भूजल की मदद से आपूर्ति बढ़ाएगी सरकार

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नई दिल्ली, मुख्य संवाददाता – राजधानी में जल संकट को दूर करने के लिए दिल्ली सरकार ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। जल बोर्ड दिल्ली में 1,034 नलकूप (ट्यूब वेल) लगाएगा, जिससे प्रतिदिन 23.7 मिलियन गैलन (एमजीडी) पानी की आपूर्ति बढ़ जाएगी। वर्तमान में नलकूपों के माध्यम से दिल्ली को 135 एमजीडी पानी की आपूर्ति की जा रही है। जल बोर्ड के अधिकारियों के अनुसार, इस योजना को अप्रैल 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।

यमुना का घटता जलस्तर

दिल्ली में पानी का मुख्य स्रोत यमुना नदी है। यमुना में जलस्तर घटने के कारण पानी की आपूर्ति प्रभावित होती है। जल संयंत्रों को पानी नहीं मिलने के कारण पानी की आपूर्ति में कमी हो जाती है। इस समस्या को हल करने के लिए सरकार ने विभिन्न क्षेत्रों में नलकूप लगाने की योजना बनाई है, जिसके लिए 94.7 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया गया है। दक्षिण दिल्ली में 211, पूर्वी दिल्ली में 111, और उत्तर व मध्य दिल्ली में 223 नलकूप लगाए जाएंगे। प्रत्येक नलकूप के साथ फ्लो मीटर भी लगाए जाएंगे, जो यह दिखाएंगे कि कितना भूजल निकाला जा रहा है।

भूजल का बढ़ता उपयोग

पिछले पांच वर्षों में पानी की बढ़ती मांग को देखते हुए, दिल्ली सरकार ने भूजल का उपयोग बढ़ा दिया है। वर्ष 2020 में जहां भूजल के माध्यम से 86 एमजीडी पानी की आपूर्ति की जा रही थी, वहीं 2024 में यह बढ़कर 135 एमजीडी हो गई है। वर्तमान में, दिल्ली में 5,700 नलकूपों के माध्यम से पानी की मांग पूरी की जा रही है।

प्रतिदिन 1,290 एमजीडी पानी की आवश्यकता

दिल्ली में प्रतिदिन लगभग 1,290 एमजीडी पानी की आवश्यकता होती है। इसमें से लगभग 1,000 एमजीडी पानी जल संयंत्रों के माध्यम से प्राप्त होता है, जो हरियाणा, हिमाचल और यूपी से आता है। सरकार आंतरिक स्रोतों से 13.5 प्रतिशत पानी की मांग पूरी करती है। पानी के शोषण का पता लगाने के लिए फ्लो मीटर लगाए जाएंगे।

हरियाणा ने सहयोग किया होता, तो कोर्ट नहीं जाना पड़ता: भारद्वाज

नई दिल्ली, प.सं. – दिल्ली सरकार के शहरी विकास विभाग के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने जल संकट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि अगर एलजी ने सरकार के कामकाज में हस्तक्षेप करने के बजाय हरियाणा सरकार पर दबाव डाला होता, तो हमें सुप्रीम कोर्ट जाने की जरूरत नहीं पड़ती। पत्रकारों से बात करते हुए सौरभ भारद्वाज ने कहा कि 1993 में दिल्ली के लिए जो पानी निर्धारित किया गया था, वह 30 साल बाद भी उतना ही है, जबकि दिल्ली की जनसंख्या कई गुना बढ़ गई है। जब जल संकट हुआ, तो हमने हरियाणा से पानी छोड़ने को कहा, लेकिन उन्होंने मना कर दिया। जब हमने हिमाचल प्रदेश से कहा कि हम आपसे पानी खरीदना चाहते हैं, तो उन्होंने सहमति दी।

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