेत्र पर कृषि कार्य होता है। इस क्षेत्र का संरक्षण भूजल की कमी और बाढ़ जैसी समस्याओं से निपटने में सहायक है।
स्थानीय लोगों की आजीविका पर खतरा
इस वेटलैंड पर लगभग 20,000 लोग अपनी आजीविका के लिए निर्भर हैं। यह न केवल कोलकाता के पर्यावरणीय स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है, बल्कि स्थानीय समुदायों के जीवन यापन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
रामसर साइट: वैश्विक महत्व के वेटलैंड्स
रामसर साइट वह क्षेत्र है जिसे अंतरराष्ट्रीय महत्व के वेटलैंड के रूप में मान्यता प्राप्त है। ईरान के रामसर शहर में 1971 में वेटलैंड संरक्षण के लिए एक अंतरराष्ट्रीय समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे। भारत में कुल 75 रामसर साइटें हैं, जिनमें ईस्ट कोलकाता वेटलैंड्स भी शामिल है।
ईस्ट कोलकाता वेटलैंड्स का संरक्षण न केवल पर्यावरण के लिए, बल्कि यहां की जैव विविधता और स्थानीय समुदायों के भविष्य के लिए भी अनिवार्य है। पर्यावरणविदों और स्थानीय संगठनों को सरकार के साथ मिलकर अवैध निर्माण के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि इस अमूल्य पारिस्थितिकी तंत्र को बचाया जा सके।
ईस्ट कोलकाता वेटलैंड्स की अनदेखी और लापरवाही से भविष्य में गंभीर पर्यावरणीय संकट खड़ा हो सकता है। इसे संरक्षित करने के लिए सभी हितधारकों को मिलकर ठोस कदम उठाने की जरूरत है।
ईस्ट कोलकाता वेटलैंड्स, जिसे पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने और स्थानीय समुदायों की आजीविका के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है, आज अवैध निर्माणों और प्रशासनिक लापरवाही के कारण गंभीर संकट का सामना कर रहा है। यह वेटलैंड केवल एक प्राकृतिक जलाशय नहीं, बल्कि कोलकाता की पारिस्थितिक सुरक्षा का आधार है। यदि इसे संरक्षित नहीं किया गया, तो इसके दुष्परिणाम पूरे क्षेत्र की पर्यावरणीय, सामाजिक और आर्थिक संरचना पर पड़ सकते हैं।
अतः सरकार, प्रशासन, पर्यावरणविदों और स्थानीय समुदायों को एकजुट होकर इस पारिस्थितिकी तंत्र को बचाने के लिए ठोस प्रयास करने होंगे। नियमों का सख्ती से पालन और अवैध निर्माणों पर तत्काल रोक लगाना आवश्यक है, ताकि यह वेटलैंड भविष्य में भी अपनी महत्ता और भूमिका निभा सके।