दिल्ली की गर्मियों में तापमान बढ़ने के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन का असर भी बढ़ता जा रहा है, और इसका सबसे अधिक दुष्प्रभाव उन महिलाओं और किशोरों पर पड़ रहा है जो हाशिए पर जीवन बसर करने को मजबूर हैं। यह बात हाल ही में प्रकाशित एक रिपोर्ट में सामने आई है, जिसमें यह बताया गया है कि कैसे जलवायु परिवर्तन ने इन मेहनतकश महिलाओं की दैनिक चुनौतियों को और बढ़ा दिया है।
गर्मी और मानसिक तनाव
मार्था फैरेल फाउंडेशन की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में घरेलू कामकाजी महिलाएं और किशोर अपने जीवन में जलवायु परिवर्तन की कड़वी सच्चाई का सामना कर रहे हैं। “हर साल की गर्मी से हम परेशान होते हैं, लेकिन इस बार तो रात में जमीन पर सोना भी मुश्किल हो गया था,” एक महिला श्रमिक ने कहा। उनके अनुभव इस बात को दर्शाते हैं कि कैसे भीषण गर्मी ने उनकी शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर डाला है।
शिक्षा पर असर
इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि जलवायु परिवर्तन के कारण किशोरों की शिक्षा और स्वास्थ्य पर भी गंभीर असर पड़ रहा है। बारिश की अनियमितता और प्रदूषण के कारण स्कूलों में बार-बार छुट्टियां होती हैं, जिससे बच्चों की पढ़ाई बाधित होती है। कई किशोरों ने इस बात की चिंता जताई है कि खराब मौसम के चलते उन्हें स्कूल जाने में कठिनाई होती है।
आर्थिक चुनौतियाँ
आर्थिक रूप से कमजोर समुदायों की महिलाएं, जो घरेलू कामों में लगी हुई हैं, पहले से ही मुश्किल हालातों में काम कर रही हैं। उनकी आय में गिरावट आई है, और जलवायु परिवर्तन ने उनके जीवन को और कठिन बना दिया है। रिपोर्ट के अनुसार, 90% श्रमिक अनौपचारिक क्षेत्र से जुड़े हैं, और उन्हें सामाजिक सुरक्षा का कोई लाभ नहीं मिलता। ऐसे में बढ़ती गर्मी, बारिश और प्रदूषण उनके लिए और भी अधिक मुश्किलें पैदा कर रहे हैं।
स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव
रिपोर्ट में यह भी दर्शाया गया है कि जलवायु परिवर्तन का महिलाओं और किशोरों के स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ रहा है। गर्मी और प्रदूषण के कारण वे सिरदर्द, चकत्ते और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का सामना कर रहे हैं। यूनिसेफ की एक रिपोर्ट के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के चलते संसाधनों की कमी और अन्य परेशानियों का सामना करते हुए महिलाएं और किशोर अधिक हिंसा का शिकार हो रहे हैं।
समाज और समर्थन
रिपोर्ट में इस बात पर भी जोर दिया गया है कि महिलाओं को समाज से समर्थन की कमी का सामना करना पड़ता है। जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के प्रति जागरूकता के बावजूद, उन्हें काम करने के लिए हमेशा खतरनाक परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। सर्वे में शामिल महिलाओं ने बताया कि उन्हें भारी बारिश और गर्मी के दौरान काम पर जाने के लिए मजबूर किया जाता है, भले ही उनकी सुरक्षा का ध्यान न रखा जाए।
इन हालातों को देखते हुए, यह स्पष्ट है कि जलवायु परिवर्तन कमजोर तबके को कहीं ज्यादा प्रभावित कर रहा है। रिपोर्ट ने नीति निर्माताओं से अपील की है कि वे इस दिशा में तत्काल कदम उठाएं ताकि महिलाओं और किशोरों की समस्याओं का समाधान हो सके। जलवायु न्याय की वैश्विक चर्चा में इस मुद्दे को शामिल करना आवश्यक है, ताकि समाज के सबसे कमजोर वर्गों को संरक्षण मिल सके।
दिल्ली में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। यह हमारे समाज के हाशिए पर जीवन बसर करने वाले लोगों की ज़िंदगी को प्रभावित कर रहा है। उनकी कहानियों को सुनना और उनकी समस्याओं का समाधान खोजना हम सभी की जिम्मेदारी है।