कार्बन उत्सर्जन की चुनौती: चीन की नई प्रजनन नीति का जलवायु पर प्रभाव

saurabh pandey
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हाल ही में किए गए एक अध्ययन में यह खुलासा हुआ है कि चीन की नई तीन बच्चों की नीति से न केवल उसकी जनसंख्या में वृद्धि होगी, बल्कि इससे कार्बन उत्सर्जन में भी उल्लेखनीय बढ़ोतरी होगी। वर्तमान में चीन का सालाना प्रति व्यक्ति कार्बन उत्सर्जन लगभग 2.34 टन है, जो मेक्सिको के समान है और भारत से लगभग तीन गुना अधिक है। विशेषज्ञों के अनुसार, अगर चीन ने अपनी प्रजनन नीतियों में ढील दी, तो 2060 तक कार्बन न्यूट्रल होने का लक्ष्य प्राप्त करना और भी चुनौतीपूर्ण हो जाएगा।

प्रजनन नीतियों का प्रभाव

शोधकर्ताओं ने चीन की जनसंख्या नीतियों का गहन अध्ययन किया, जिसमें पूर्व की दो-बच्चों की नीति और वर्तमान तीन-बच्चों की नीति का विश्लेषण शामिल था। उनका कहना है कि इन नीतियों के चलते देश की जनसंख्या लगभग 1.4 अरब के स्तर पर स्थिर रहेगी, जिससे कार्बन पदचिह्न में वृद्धि होगी।

अध्ययन में यह भी पाया गया कि चीन की प्रजनन दर 2020 में प्रति महिला 1.3 जन्म थी, जो कि जनसंख्या को बनाए रखने के लिए आवश्यक 2.1 जन्म से कम है। इसके परिणामस्वरूप 65 वर्ष से अधिक आयु की जनसंख्या का अनुपात तेजी से बढ़ रहा है, जो 2000 में 7% से 2020 में 14% तक पहुंच गया है।

कार्बन उत्सर्जन की संभावित वृद्धि

शोध के अनुसार, मौजूदा तीन बच्चों की नीति के तहत भी चीन की जनसंख्या 2060 तक लगभग 1.3 अरब तक सिकुड़ जाएगी। यदि दो-बच्चों की नीति को जारी रखा गया, तो यह संख्या 1.15 अरब तक पहुंच जाएगी। 65 वर्ष से अधिक आयु के लोगों का प्रतिशत तीन बच्चों वाली नीति के तहत 37% तक बढ़ जाएगा, जो कि जनसंख्या के कार्बन उत्सर्जन को प्रभावित करेगा।

चीन दुनिया का सबसे बड़ा कार्बन उत्सर्जक है, लेकिन प्रति व्यक्ति उत्सर्जन की मात्रा विकसित देशों के मुकाबले कम है। उदाहरण के लिए, एक औसत चीनी व्यक्ति अमेरिका के किसी व्यक्ति की तुलना में लगभग छठा हिस्सा कार्बन पैदा करता है। लेकिन युवा पीढ़ी की अधिक खरीदारी और जीवनशैली के कारण यह स्थिति बदल सकती है।

नीति और भविष्य की दिशा

हालांकि, शोधकर्ताओं का कहना है कि चीन को अपनी जनसंख्या नीतियों पर ध्यान देना होगा। उन्हें टिकाऊ जीवनशैली को प्रोत्साहित करने वाली नीतियों की आवश्यकता है, जैसे कि कम खपत, सार्वजनिक परिवहन का उपयोग और दीर्घकालिक सामान की खरीद।

इसके अतिरिक्त, चीन ने अगले 15 वर्षों में सेवानिवृत्ति की उम्र को धीरे-धीरे बढ़ाने की योजना बनाई है। इससे कार्बन पदचिह्न में थोड़ी वृद्धि हो सकती है, लेकिन यह वृद्ध जनसंख्या पर पड़ने वाले दबाव को कम करने में मदद करेगा।

इस अध्ययन के निष्कर्ष यह स्पष्ट करते हैं कि चीन की जनसंख्या और कार्बन उत्सर्जन पर प्रजनन नीतियों का प्रभाव अत्यधिक महत्वपूर्ण है। यदि चीन अपनी कार्बन न्यूट्रलता के लक्ष्य को हासिल करना चाहता है, तो उसे अधिक स्थायी नीतियों की दिशा में आगे बढ़ना होगा।

इस अध्ययन से यह स्पष्ट होता है कि चीन की तीन बच्चों की नीति न केवल जनसंख्या में वृद्धि करेगी, बल्कि यह जलवायु परिवर्तन को भी बढ़ावा देगी। अगर देश ने अपने कार्बन उत्सर्जन को नियंत्रित करना है, तो उसे प्रभावी नीतियों की आवश्यकता होगी जो न केवल उसकी प्रजनन नीतियों को समझें, बल्कि पर्यावरण को भी सुरक्षित रखें। यह समय की मांग है कि चीन सतत विकास की दिशा में गंभीरता से कदम उठाए।

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