उत्तराखंड के टिहरी जिले में मंगलवार रात बादल फटने के कारण मूसलाधार बारिश और भूस्खलन से तबाही मच गई। भिलंगना क्षेत्र के 13 गांवों में भूस्खलन हुआ, जिससे घरों में मलबा और पानी घुस गया। दो मकान पूरी तरह से नष्ट हो गए, जबकि तीन आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए। गांवों में भारी पत्थर और मलबा फैल गया, जिससे ग्रामीणों को सुरक्षित स्थानों की ओर भागना पड़ा। पांच गोशालाएं भी ढह गईं, जिससे 14 मवेशी मलबे में दब गए।
घरेलू और बुनियादी ढांचे पर प्रभाव:
भूस्खलन के कारण बिजली, पानी और संचार लाइनों को भी क्षति पहुंची है, जिससे कई गांवों का संपर्क कट गया है। ग्रामीणों ने रात दहशत में बिताई। प्रशासन की राहत और बचाव टीम मौके पर पहुंच गई है, और प्रभावित दो परिवारों को नवजीवन आश्रम में शिफ्ट किया गया है।
अथवा अन्य प्रभावित क्षेत्र:
चमोली जिले में बदरीनाथ हाईवे मलबा आने से सुबह चार घंटे तक बाधित रहा। देहरादून में जलभराव की समस्या बनी रही, और नैनीताल के रामनगर में पनियाली नाला उफान पर होने से बेली ब्रिज बंद कर दिया गया है। मौसम विज्ञान केंद्र ने भविष्यवाणी की है कि अगले कुछ दिनों में कई जिलों में भारी बारिश हो सकती है।
केदारनाथ धाम की यात्रा:
ग्लेशियल झीलों के फटने से संभावित बाढ़ के खतरों से बचाव के लिए केंद्र सरकार ने 150 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं। इस अभियान के तहत 189 उच्च जोखिम वाली झीलों की सूची को अंतिम रूप दिया गया है। इन झीलों की निगरानी और पूर्व चेतावनी प्रणाली स्थापित करने का लक्ष्य है। फिलहाल, 15 उच्च जोखिम वाली झीलों पर अभियान पूरा हो चुका है और विशेषज्ञों की टीमें अरुणाचल प्रदेश में छह झीलों का निरीक्षण कर रही हैं।
उत्तराखंड में भूस्खलन और भयंकर बारिश ने एक बार फिर प्राकृतिक आपदा की गंभीरता को उजागर किया है। प्रशासन और राहत टीमों की तत्परता से प्रभावित लोगों की सहायता की जा रही है, लेकिन बुनियादी ढांचे की क्षति और भविष्य में संभावित बाढ़ के खतरों को ध्यान में रखते हुए ठोस और दीर्घकालिक सुधारात्मक कदम उठाने की आवश्यकता है।
Source- दैनिक जागरण