प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा करना समाज के हर वर्ग की जिम्मेदारी है। हिमाचल प्रदेश में अवैध खनन की समस्या ने न केवल प्राकृतिक संसाधनों को नुकसान पहुँचाया है, बल्कि राज्य सरकार को भी आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ा है। खनन माफिया की सक्रियता ने सीमावर्ती क्षेत्रों में प्राकृतिक संसाधनों का अवैज्ञानिक और अंधाधुंध दोहन किया है, जो पर्यावरण और राजस्व दोनों के लिए खतरनाक साबित हो रहा है।
अवैध खनन पर सरकार की कार्रवाई
अवैध खनन रोकने के लिए 14 विभागों को जिम्मेदारी सौंपी गई थी, लेकिन अपेक्षित सफलता प्राप्त नहीं हो पाई। हालांकि, हाल ही में उद्योग मंत्री ने अवैध खनन की समस्या को गंभीरता से लिया है और कई जिलों का दौरा किया है। उन्होंने अवैध खनन के खिलाफ सख्त कदम उठाने के निर्देश दिए हैं और इसके सकारात्मक परिणाम आने की उम्मीद जताई है।
हालिया कार्रवाई के परिणाम
प्रदेश में अब अवैध खनन के खिलाफ सख्त कार्रवाई के संकेत मिल रहे हैं। ऊना और पुलिस जिला बद्दी में खनन माफिया के खिलाफ कार्रवाई में तेजी आई है। रविवार को ऊना में 11 वाहनों के चालान काटे गए और जुर्माना वसूला गया। बद्दी में, मुख्य संसदीय सचिव की पत्नी के नाम से चल रहे वाहनों को भी जब्त किया गया है। यह स्पष्ट है कि सरकार की पहल का असर दिखने लगा है और अवैध गतिविधियों पर शिकंजा कसने की दिशा में ठोस कदम उठाए जा रहे हैं।
जनता की भूमिका
यह अच्छी बात है कि अब लोग भी अवैध खनन गतिविधियों की सूचना प्रशासन तक पहुँचाने में सक्रिय हो रहे हैं। खनन माफिया की कमर तोड़ने के लिए सभी जिलों में बड़े पैमाने पर अभियान चलाना समय की मांग है। सरकारी प्रयासों और जनता की सहभागिता से अवैध खनन की समस्या पर नियंत्रण पाया जा सकता है और प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा सुनिश्चित की जा सकती है।
प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा में सरकार और समाज दोनों की जिम्मेदारी है। हिमाचल प्रदेश में अवैध खनन के खिलाफ चल रहे प्रयास और कार्रवाई सकारात्मक दिशा में संकेत देते हैं। उम्मीद है कि आगामी दिनों में इन प्रयासों के और बेहतर परिणाम सामने आएंगे और प्रदेश के प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी।
source – दैनिक जागरण