भारत भर में मौसम की विषम परिस्थितियाँ और बढ़ती बारिशों के कारण स्वास्थ्य संकट गहराता जा रहा है। कश्मीर से कन्याकुमारी तक मौसम की त्रासदियों का असर स्पष्ट हो रहा है, जिसमें जलभराव और गंदगी का प्रकोप देखने को मिल रहा है। इस हालात से बढ़ती बीमारियों की चिंता भी गहराई है। बारिश की विभिन्न स्थितियों से प्रभावित इलाकों में डेंगू और अन्य वायरल बीमारियों का प्रकोप बढ़ गया है, जिससे सरकारें चिंतित हैं।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने पुष्टि की है कि इस वर्ष डेंगू के मामलों में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है। 31 जुलाई, 2024 तक देशभर में डेंगू के 32,091 मामले सामने आए हैं, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में लगभग 50 प्रतिशत अधिक है। केरल में सबसे ज्यादा 22 मौतें हुई हैं, जबकि कर्नाटक, तमिलनाडु, गुजरात, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में भी मौतों की रिपोर्टें हैं। केंद्र सरकार ने इस बढ़ते प्रकोप को नियंत्रित करने के लिए वेक्टर जनित रोगों के लिए एक राष्ट्रीय केंद्र स्थापित किया है।
देशभर में डेंगू के बढ़ते मामलों के साथ-साथ जीका वायरस की चिंता भी बढ़ रही है। 22 जुलाई तक जीका वायरस के मरीजों की संख्या 537 तक पहुँच गई है। महाराष्ट्र में जीका वायरस का प्रकोप अधिक है, और इसे अन्य राज्यों में फैलने से रोकने के लिए जरूरी इंतजाम किए जाने चाहिए। स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस वायरस के प्रबंधन के लिए एक कार्ययोजना तैयार की है और देशभर में जागरूकता बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
मौसम की मौजूदा स्थिति और बढ़ती बीमारियों को देखते हुए, विशेषज्ञों का कहना है कि स्वास्थ्य संकट से निपटने के लिए व्यापक योजना की आवश्यकता है। जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय कारकों के कारण इन बीमारियों का प्रकोप बढ़ा है। स्पेन में डेंगू बुखार और अन्य बीमारियों के खिलाफ टाइगर मच्छरों का प्रजनन और बंध्यीकरण किया जा रहा है, जबकि भारत को भी ऐसी रणनीतियों पर ध्यान देने की जरूरत है।
भारत में मौसम संबंधी विषमताओं और बढ़ती बारिशों के परिणामस्वरूप स्वास्थ्य संकट गहरा गया है। डेंगू और जीका वायरस जैसे वेक्टर जनित बीमारियों की स्थिति चिंताजनक हो गई है। विशेष रूप से, डेंगू के मामलों में उल्लेखनीय वृद्धि और जीका वायरस के प्रकोप ने स्वास्थ्य प्रबंधन को चुनौती दी है। सरकार ने इस संकट से निपटने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, जैसे कि वेक्टर जनित रोगों के लिए राष्ट्रीय केंद्र की स्थापना और कार्ययोजना तैयार करना।
हालांकि, संकट को नियंत्रित करने के लिए सार्वजनिक जागरूकता और व्यक्तिगत सावधानी भी अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। लोगों को अपने आसपास की सफाई, खान-पान पर ध्यान देने और स्वास्थ्य संबंधी लक्षणों पर नजर रखने की आवश्यकता है। जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय कारकों के कारण बीमारियों के बढ़ते प्रकोप को रोकने के लिए वैश्विक और स्थानीय स्तर पर ठोस रणनीतियाँ और उपायों की आवश्यकता है।
अंततः यह समय है कि देश एक समन्वित और व्यापक दृष्टिकोण अपनाए, ताकि इन बीमारियों के प्रभाव को कम किया जा सके और समाज को स्वस्थ रखा जा सके।
सामान्य जनता को भी सतर्क रहने की आवश्यकता है। साफ-सफाई और खान-पान में सतर्कता रखकर ही इन बीमारियों से बचा जा सकता है। स्वास्थ्य विभाग और सरकार को चाहिए कि वे इस संकट के समाधान के लिए ठोस कदम उठाएं और लोगों को इस विषय पर जागरूक करें।
source and data – हिंदुस्तान समाचार पत्र