मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ में जहरीली फसल खाने से हाथियों की मौत का मामला

saurabh pandey
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मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में जहरीली कोदो-कुटकी खाने से मरने वाले हाथियों की संख्या 10 हो चुकी है। माना जा रहा है कि फसल में माइकोटॉक्सिन, जो कि एक फंगल जहर है, बनने के कारण हाथियों की मौत हुई। डॉक्टरों की टीम ने पोस्टमार्टम के दौरान हाथियों के पेट में संक्रमित कोदो-कुटकी पाई, जिसके बाद वन विभाग ने जंगल से सटे खेतों में फसल को नष्ट कर दिया।

बांधवगढ़ के खितौली रेंज में 13 हाथियों की हालत गंभीर हो गई थी, जिसमें से 29 और 30 अक्टूबर को आठ हाथियों की मृत्यु हो गई, और गुरुवार को दो और हाथी मृत पाए गए। अब तक नौ मादा और एक नर हाथी की मृत्यु हो चुकी है। बाकी तीन हाथियों में से एक स्वस्थ हो गया है, जबकि दो की हालत अभी भी गंभीर है।

जांच और विशेषज्ञों की सलाह

सभी मृत हाथियों के नमूनों को जांच के लिए जबलपुर की स्कूल ऑफ वाइल्डलाइफ फोरेंसिक एंड हेल्थ लैब भेजा गया है। भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई), भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई), और सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी (सीसीएमबी) जैसे प्रमुख संस्थानों के विशेषज्ञ इस मामले में सलाह दे रहे हैं। एसआईटी और एसटीएसएफ की टीमें भी मामले की जांच में जुटी हैं।

माइकोटॉक्सिन का प्रभाव

कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, बारिश या प्रतिकूल मौसम में कोदो-कुटकी जैसी फसलों में माइकोटॉक्सिन का निर्माण हो सकता है, जो जानवरों के साथ मनुष्यों के लिए भी खतरनाक है। संक्रमित फसल का सेवन जानवरों में गंभीर संक्रमण और मृत्यु का कारण बन सकता है। इस घटना ने वन्यजीव और पर्यावरण संरक्षण के लिए आवश्यक सावधानियों की ओर ध्यान आकर्षित किया है।

मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में हाथियों की मौत का मुख्य कारण संक्रमित कोदो-कुटकी फसल में पाया गया माइकोटॉक्सिन माना जा रहा है। इस घटना ने स्पष्ट किया कि प्रतिकूल मौसम में फसलों में फंगल विषाक्तता का खतरा बढ़ जाता है, जो वन्यजीवों और मनुष्यों दोनों के लिए घातक हो सकता है। इस मामले से सबक लेते हुए वन्यजीवों के संरक्षण और खाद्य सुरक्षा के लिए कृषि प्रबंधन में अतिरिक्त सावधानी बरतने की आवश्यकता है। साथ ही, विशेषज्ञों की जांच इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाने की दिशा में सहायक साबित होगी।

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