भारत में पेड़ लगाने के साथ – साथ देखभाल भी जरुरी ।

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भारतीय सरकार द्वारा चलाई जा रही वृक्षारोपण योजनाएं पर्यावरण संरक्षण और कृषि सक्षमता के लिए महत्वपूर्ण कदम हैं। हालांकि, इन योजनाओं की सफलता सुनिश्चित करने के लिए उनकी उचित निगरानी और पेड़ों की सही देखभाल अत्यंत आवश्यक है। कई मामलों में सरकारी उपेक्षा के कारण वृक्षारोपण के उद्देश्यों को पूरी तरह से प्राप्त नहीं किया जा सका है।भारत में पेड़ लगाना एक प्रयास है जिसका उद्देश्य पर्यावरणीय विकृति का सामना करना, जैव विविधता को बढ़ावा देना और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करना है। हालांकि, इसके महत्व के बावजूद, इस कोशिश को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है जो इसकी प्रभावशीलता और स्थिरता में बाधा डालती हैं।

पेड़ लगाने का महत्व

पेड़ भारतीय पारिस्थितिकी में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे आवश्यक पारिस्थितिक सेवाएँ प्रदान करते हैं जैसे:

  • कार्बन सीक्वेस्ट्रेशन: पेड़ कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करते हैं, जो ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करता है और जलवायु परिवर्तन के प्रति सजगता में मदद करता है।
  • जैव विविधता समर्थन: वन और पेड़ कई प्रजातियों के लिए आवास होते हैं, जो जैव विविधता संरक्षण को बढ़ावा देते हैं।
  • जल नियंत्रण: पेड़ की जड़ें मृदा संरचना को बनाए रखने में मदद करती हैं, भूस्खलन को रोकती हैं और जलवायु चक्रों को विनियमित करने में महत्वपूर्ण होती हैं, खासकर कृषि और जल सुरक्षा के लिए।
  • आजीविका और सामाजिक-आर्थिक लाभ: वानिकी और कृषि-वानिकी गतिविधियाँ विभिन्न लोगों को आजीविका प्रदान करती हैं, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में।

भारत सरकार ने पर्यावरण संरक्षण और कृषि सक्षमता को बढ़ावा देने के लिए कई वृक्षारोपण योजनाएं शुरू की हैं। इनमें से कुछ प्रमुख सरकारी पहलें हैं:

  1. ग्रीन इंडिया मिशन (Green India Mission): यह राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन कार्य योजना का एक हिस्सा है, जिसका उद्देश्य वन क्षेत्रों को बढ़ाना और पारिस्थितिकी तंत्र को बहाल करना है।
  2. राष्ट्रीय कृषि वानिकी नीति (National Agroforestry Policy): यह नीति किसानों को पेड़ लगाने और उनकी खेती में पेड़ों को शामिल करने के लिए प्रोत्साहित करती है, जिससे उनकी आय में वृद्धि हो सके और पर्यावरण संरक्षण हो सके।
  3. कैंपा (Compensatory Afforestation Fund Management and Planning Authority – CAMPA): यह योजना उन क्षेत्रों में वृक्षारोपण के लिए फंड प्रदान करती है जहां वन क्षेत्र विकास परियोजनाओं के कारण क्षतिग्रस्त हो जाते हैं।
  4. स्मार्ट सिटी मिशन (Smart City Mission): इस मिशन के तहत शहरों में हरित आवरण बढ़ाने के लिए वृक्षारोपण और हरित क्षेत्र विकसित करने के प्रयास किए जाते हैं।
  5. अमृत योजना (Atal Mission for Rejuvenation and Urban Transformation – AMRUT): यह योजना शहरी क्षेत्रों में हरित आवरण को बढ़ाने और सार्वजनिक स्थानों को हरियाली से सजाने के उद्देश्य से काम करती है।
  6. वन महोत्सव (Van Mahotsav): हर साल जुलाई में आयोजित होने वाला यह वार्षिक वृक्षारोपण उत्सव है, जिसमें देश भर में लाखों पेड़ लगाए जाते हैं।
  7. नेशनल मिशन फॉर ग्रीन इंडिया (National Mission for a Green India – GIM): यह मिशन पर्यावरणीय सेवाओं को सुधारने और वन क्षेत्रों को पुनर्स्थापित करने के लिए वृक्षारोपण को बढ़ावा देता है।
  8. महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MGNREGA): इस योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन के साथ-साथ वृक्षारोपण कार्य भी किए जाते हैं।

इन योजनाओं के माध्यम से सरकार का उद्देश्य न केवल पर्यावरण संरक्षण है बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी सशक्त बनाना है। हालांकि, इन योजनाओं की सफलता सुनिश्चित करने के लिए उचित निगरानी और देखभाल की आवश्यकता होती है। इतनी सारी सरकारी योजनाओ के होने के बाद भी पेडो की संख्या में कमी है जिसका मुख्य कारण पेडो का उचित देखभाल का न होना ।

पेड़ लगाने की चुनौतियाँ

इन लाभों के बावजूद, भारत में पेड़ लगाने को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है:

  1. वनों का कटाव: तेज शहरीकरण, औद्योगिकरण और कृषि विस्तार अक्सर वनों का कटाव करते हैं, पेड़ लगाने के लिए उपलब्ध भूमि को कम करते हैं।
  2. जागरूकता और भागीदारी की कमी: सामान्य जनता के बीच पेड़ लगाने के महत्व के बारे में अपर्याप्त जागरूकता, समुदाय सहभागिता और समर्थन की कमी के कारण पेड़ लगाने बाद भी कई पेड़ बच नही पाते ।
  3. जलवायु परिवर्तन के प्रभाव: अनियमित मौसम पैटर्न, बढ़ी हुई तापमान और बदलते वर्षा पैटर्न पेड़ सर्वाइवल दर और वृद्धि पर प्रभाव डालते हैं।
  4. संसाधन सीमाएं: सीमित वित्तीय संसाधन, तकनीकी विशेषज्ञता की कमी और बड़े पैम्फलेटन परियोजनाओं के लिए अपर्याप्त बुनियादी संरचना प्रभावी कार्यान्वयन में बाधा डालती हैं

पेड़ों की सुरक्षा और देखभाल के लिए कुछ महत्वपूर्ण कदम हैं। शुरुआती वर्षों में पेड़ों को नियमित पानी, खाद और पोषक तत्व देना आवश्यक है। पशुओं और अवांछित तत्वों से बचाने के लिए बाड़ लगाना चाहिए। जड़ों की सुरक्षा के लिए मिट्टी को ढंककर रखना जरूरी है। पेड़ की नियमित छंटाई से उसका स्वस्थ विकास होता है। समय-समय पर कीटनाशकों और फफूंदनाशकों का उपयोग करके कीट और रोगों से बचाव करना बहुत जरुरी है । स्थानीय समुदायों और किसानों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की जानी चाहिए। लोगों को पेड़ों की महत्ता और देखभाल के तरीकों के बारे में शिक्षित करना महत्वपूर्ण है। सरकार को वृक्षारोपण योजनाओं की नियमित निगरानी करनी चाहिए। इन उपायों से हम लगाए गए पेड़ों की सुरक्षा और विकास सुनिश्चित कर सकते हैं, जिससे पर्यावरण, कृषि और स्थानीय समुदायों को लाभ होगा।

Manali Upadhyay

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