नई दिल्ली। भीषण गर्मी के बीच भारत में बढ़ता जल संकट देश की ऋण क्षमता के लिए हानिकारक है। इस संकट के कारण न सिर्फ खाद्य पदार्थों के दाम बढ़ेंगे बल्कि लोगों की आय भी घटेगी। इन कारणों से देश में सामाजिक अशांति का खतरा पैदा हो सकता है। मूडीज रेटिंग्स ने मंगलवार को जारी अपनी ‘भारत के समक्ष पर्यावरणीय जोखिम’ रिपोर्ट में कहा कि भारत की तेज आर्थिक वृद्धि, तेज औद्योगिकीकरण और शहरीकरण के कारण दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश में पानी की उपलब्धता कम होगी। यह संकट उन क्षेत्रों की ऋण क्षमता के लिए भी हानिकारक है जो अधिक मात्रा में पानी का उपयोग करते हैं, जैसे कोयला बिजली उत्पादन कंपनियां और इस्पात निर्माता। यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब राष्ट्रीय राजधानी के कुछ हिस्सों में जल संकट राजनीतिक मुद्दा बन गया है।
हालात बदतर होते जा रहे हैं
रेटिंग एजेंसी ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के प्रभाव तेजी से बढ़ने के कारण जल संकट और भी बदतर होता जा रहा है। इसका मतलब है कि भारत में पानी की कमी बढ़ती जा रही है। इसके कारण सूखा, लू और बाढ़ जैसी जलवायु संबंधी घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों के कारण लगातार बढ़ रही प्राकृतिक आपदाओं के अलावा तेज आर्थिक विकास के कारण भी पानी की खपत बढ़ रही है।
स्थिति और भयावह होगी… 1,367 क्यूबिक मीटर तक घट जाएगी पानी की उपलब्धता
जल संसाधन मंत्रालय के आंकड़ों का हवाला देते हुए मूडीज ने कहा कि भारत में प्रति व्यक्ति औसत वार्षिक जल उपलब्धता 2031 तक घटकर 1,367 क्यूबिक मीटर रह जाने की संभावना है। यह 2021 में पहले से ही 1,486 क्यूबिक मीटर से कम है। मंत्रालय के अनुसार 1,700 क्यूबिक मीटर से कम का स्तर जल संकट का संकेत देता है।
भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान के अनुसार, मानसून की बारिश कम हो रही है। 1950-2020 के दौरान हिंद महासागर में तापमान 1.2 डिग्री सेल्सियस प्रति शताब्दी की दर से बढ़ा है। यह 2020-2100 के दौरान 1.7-3.8 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ जाएगा। 1,700 क्यूबिक मीटर से कम का स्तर जल संकट को दर्शाता है।

समस्या से निपटने के तरीके: जल प्रबंधन में निवेश आवश्यक है
मूडीज ने कहा कि संभावित जल संकट से उत्पन्न जोखिमों को केवल दीर्घकालिक जल प्रबंधन में निवेश करके ही कम किया जा सकता है। विश्व बैंक की फरवरी 2023 की रिपोर्ट के अनुसार, इसने पिछले एक दशक में ग्रामीण समुदायों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने के लिए भारत सरकार के प्रयासों का समर्थन किया है। 1.2 बिलियन डॉलर की कुल फंडिंग वाली कई परियोजनाओं के माध्यम से, दो करोड़ से अधिक लोगों को लाभ हुआ है।
1.8 बिलियन डॉलर का आर्थिक नुकसान
एसबीआई के अनुमान के अनुसार, उत्तर भारत में बाढ़ और गुजरात में चक्रवात विपरजॉय ने 2023 में बुनियादी ढांचे को काफी नुकसान पहुंचाया। इससे देश की अर्थव्यवस्था को 1.2-1.8 बिलियन डॉलर का झटका लगा।
मूडीज़ के बारे में जानकारी
मूडीज़ इन्वेस्टर्स सर्विस (Moody’s Investors Service) मूडीज़ कॉरपोरेशन की बॉण्ड-क्रेडिट की रेटिंग करने वाली प्रमुख कंपनी है। इसे संक्षेप में ‘मूडीज़’ भी कहा जाता है। मूडीज़ निवेशक सेवा वाणिज्यिक और सरकारी संस्थाओं द्वारा जारी किए गए बॉण्डों पर अंतरराष्ट्रीय वित्तीय अनुसंधान प्रदान करती है। यह कंपनी दुनिया की सबसे बड़ी तीन क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों में से एक है, अन्य दो एजेंसियाँ स्टैंडर्ड एंड पुअर्स (S&P) और फिच समूह हैं।
मूडीज़ की सेवाएँ:
क्रेडिट रेटिंग: मूडीज़ एक मानकीकृत रेटिंग पैमाने का उपयोग करके उधारकर्ताओं की ऋणपात्रता को रैंक देती है। इस रेटिंग पैमाने में निवेशकों के संभावित नुकसान की गणना की जाती है। मूडीज़ की निवेशक सेवा बॉण्ड बाज़ार के विभिन्न खंडों में ऋण प्रतिभूतियों को रेटिंग देती है। इनमें सरकारी, म्यूनिसिपल और कॉर्पोरेट बॉण्ड, मनी मार्केट फंड, बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों सहित वित्तीय संस्थाएं, और संरचनागत वित्त में आस्ति श्रेणियां शामिल हैं।
रेटिंग स्केल: मूडीज़ की रेटिंग स्केल में प्रतिभूतियों को AAA से C तक की रेटिंग दी जाती है। AAA उच्चतम गुणवत्ता और C निम्नतम गुणवत्ता को दर्शाता है।
इतिहास:
मूडीज़ की स्थापना 1909 में जॉन मूडी द्वारा की गई थी, जो स्टॉक और बॉण्ड तथा बॉण्ड रेटिंग से संबंधित सांख्यिकी का मैनुअल बनाने के उद्देश्य से की गई थी। 1975 में यू.एस. सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (SEC) द्वारा मूडीज़ को राष्ट्रीय मान्यताप्राप्त सांख्यिकी रेटिंग संगठन (NRSRO) के रूप में मान्यता दी गई थी। कई दशकों तक डन एंड ब्राड्स्ट्रीट के स्वामित्व के बाद, मूडीज़ निवेशक सेवा 2000 में एक स्वतंत्र कंपनी बन गई। मूडीज़ की स्थापना एक होल्डिंग कंपनी के रूप में हुई।
हाल के घटनाक्रम:
हाल ही में मूडीज़ ने भारत सरकार के रेटिंग आउटलुक को स्थिर स्तर से कम करके नकारात्मक किया। यह निर्णय भारत की तेज आर्थिक वृद्धि, औद्योगिकीकरण और शहरीकरण के कारण उत्पन्न हुए पर्यावरणीय जोखिमों के मद्देनज़र लिया गया है।
मूडीज़ की क्रेडिट रेटिंग और वित्तीय अनुसंधान दुनिया भर के निवेशकों और वित्तीय संस्थानों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि यह उन्हें निवेश के जोखिम और प्रतिफल का आकलन करने में मदद करती है।
सौरभ पाण्डेय
Prakritiwad.com
source- अमर उजाला समाचार पत्र / विकिपीडिया /शोध