चंबल नदी में 900 नन्हे घड़ियालों का जन्म

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चंबल नदी में 900 नन्हे घड़ियालों का जन्म

सरसराहट की आवाज पर पहुंची मादा के बालू कुरेदते ही निकले बच्चे, सप्ताहभर चलेगी हैचिंग

एशिया की सबसे बड़ी घड़ियाल सेंचुरी की वाह रेंज में रविवार को घड़ियालों के नन्हे मेहमानों की किलकारी गूंजी। मधुआखाल, नंदगवां, हड़कटा घाट पर निकले करीब 900 नन्हे मेहमान नर घड़ियाल की पीठ पर सवार होकर चंबल नदी में पहुंचे।

वन विभाग की टीम रेंज से आई सरसराहट की आवाज (मदर कॉल) पर पहुंची। मादा (मां) के बालू कुरेदने और अंडों से बच्चे निकलने, नदी में मौजूद नर (पिता) की पीठ पर बैठकर नदी में जाने के अर्धचंद्राकार नजारे की गवाह बनी। करीब एक हफ्ते तक घड़ियालों की हैचिंग चलेगी।

वन विभाग के मुताबिक पाली (राजस्थान) से पंचनदा (इटावा) तक तीन राज्यों मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान के होकर बहती चंबल नदी में 1979 से लुप्तप्राय स्थिति में पहुंचे घड़ियालों का संरक्षण हो रहा है।

16 साल पहले खतरे में पड़ गए थे, अब आबाद हुई चंबल

वर्ष 2008 में चंबल नदी में वाह, इटावा, भिंड, मुरैना में 100 से ज्यादा घड़ियालों की मौत होने से संकट खड़ा हो गया था। तब घड़ियालों की मौत की वजह जानने के लिए विदेशी विशेषज्ञ बुलाने पड़े थे। लिवर सिरोसिस की वजह से घड़ियालों की मौत मानी गई थी। उसके बाद कई साल कड़ी मेहनत की गई। इस साल की गिनती के मुताबिक 2456 घड़ियाल हो गए हैं।

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