चाय की जड़ों में पाए जाने वाले बैक्टीरिया से मक्के की पैदावार और रोग प्रतिरोधक क्षमता में सुधार

saurabh pandey
4 Min Read

भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा किए गए हालिया अध्ययन से पता चला है कि चाय के पौधों की जड़ों के आसपास पाए जाने वाले बैक्टीरिया मक्के की पैदावार और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा सकते हैं। कोलकाता स्थित बोस इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं ने इस पर शोध किया है और इस खोज के नतीजे जर्नल आर्काइव्स ऑफ माइक्रोबायोलॉजी में प्रकाशित हुए हैं।

चाय के पौधों की जड़ों के बैक्टीरिया का महत्व

चाय के पौधों की जड़ों के आसपास पोषक तत्वों से भरपूर मिट्टी, जिसे राइजोस्फीयर कहा जाता है, में कुछ बैक्टीरिया मक्के के पौधों को बेहतर तरीके से बढ़ने में मदद कर सकते हैं। ये बैक्टीरिया मक्के की रोग-संबंधी कोशिकीय तनाव का प्रतिरोध करने की क्षमता को भी बढ़ा सकते हैं। इससे यह सुनिश्चित हो सकता है कि मक्के की फसल की गुणवत्ता और मात्रा दोनों में सुधार हो।

फसलों के लिए जैवउर्वरक के रूप में बैक्टीरिया का उपयोग

इस अध्ययन के अनुसार, इन बैक्टीरिया को पादप वृद्धि संवर्धक राइजोस्फीयर (PGPR) उपभेदों के रूप में जाना जाता है। इनका उपयोग प्रभावी जैव उर्वरक के रूप में किया जा सकता है, जो फसलों की पैदावार को बढ़ा सकता है। वर्तमान में, कृषि क्षेत्र में रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के बढ़ते उपयोग से पर्यावरण और स्वास्थ्य को खतरा हो रहा है। ऐसे में, यह जैवउर्वरक पर्यावरण और स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से सुरक्षित विकल्प प्रदान कर सकता है।

अध्ययन की विधि और परिणाम

अभ्रज्योति घोष के नेतृत्व में वैज्ञानिकों की एक टीम ने दार्जिलिंग (पश्चिम बंगाल) में चाय के पौधों की जड़ों से 90 जीवाणुओं को अलग किया। उन्होंने इन बैक्टीरिया को मक्के के बीजों पर मिलाया और फिर बीजों को 28 डिग्री सेल्सियस पर रात भर इनक्यूबेट किया। इसके बाद, बीजों को जीवाणुरहित मिट्टी में रोप दिया गया।

शोध के परिणाम ने दिखाया कि जिन बीजों को बैक्टीरिया कल्चर में इनक्यूबेट किया गया था, उनकी जड़ों और अंकुरों में अन्य बीजों की तुलना में अधिक वृद्धि देखी गई। बैक्टीरिया ने हवा में मौजूद नाइट्रोजन को स्थिर कर पौधों के लिए फॉस्फेट के उपयोग को सरल बना दिया। इस प्रक्रिया के चलते मक्के के पौधों की जड़ों और टहनियों में कैटेलेज और एस्कॉर्बेट पेरोक्सीडेज जैसे एंटीऑक्सीडेंट एंजाइमों की सक्रियता बढ़ गई और जड़ों में तनाव को नियंत्रित करने वाले अमीनो एसिड प्रोलाइन के स्तर में भी वृद्धि हुई।

बैक्टीरिया के संभावित लाभ

ब्रेवीबैक्टीरियम नामक बैक्टीरिया ने फफूंद से संक्रमित मक्के के पौधों में बीमारी को कम करने में मदद की। अन्य बैक्टीरिया ने विशिष्ट जीन और अणुओं को सक्रिय करके पौधों की प्रतिरक्षा को भी मजबूत किया। शोधकर्ताओं के अनुसार, यह बैक्टीरिया एक प्राकृतिक वैक्सीन की तरह काम करता है, जो पौधों को रोगों से पहले ही सुरक्षित रखता है।

इस अध्ययन से यह स्पष्ट होता है कि चाय की जड़ों में पाए जाने वाले बैक्टीरिया मक्के की फसल को लाभ पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं और भविष्य में इनका उपयोग कृषि में स्थिरता और उत्पादन बढ़ाने के लिए किया जा सकता है।

Source – down to earth

Share This Article
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *