जलवायु संकट: तटीय क्षेत्रों को निगल रहा समुद्र, प्रशांत द्वीप समूह पर गहरा संकट

saurabh pandey
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दक्षिण-पश्चिम प्रशांत क्षेत्र में समुद्र का जलस्तर बाकी दुनिया की तुलना में बहुत तेजी से बढ़ रहा है। यह तथ्य विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) की एक नई रिपोर्ट में सामने आया है, जो जलवायु परिवर्तन के खतरनाक प्रभावों की ओर इशारा करता है।

ग्लोबल वार्मिंग की वजह से समुद्रों का तापमान लगातार बढ़ रहा है, और इसके साथ ही समुद्रों में हीटवेव की घटनाओं में भी तेजी आई है। बढ़ते तापमान और जलस्तर के कारण तटीय क्षेत्रों में बाढ़ और तूफानों का प्रकोप भी बढ़ता जा रहा है।

इस बढ़ते खतरे का सबसे अधिक असर प्रशांत द्वीप समूह पर पड़ा है, जहां समुद्र का बढ़ता जलस्तर, बढ़ता तापमान और अम्लीकरण तीनों मिलकर जीवन के लिए खतरा पैदा कर रहे हैं। इन समस्याओं के कारण इन द्वीपों का भविष्य अनिश्चित हो गया है, और इनका अस्तित्व भी खतरे में पड़ सकता है।

2023 में प्रशांत क्षेत्र में कई बार तूफान और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं ने तबाही मचाई, जिसमें सैकड़ों लोगों की जान चली गई और लाखों लोग प्रभावित हुए। मार्च में दो उष्णकटिबंधीय चक्रवातों ने वानुअतु में भारी तबाही मचाई, जबकि अक्टूबर में चक्रवात लोला ने भी भारी नुकसान पहुंचाया।

इस साल की शुरुआत में उष्णकटिबंधीय चक्रवात गैब्रिएल ने पूर्वी न्यूजीलैंड में भारी बारिश और बाढ़ की स्थिति पैदा कर दी थी। इसी तरह जुलाई में तूफान डोक्सुरी के कारण फिलीपींस में भीषण बाढ़ आई, जिसमें कई लोगों की मौत हो गई और हजारों लोगों को अपने घर छोड़ने पड़े।

प्रशांत द्वीप समूह में बढ़ते जलस्तर और तापमान का प्रभाव न केवल इन द्वीपों के पर्यावरण पर पड़ रहा है, बल्कि वहां रहने वाले लोगों के जीवन और आजीविका पर भी गहरा असर डाल रहा है। अगर जल्द ही ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो इन द्वीपों के अस्तित्व को बचाना मुश्किल हो सकता है।

जलवायु परिवर्तन के इस दौर में समुद्र का बढ़ता जलस्तर और बदलता तापमान पूरे ग्रह के लिए एक गंभीर चेतावनी है। यह समय है कि हम इन चुनौतियों का सामना करें और प्रकृति के साथ संतुलन स्थापित करने की दिशा में कदम बढ़ाएं।

जलवायु संकट के कारण समुद्रों में हो रहे बदलाव तटीय क्षेत्रों और प्रशांत द्वीप समूहों के लिए गंभीर खतरा बन चुके हैं। बढ़ता जलस्तर, बढ़ता तापमान और अम्लीकरण, इन क्षेत्रों को न केवल पर्यावरणीय बल्कि सामाजिक और आर्थिक रूप से भी कमजोर बना रहे हैं। अगर समय रहते इन चुनौतियों का समाधान नहीं निकाला गया, तो आने वाले वर्षों में इन द्वीपों का अस्तित्व संकट में पड़ सकता है। यह स्थिति हमें यह एहसास दिलाती है कि जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए वैश्विक स्तर पर ठोस और तुरंत कदम उठाने की आवश्यकता है। हमें अब ही जागरूक होकर कार्रवाई करनी होगी, ताकि हमारी आने वाली पीढ़ियों को एक सुरक्षित और संतुलित पर्यावरण मिल सके।

Source- down to earth

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