खाद्य सुरक्षा विभाग की जांच में हुआ खुलासा, दिल्ली सरकार को भेजी गई रिपोर्ट
रनविजय सिंह, जागरण
नई दिल्ली: बाजार में बिकने वाली बच्चों की पसंदीदा रुई मिठाई (कॉटन कैंडी) में सिंथेटिक रंगों का उपयोग किया जा रहा है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। यह बात दिल्ली सरकार के खाद्य सुरक्षा विभाग द्वारा की गई जांच में सामने आई है। खाद्य सुरक्षा विभाग ने इस रिपोर्ट को दिल्ली सरकार को भेज दिया है।
तमिलनाडु में रुई मिठाई में कैंसर कारक रसायन रोडामीन-बी की उपस्थिति पाई गई थी। इस कारण, फरवरी में तमिलनाडु में रुई मिठाई पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। अन्य राज्यों में भी रुई मिठाई पर प्रतिबंध लगाया गया है। रोडामीन-बी का उपयोग कपड़े रंगने के लिए किया जाता है।
इस मामले के उजागर होने के बाद, दिल्ली सरकार ने खाद्य सुरक्षा विभाग को राष्ट्रीय राजधानी में रुई मिठाई के नमूने लेने और उनकी जांच करने का निर्देश दिया था। इसके तहत, सभी जिलों से 10-19 नमूने लेकर उनकी जांच की पहल की गई थी।
फरवरी के अंतिम सप्ताह में खाद्य सुरक्षा विभाग ने दिल्ली के सभी 11 जिलों से 10-19 नमूने लेकर जांच की पहल की थी। दिल्ली खाद्य सुरक्षा विभाग की आयुक्त, नेहा बंसल ने बताया कि रुई मिठाई के लिए लिए गए नमूनों में सिंथेटिक रंग पाए गए हैं। रुई मिठाई को रंगने के लिए सिंथेटिक रंगों का उपयोग किया गया था। खाद्य पदार्थों में सिंथेटिक रंगों के उपयोग पर प्रतिबंध है। खाद्य पदार्थों में केवल खाद्य रंगों का ही उपयोग किया जा सकता है। जांच रिपोर्ट दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री को भेज दी गई है। हालांकि, खाद्य सुरक्षा विभाग यह नहीं बता सका कि रुई मिठाई में रोडामीन-बी जैसे रसायन पाए गए या नहीं।
डॉक्टरों का कहना है कि सिंथेटिक रंगों में भारी धातु और खतरनाक रसायन जैसे कांच, पारा, क्रोमियम, तांबा, सोडियम क्लोराइड, तांबा होते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हैं। यह बच्चों के लिए जानलेवा साबित हो सकते हैं।
दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष, डॉ. अजय लेखी ने कहा कि सिंथेटिक रंग कार्सिनोजेनिक होते हैं। इसलिए, इनका उपयोग खाद्य पदार्थों में कैंसर के खतरे को बढ़ा सकता है। इसके अलावा, इसके उपयोग से एलर्जी, पेट संबंधी बीमारियां और आंतों में अल्सर का खतरा हो सकता है। लोगों को इस बारे में सतर्क रहने की जरूरत है।
तमिलनाडु में हानिकारक सिंथेटिक रंगों पर प्रतिबंध लगाने के बाद, यह आवश्यक हो गया है कि अन्य राज्यों में भी इस तरह के कदम उठाए जाएं।