उत्तराखंड में कैनाइन डिस्टेंपर वायरस (सीडीवी) के खतरे से वन्यजीवों को बचाने के लिए केंद्र सरकार ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए आवारा कुत्तों के टीकाकरण की योजना को मंजूरी दी है। राज्य में छह राष्ट्रीय उद्यानों, सात वन्यजीव अभ्यारण्यों और चार संरक्षण रिजर्व हैं, जहां वन्यजीवों पर सीडीवी का खतरा मंडरा रहा है। यह वायरस आवारा कुत्तों से अन्य जानवरों में तेजी से फैलता है, जिससे वन्यजीव विभाग की चिंता बढ़ गई है।
टीकाकरण की कार्ययोजना
वन विभाग ने पशुपालन विभाग के सहयोग से कॉर्बेट और राजाजी टाइगर रिजर्व के साथ ही गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान से सटे इलाकों में टीकाकरण शुरू कर दिया है। धीरे-धीरे इसे राज्य के अन्य इलाकों में भी लागू किया जाएगा।
सीडीवी का खतरा
सीडीवी एक बेहद संक्रामक बीमारी है, जो न केवल प्रभावित जानवरों को कमजोर बनाती है, बल्कि उनके लिए जानलेवा भी होती है। यह वायरस कुत्तों की लार और छींक के जरिए फैलता है, जिससे सबसे ज्यादा आवारा कुत्ते प्रभावित होते हैं। अगर कोई आवारा कुत्ता शिकार बनता है, तो यह वायरस गुलदार समेत अन्य जानवरों को भी संक्रमित कर सकता है।
राज्य वन्यजीव बोर्ड का निर्णय
मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक और उत्तराखंड राज्य वन्यजीव बोर्ड के सदस्य सचिव डॉ. समीर सिन्हा ने कहा कि यह अभियान जल्द ही अन्य संरक्षित क्षेत्रों और वन प्रभागों से सटे इलाकों में भी चलाया जाएगा। यह कार्ययोजना राज्य में वन्यजीवों और मवेशियों को इस घातक वायरस से बचाने में मदद करेगी।
आवारा कुत्तों का टीकाकरण
पशुपालन विभाग की मदद से आवारा कुत्तों का टीकाकरण शुरू कर दिया गया है। इस अभियान के तहत आवारा कुत्तों को एंटी रेबीज और सीडीवी के टीके लगाए जाएंगे। इससे न केवल वन्यजीव, बल्कि मवेशी भी सुरक्षित रहेंगे।
गुलदार और कुत्तों का संघर्ष
राज्य में गुलदार का सबसे आसान शिकार कुत्ते होते हैं। इस कारण गुलदार अक्सर आबादी वाले इलाकों में आ जाते हैं, जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। वन विभाग ने इस खतरे को ध्यान में रखते हुए जंगलों से सटे इलाकों में आवारा कुत्तों के टीकाकरण की कार्ययोजना बनाई है।
Source and data- dainik jagran