बोतलबंद पानी: सेहत और पर्यावरण पर गहरा असर

saurabh pandey
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दुनिया भर में बोतल बंद पानी की मांग तेजी से बढ़ रही है, जिससे एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया है कि यह पानी पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए कितना सुरक्षित है। रिपोर्ट के मुताबिक, हर मिनट 10 लाख बोतलें बेची जा रही हैं। इस बढ़ती मांग ने न केवल कच्चे माल की खपत और प्लास्टिक कचरे को बढ़ाया है, बल्कि हमारे स्वास्थ्य पर भी गंभीर प्रभाव डाला है।

दुनिया के लगभग 200 करोड़ लोग अब भी सुरक्षित पेयजल से वंचित हैं, जिनके लिए बोतलबंद पानी एकमात्र विकल्प है। इसके विपरीत, कई लोगों के लिए यह सुविधा और विश्वास का प्रतीक है। बोतलबंद पानी की कंपनियाँ इसे सुरक्षित और स्वास्थ्यवर्धक बताकर बेचती हैं, लेकिन कतर स्थित वेइल कॉर्नेल मेडिसिन के शोधकर्ताओं के अनुसार, यह दावा हमेशा सही नहीं होता। बोतलबंद पानी की गुणवत्ता जांच नल के पानी की तुलना में उतनी सख्त नहीं होती, और प्लास्टिक की बोतलों से केमिकल्स का रिसाव एक गंभीर खतरा है, खासकर जब इन बोतलों को लंबे समय तक स्टोर किया जाता है या गर्मी में रखा जाता है।

स्वास्थ्य पर पड़ सकता है भारी बोझ

अध्ययन बताते हैं कि बोतलबंद पानी में दूषित पदार्थों का स्तर 10% से 78% तक हो सकता है, जिनमें माइक्रोप्लास्टिक भी शामिल हैं। ये प्रदूषक हार्मोनल असंतुलन, ऑक्सीडेटिव तनाव, और प्रतिरक्षा प्रणाली पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं। इसके अलावा, प्लास्टिक के घटकों में पाए जाने वाले बीपीए जैसे केमिकल्स उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, मधुमेह और मोटापे जैसी स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकते हैं।

पर्यावरण पर गहरा असर

बोतलबंद पानी का पर्यावरण पर भी विनाशकारी प्रभाव पड़ता है। प्लास्टिक की बोतलें समुद्र में प्रदूषण का दूसरा सबसे बड़ा स्रोत हैं और कुल प्लास्टिक कचरे का 12% हिस्सा बनाती हैं। इनमें से केवल 9% बोतलों को रीसाइकिल किया जाता है, जबकि बाकी बोतलें लैंडफिल में जाती हैं या जला दी जाती हैं। इससे वातावरण में ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन होता है, जो जलवायु परिवर्तन में योगदान देता है। इसके अलावा, बोतलों के उत्पादन में कच्चे तेल और ऊर्जा का अत्यधिक उपयोग होता है, जो पर्यावरण पर अतिरिक्त बोझ डालता है।

नलजल: एक पर्यावरण-अनुकूल विकल्प

विशेषज्ञों का कहना है कि नलजल एक बेहतर और अधिक टिकाऊ विकल्प हो सकता है, क्योंकि इसका उपयोग प्लास्टिक कचरे और प्रदूषण को कम करता है। रेस्टोरेंट्स और सार्वजनिक स्थानों पर नलजल की उपलब्धता को बढ़ावा देने के साथ-साथ सिंगल-यूज प्लास्टिक के उपयोग को कम करने के प्रयासों को भी तेज किया जाना चाहिए।

सरकारी भूमिका और जागरूकता अभियान

सरकारी कार्रवाई और जागरूकता अभियानों के जरिए इस मुद्दे से निपटा जा सकता है। लोगों को नलजल के स्वास्थ्य और पर्यावरणीय लाभों के बारे में शिक्षित करना जरूरी है ताकि वे बोतलबंद पानी पर निर्भरता कम कर सकें। इसके अलावा, सरकारों को उन क्षेत्रों में साफ पानी उपलब्ध कराने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए जहां लोग अब भी सुरक्षित पेयजल से वंचित हैं।

बोतलबंद पानी की बढ़ती मांग ने स्वास्थ्य, पर्यावरण और आर्थिक दृष्टिकोण से गंभीर चुनौतियाँ उत्पन्न की हैं। प्लास्टिक की बोतलों का उत्पादन, उपयोग और निपटान पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचा रहे हैं, जबकि स्वास्थ्य पर इसके दीर्घकालिक दुष्प्रभाव स्पष्ट होते जा रहे हैं। ऐसे में, बोतलबंद पानी पर हमारी निर्भरता को पुनः सोचने और अधिक टिकाऊ विकल्पों की ओर बढ़ने की आवश्यकता है।

सरकारों को न केवल सुरक्षित पेयजल तक पहुंच बढ़ाने के लिए बुनियादी ढांचे में निवेश करना चाहिए, बल्कि जागरूकता अभियानों के माध्यम से नलजल को एक स्वस्थ और पर्यावरणीय दृष्टिकोण से अनुकूल विकल्प के रूप में बढ़ावा देना चाहिए।

source- down to earth

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