2030 तक 70 करोड़ लोग पानी के लिए अपना घर छोड़ने को मजबूर हो जाएंगे

saurabh pandey
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जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से दुनिया भर में जल संकट(water crisis) गंभीर होता जा रहा है। आंकड़ों और शोधकर्ताओं की रिपोर्टों से यह स्पष्ट होता है कि आने वाले समय में जल की कमी का सबसे बड़ा बोझ महिलाओं और लड़कियों पर पड़ेगा।

चिंताजनक पानी की कमी(water crisis) के कारण महिलाओं पर सबसे ज्यादा दबाव, देना होगा 30 फीसदी अतिरिक्त समय

जल संकट के गंभीर आंकड़े

संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, वर्तमान में दुनिया भर में चार करोड़ से अधिक लोग ऐसे हैं जिन्हें साल में कम से कम एक महीने पानी की कमी का सामना करना पड़ता है। यह संकट आने वाले समय में और भी विकराल रूप ले सकता है। अनुमान है कि 2025 तक दुनिया की आधी आबादी जल संकटग्रस्त क्षेत्रों में रह रही होगी। वहीं, 2030 तक करीब 70 करोड़ लोग पानी की भारी कमी के कारण अपना घर छोड़ने पर मजबूर हो जाएंगे।

महिलाओं पर पड़ रहा है सबसे अधिक बोझ

पोट्सडैम इंस्टीट्यूट फॉर क्लाइमेट इम्पैक्ट रिसर्च के वैज्ञानिकों का कहना है कि जल संकट का सबसे बड़ा प्रभाव महिलाओं और लड़कियों पर पड़ेगा। जलापूर्ति के दबाव के कारण उन्हें पानी इकट्ठा करने में औसतन 30 प्रतिशत अधिक समय व्यतीत करना पड़ेगा। यह समय भारत, पाकिस्तान और उत्तरी अफ्रीका के देशों में सबसे अधिक होगा।

जलवायु परिवर्तन और पानी की उपलब्धता

वैज्ञानिकों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन बारिश के पैटर्न को प्रभावित कर रहा है, जिससे पानी की उपलब्धता में भी कमी आ रही है। 2050 तक, उच्च उत्सर्जन परिदृश्य में महिलाओं को पानी लाने में लगने वाला समय 30 प्रतिशत तक बढ़ सकता है।

भारत में जल संकट: एक गहन विश्लेषण

भारत में जल संकट एक जटिल मुद्दा है, जो तेजी से बढ़ते शहरीकरण, औद्योगीकरण और अस्थिर कृषि पद्धतियों के कारण उत्पन्न हो रहा है। शोधकर्ताओं ने 1990 और 2019 के बीच चार महाद्वीपों के 347 क्षेत्रों में प्रकाशित घरेलू सर्वेक्षणों का विश्लेषण किया है। इससे यह समझने में मदद मिली कि जलवायु परिवर्तन पानी की उपलब्धता और इसे इकट्ठा करने में लगने वाले समय को कैसे प्रभावित कर रहा है।

शोध से स्पष्ट हुआ है कि बढ़ते तापमान और बारिश की कमी ने इस समस्या को और गंभीर बना दिया है। भविष्य में जल संकट का प्रभाव महिलाओं और बच्चों पर विशेष रूप से पड़ेगा, जिनके लिए पानी इकट्ठा करना एक बड़ी चुनौती बन जाएगा। इस समस्या का समाधान ढूंढने के लिए वैश्विक स्तर पर ठोस कदम उठाने की जरूरत है।

जल संकट आज भारत के सामने सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक बन गया है। तेजी से बढ़ती जनसंख्या, शहरीकरण, औद्योगीकरण, और अस्थिर कृषि पद्धतियों के कारण पानी की मांग तेजी से बढ़ रही है। इन सबके साथ जलवायु परिवर्तन की मार ने भी जल संकट को और गंभीर बना दिया है।

जल संकट के प्रमुख कारण

भारत में जल संकट के कई कारण हैं, जिनमें प्रमुख हैं:

  • बढ़ती जनसंख्या: जनसंख्या वृद्धि के कारण पानी की मांग तेजी से बढ़ रही है, जबकि जल संसाधनों की उपलब्धता सीमित है।
  • शहरीकरण और औद्योगीकरण: शहरीकरण और औद्योगीकरण के कारण जल संसाधनों पर अत्यधिक दबाव पड़ रहा है। उद्योगों और शहरों में पानी की खपत अधिक होती है, जिससे जल स्रोत सूखते जा रहे हैं।
  • अस्थिर कृषि पद्धतियाँ: कृषि क्षेत्र में पानी की अत्यधिक खपत और अस्थिर सिंचाई पद्धतियों के कारण भी जल संकट बढ़ रहा है। धान और गन्ने जैसी फसलों की खेती में अत्यधिक पानी की आवश्यकता होती है।
  • जलवायु परिवर्तन: जलवायु परिवर्तन के कारण बारिश के पैटर्न में बदलाव हो रहा है, जिससे जल संसाधनों की उपलब्धता में कमी आ रही है।

जल संकट का प्रभाव

जल संकट का प्रभाव समाज के हर वर्ग पर पड़ रहा है, लेकिन सबसे ज्यादा प्रभावित महिलाएँ और लड़कियाँ हो रही हैं। पानी इकट्ठा करने का कार्य मुख्य रूप से महिलाओं और लड़कियों के जिम्मे होता है, जिससे उनकी शिक्षा और स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है।

भविष्य की चुनौतियाँ

शोधकर्ताओं के अनुसार, 2030 तक भारत की आधी आबादी जल संकटग्रस्त क्षेत्रों में रह रही होगी। इससे न केवल लोगों का जीवन कठिन हो जाएगा, बल्कि यह देश की आर्थिक और सामाजिक स्थिरता के लिए भी खतरा बन जाएगा।

समाधान के उपाय

जल संकट से निपटने के लिए कुछ महत्वपूर्ण उपाय निम्नलिखित हैं:

  • जल संरक्षण: पानी की बचत और संरक्षण के लिए लोगों को जागरूक करना आवश्यक है। रेनवाटर हार्वेस्टिंग और जल पुनर्चक्रण जैसी तकनीकों को अपनाना चाहिए।
  • सतत कृषि पद्धतियाँ: कृषि में ड्रिप इरिगेशन और अन्य जल-संवेदनशील पद्धतियों को बढ़ावा देना चाहिए।
  • नीतिगत हस्तक्षेप: सरकार को जल संकट से निपटने के लिए सख्त नीतियाँ और कानून बनाने चाहिए। जल संसाधनों के न्यायपूर्ण वितरण और प्रबंधन पर ध्यान देना चाहिए।
  • सामुदायिक भागीदारी: जल संरक्षण और प्रबंधन में समुदाय की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करना आवश्यक है।

जल संकट एक गंभीर समस्या है, जो भारत के भविष्य के लिए खतरा बन सकती है। इसे सुलझाने के लिए सरकार, उद्योग, और समुदायों को मिलकर काम करना होगा। जल संरक्षण की दिशा में ठोस कदम उठाने और सतत विकास की दिशा में आगे बढ़ने की आवश्यकता है।

जल संकट का समाधान हमारे हाथ में है, और इसे सुलझाने के लिए हमें अभी से प्रयास करने होंगे। सिर्फ जागरूकता और प्रतिबद्धता के साथ ही हम इस चुनौती का सामना कर सकते हैं और एक स्थायी भविष्य का निर्माण कर सकते हैं।

source and data – अमर उजाला समाचार पत्र

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