वॉशिंगटन, एजेंसी। जलवायु संकट का असर पनामा के छोटे द्वीपों को खाली करने की तैयारी की जा रही है। 300 परिवार सुरक्षित स्थान पर भेजे जाएंगे। पनामा के तटीय क्षेत्रों में रहने वाले लोग मुख्य रूप से समुद्री और पर्यटन पर निर्भर हैं।
गुणा समुद्र मर्ज़ी से नहीं बल्कि मजबूरी में जा रहे हैं। बढ़ते समुद्री स्तर को देखते हुए आदिवासी को जबरन दूसरी जगह जाने पर मजबूर हो रहे हैं। पर्यावरण मंत्रालय के अनुसार, 2050 तक समुद्र स्तर बढ़ने के कारण पनामा करीब 2.01 प्रतिशत तटीय इलाकों से हाथ धो बैठेगा।
समस्या की गहराई
पनामा के तटीय क्षेत्रों में समुद्र स्तर के बढ़ने से लोगों का जीवन संकट में है। जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के कारण, समुद्र स्तर में निरंतर वृद्धि हो रही है, जिससे तटीय क्षेत्र डूबने का खतरा है। इस कारण वहाँ रहने वाले परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित किया जा रहा है।
पनामा के लिए चुनौती
पनामा के तटीय क्षेत्र में रहने वाले लोग मुख्य रूप से मछली पकड़ने और पर्यटन पर निर्भर हैं। समुद्र स्तर के बढ़ने से उनके जीवन और आजीविका पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है। उनके लिए न केवल घर और जमीन खोने का खतरा है, बल्कि आजीविका के स्रोत भी खत्म हो रहे हैं।
सरकार की तैयारी
पर्यावरण मंत्रालय और स्थानीय प्रशासन ने इस समस्या का समाधान निकालने के लिए योजना बनाई है। 300 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित किया जाएगा। इसके लिए सरकार ने विशेष प्रावधान और योजनाएँ बनाई हैं ताकि प्रभावित परिवारों को नया जीवन और आजीविका मिल सके।
भविष्य की चिंता
विज्ञानिक रिपोर्टों के अनुसार, यदि जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को नहीं रोका गया तो आने वाले दशकों में समुद्र स्तर और भी बढ़ सकता है। इससे न केवल पनामा बल्कि अन्य तटीय देशों को भी गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
इस प्रकार, जलवायु परिवर्तन और समुद्र स्तर के बढ़ते खतरों से निपटने के लिए वैश्विक स्तर पर तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है। पनामा जैसे देशों के लिए यह एक चेतावनी है कि समय रहते उचित कदम उठाने चाहिए ताकि भविष्य की पीढ़ियों को सुरक्षित और स्थिर पर्यावरण मिल सके।