जलवायु परिवर्तन की बढ़ती चुनौतियों ने पृथ्वी के सबसे बड़े वर्षावनों में से एक, अमेज़न, को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। हाल ही में किए गए एक अध्ययन से यह जानकारी सामने आई है कि अत्यधिक तापमान और मौसमी वर्षा के कारण अमेज़न के जंगलों में मीथेन, जो एक प्रमुख ग्रीनहाउस गैस है, को अवशोषित करने की क्षमता में लगभग 70 प्रतिशत की कमी आ सकती है। यह खोज न केवल स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र के लिए चिंताजनक है, बल्कि वैश्विक जलवायु संतुलन के लिए भी एक गंभीर खतरा बनती जा रही है।
अमेज़न वर्षावन: ‘पृथ्वी के फेफड़े’
अमेज़न वर्षावन, जिसे अक्सर “पृथ्वी के फेफड़े” के रूप में संदर्भित किया जाता है, मुख्य रूप से ब्राज़ील में स्थित है, जबकि इसका एक बड़ा हिस्सा पेरू, कोलंबिया, और इक्वाडोर में भी फैला हुआ है। यह क्षेत्र न केवल जैव विविधता के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह दुनिया के ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के संतुलन को बनाए रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अमेज़न को एक “ग्रीनहाउस गैस सिंक” माना जाता है, जो वातावरण से कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन जैसे हानिकारक गैसों को अवशोषित करता है।
शोध का महत्व
ब्राज़ील के साओ पाउलो विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए इस अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने अमेज़न के दो प्रमुख बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों और मीथेन अवशोषण के लिए पहचाने गए ऊंचे जंगलों से मिट्टी के नमूने एकत्र किए। उनकी खोज ने यह दर्शाया है कि जलवायु परिवर्तन के कारण इन क्षेत्रों में मीथेन अवशोषण की क्षमता में अत्यधिक गिरावट आई है।
शोधकर्ताओं ने विशेष रूप से ध्यान दिया कि गर्म और शुष्क मौसम में मिट्टी के नमूनों में मीथेन अवशोषण की क्षमता में औसतन 70 प्रतिशत की कमी आई। इसके अलावा, भारी वर्षा के समय, मिट्टी की नमी में बदलाव के कारण मीथेन का उत्सर्जन बढ़ गया।
विशेषज्ञों की राय
शोध की प्रमुख लेखिका, जूलिया गोंटिज़ो, जो अमेरिका में कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं, ने कहा, “यह अध्ययन हमें बताता है कि जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से अमेज़न के पारिस्थितिकी तंत्र में गहरी संरचनात्मक परिवर्तन आ सकते हैं। हम यह समझना चाहते हैं कि जलवायु परिवर्तन के चलते माइक्रोबायोम और मिट्टी के स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ रहा है।”
उन्होंने आगे कहा, “जैसा कि हम जानते हैं, अमेज़न वर्षावन का वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण महत्व है। इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि हम इसके संरक्षण के लिए सही कदम उठाएं।”
जलवायु परिवर्तन के दीर्घकालिक प्रभाव
अमेज़न वर्षावन की मौजूदा स्थिति का अध्ययन करते हुए, यह स्पष्ट है कि जलवायु परिवर्तन केवल स्थानीय मुद्दा नहीं है, बल्कि यह वैश्विक स्तर पर ग्रीनहाउस गैसों के संतुलन को भी प्रभावित कर सकता है। पिछले अध्ययनों में पाया गया है कि अमेज़न के बाढ़ग्रस्त क्षेत्र वैश्विक स्तर पर आर्द्रभूमि से लगभग 30 प्रतिशत मीथेन उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार हैं।
गोंटिज़ो का कहना है, “यदि हम अब कार्रवाई नहीं करते हैं, तो भविष्य में अमेज़न में ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन के संतुलन में और भी अधिक परिवर्तन देखने को मिल सकते हैं। यह न केवल अमेज़न के पारिस्थितिकी तंत्र के लिए खतरा है, बल्कि हमारे पूरे ग्रह के लिए एक गंभीर समस्या बन सकता है।”
जलवायु परिवर्तन के इस गंभीर प्रभाव को देखते हुए, यह आवश्यक हो जाता है कि हम अमेज़न वर्षावन के संरक्षण और पुनर्स्थापन के लिए ठोस कदम उठाएं। वैश्विक स्तर पर जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए नीति निर्माताओं और वैज्ञानिकों को मिलकर काम करने की आवश्यकता है। अमेज़न का संरक्षण न केवल एक पारिस्थितिकी तंत्र के रूप में आवश्यक है, बल्कि यह हमारे भविष्य की जलवायु स्थिरता के लिए भी महत्वपूर्ण है।