गाद से बनेगी खाद: जैविक विकल्प

saurabh pandey
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गुरु गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय (आईपीयू) के बायोटेक्नोलॉजी विभाग ने दिल्ली के 12 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट पर एक अध्ययन किया है, जिसमें गाद को खाद के रूप में उपयोग करने की संभावना का पता लगाया गया। यह अध्ययन संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) के सहयोग से किया गया।

गाद में पोषक तत्व

अध्ययन के अनुसार, सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट से निकलने वाली गाद में 90 प्रतिशत तक नाइट्रेट, 95 प्रतिशत फॉस्फेट और 73 प्रतिशत अमोनिया पाया गया। इन तत्वों की उच्च मात्रा इसे रासायनिक खाद के विकल्प के रूप में इस्तेमाल करने के लिए उपयुक्त बनाती है। यह खाद किसानों को रियायती दरों पर उपलब्ध कराई जा सकती है, जिससे कृषि क्षेत्र में लाभ हो सकता है।

गाद से खाद बनाने की प्रक्रिया

आईपीयू के बायोटेक्नोलॉजी विभाग के संस्थापक प्रमुख और वैज्ञानिक प्रो. नंदुला रघुराम बताते हैं कि कुछ प्रदूषक पोषक तत्वों के रूप में दूसरी जगहों पर मौजूद होते हैं। इनकी रिकवरी और रिसाइकिलिंग के माध्यम से फसल उत्पादन के लिए आवश्यक तत्व जैसे नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और अमोनिया प्राप्त किए जा सकते हैं।

दिल्ली जल बोर्ड के साथ सहयोग

संस्थान ने यह रिपोर्ट दिल्ली जल बोर्ड के साथ साझा की है। अध्ययन के परिणाम बताते हैं कि सही तकनीक के उपयोग से गाद का अधिकतम दोहन किया जा सकता है। अक्षरधाम सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की तकनीक को सबसे अच्छा माना गया है।

पर्यावरण और संसाधन बचत

विशेषज्ञों ने बताया कि अगर गाद का सही तरीके से निपटान नहीं किया गया तो भविष्य में दिल्ली में कूड़े के नए पहाड़ बन जाएंगे। इस गाद का खाद के रूप में उपयोग करने से न केवल खाद की खपत कम होगी, बल्कि पर्यावरण को भी सुरक्षित रखा जा सकेगा।

दिल्ली की झीलों का अध्ययन

दिल्ली की छह झीलों का भी अध्ययन किया गया। इनमें से एक रजोकरी झील का टीडीएस 922 पाया गया। इसमें पानी में घुली ऑक्सीजन और फॉस्फेट की मात्रा भी मापी गई, जो दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति के मानकों के अनुसार अच्छी है।

सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का विस्तार

दिल्ली में हर दिन 3,330 लीटर दूषित पानी निकलता है, और वर्तमान में 38 एसटीपी काम कर रहे हैं। दिल्ली सरकार का लक्ष्य वर्ष 2025 तक 100 प्रतिशत दूषित पानी को साफ करने की क्षमता विकसित करना है। इससे खाद की भारी बचत हो सकती है और दिल्ली को साफ और स्वस्थ बनाया जा सकता है।

गाद को खाद के रूप में उपयोग करने से दिल्ली में पर्यावरणीय सुधार और कृषि में लाभ की संभावना है। यह अध्ययन दिल्ली जल बोर्ड और अन्य संबंधित एजेंसियों के लिए महत्वपूर्ण दिशानिर्देश प्रदान करता है।

source and data – अमर उजाला

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