हिन्दुस्तान संवाददाता, नई दिल्ली: देश के हाइवे अब उस हरियाली और छाया से वंचित हो चुके हैं जो कभी उनकी पहचान थी। पिछले दशक में सड़क चौड़ीकरण के अभियान ने इन हाइवे के किनारों पर लगे पेड़ों को नष्ट कर दिया है। अदालत ने पेड़ों की अंधाधुंध कटाई पर कई बार सख्ती दिखाई और वन विभाग ने पौधारोपण के अभियान भी चलाए, लेकिन जमीनी हकीकत इससे अलग है।
जमीनी हकीकत की जांच:
हिन्दुस्तान अख़बार की टीम ने बुधवार को हाइवे की जमीनी हकीकत की जांच की। यहां रिपोर्ट है:
पांच किलोमीटर तक पेड़ों का अभाव: जांच में पाया गया कि सड़क के दोनों किनारों पर पांच किलोमीटर तक कहीं भी पेड़ नजर नहीं आते।
कुंभ मेला के दौरान कटाई: मांडा क्षेत्र की विभिन्न हाइवे और मार्गों पर कुंभ मेला के दौरान सड़क चौड़ीकरण के लिए लगभग पचास हजार पेड़ काट दिए गए थे।
सरकारी दावा और वास्तविकता: सरकार ने घोषणा की थी कि सड़क चौड़ीकरण के बाद इन सड़कों पर 70 हजार पेड़ लगाए जाएंगे, लेकिन हकीकत यह है कि पांच किलोमीटर तक सड़क के किनारे एक भी पेड़ नहीं है।
VP प्रतापपुर हाइवे: यह हाइवे जिले की सबसे लंबी हाइवे है, जो 82 किलोमीटर की है और मांडा रोड से प्रतापपुर तक जाती है। पहले इस हाइवे पर हर पचास मीटर पर पेड़ होते थे जो अब गायब हो चुके हैं।
प्रभाव और चिंताएं:
हाइवे पर हरियाली की कमी से यात्रियों को धूप में छाया की कमी का सामना करना पड़ रहा है। पौधारोपण के बावजूद, देखभाल की कमी के कारण ये पौधे पेड़ नहीं बन पाए हैं और सूख गए हैं। मांडा बरौंधा, भारारी लालगंज, मांडा मेजा और पाली बढ़ा काला जैसी हाइवे पर भी यही स्थिति है।
वन विभाग का प्रयास:
शंकरगढ़ में वन विभाग का दावा है कि 2022-23 में लगभग 1500 पेड़ों को काटा गया था और 4000 पौधों को लगाया गया था। परंतु, देखभाल की कमी के कारण ये पौधे भी सूख गए हैं।
अधिकारियों का बयान:
वन रेंज अधिकारी शंकरगढ़, अजय कुमार ने बताया कि 2021-22 में कुल 1500 पेड़ों की कटाई हुई थी। विभाग ने 20 हजार पेड़ लगाए थे, लेकिन देखभाल की कमी के कारण 70% पौधे सूख गए।
हाइवे पर हरियाली की कमी और छाया की अनुपस्थिति यात्रियों के लिए एक गंभीर समस्या बन गई है। सरकार और संबंधित विभागों को इस ओर ध्यान देने और तुरंत हरियाली की पुनर्स्थापना के उपाय करने की आवश्यकता है ताकि आने वाली पीढ़ियों को एक हरा-भरा और पर्यावरण मित्र वातावरण मिल सके।