नई दिल्ली। भारत ने नागी पक्षी जलाशय और नकटी पक्षी जलाशय को अंतरराष्ट्रीय महत्व के अपने नवीनतम रामसर (आर्द्रभूमि) के रूप में नामित करके विश्व पर्यावरण दिवस मनाया है। ये दोनों रामसर मानव निर्मित जलाशय हैं और बिहार के जमुई जिले के झाझा वन क्षेत्र में स्थित हैं। इनके जलग्रहण क्षेत्रों में पहाड़ियों से घिरे शुष्क पर्णपाती वन हैं।
नकटी पक्षी जलाशय का निर्माण शुरुआत में नकटी बांध से सिंचाई के लिए किया गया था। बांध के निर्माण के बाद से रामसर क्षेत्र पक्षियों, स्तनधारी जीवों, मछलियों, जलीय पौधों व सरीसृप और उभयचर की 150 से अधिक प्रजातियों का ठिकाना बना। नागी पक्षी जलाशय नागी नदी पर बांध बनाने के बाद बनाया गया था, जिससे साफ पानी और जलीय वनस्पति के साथ धीरे-धीरे जल निकायों का निर्माण संभव हुआ।
रामसर स्थलों के बारे में
रामसर कन्वेंशन एक अंतरराष्ट्रीय संधि है जो जलाशयों और आर्द्रभूमियों के संरक्षण और सतत उपयोग को बढ़ावा देती है। इस संधि का नाम 1971 में ईरान के रामसर शहर में हुई पहली बैठक के नाम पर रखा गया है। इस संधि का मुख्य उद्देश्य आर्द्रभूमियों के पारिस्थितिकी तंत्र को बचाना और उनका स्थायी उपयोग सुनिश्चित करना है।
रामसर स्थलों की सूची में शामिल आर्द्रभूमियां न केवल पारिस्थितिकी दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण होती हैं, बल्कि वे जैव विविधता के संरक्षण और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। भारत में वर्तमान में कई रामसर स्थल हैं, जो वन्यजीव संरक्षण और पर्यावरणीय स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण हैं।
रामसर भूमि
रामसर कन्वेंशन एक अंतरराष्ट्रीय संधि है जो आर्द्रभूमियों के संरक्षण और उनके सतत उपयोग को बढ़ावा देने के लिए बनाई गई है। इसका मुख्य उद्देश्य आर्द्रभूमियों के पारिस्थितिकी तंत्र को बचाना और उनका स्थायी उपयोग सुनिश्चित करना है। इस संधि का नाम 1971 में ईरान के रामसर शहर में हुई पहली बैठक के नाम पर रखा गया है।
रामसर कन्वेंशन के प्रमुख उद्देश्य
संरक्षण और बुद्धिमानी उपयोग: आर्द्रभूमियों का संरक्षण और उनका सतत और बुद्धिमानी उपयोग सुनिश्चित करना।
अंतरराष्ट्रीय सहयोग: आर्द्रभूमियों के संरक्षण के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना।
स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर पर प्रयास: आर्द्रभूमियों के संरक्षण के लिए स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर पर प्रयासों को प्रोत्साहित करना।
शिक्षा और जागरूकता: आर्द्रभूमियों के महत्व के बारे में शिक्षा और जागरूकता बढ़ाना।
भारत में रामसर स्थलों की स्थिति
भारत में कई महत्वपूर्ण आर्द्रभूमियों को रामसर स्थलों के रूप में मान्यता प्राप्त है। इन स्थलों में जैव विविधता के संरक्षण के लिए विशेष प्रयास किए जाते हैं। रामसर स्थलों की सूची में शामिल आर्द्रभूमियां न केवल पारिस्थितिकी दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण होती हैं, बल्कि वे जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
हाल ही में, भारत ने विश्व पर्यावरण दिवस पर नागी पक्षी जलाशय और नकटो पक्षी जलाशय को रामसर स्थलों के रूप में नामित किया है। ये जलाशय बिहार के जमुई जिले में स्थित हैं और वन्यजीवों, जलीय पौधों और जैव विविधता के लिए महत्वपूर्ण हैं।
रामसर स्थलों के महत्व
जैव विविधता संरक्षण: रामसर स्थल विभिन्न प्रकार के पक्षियों, जानवरों, पौधों और अन्य जीवों का निवास स्थान होते हैं।
पारिस्थितिकीय संतुलन: ये स्थल पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
जलवायु परिवर्तन निवारण: आर्द्रभूमियां कार्बन सिंक के रूप में कार्य करती हैं और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में मदद करती हैं।
सामाजिक और आर्थिक लाभ: आर्द्रभूमियां स्थानीय समुदायों को जल, खाद्य और अन्य संसाधन प्रदान करती हैं।
रामसर स्थलों का संरक्षण और प्रबंधन न केवल पर्यावरणीय दृष्टिकोण से, बल्कि सामाजिक और आर्थिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। इसके माध्यम से हम आने वाली पीढ़ियों के लिए प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण सुनिश्चित कर सकते हैं।