गुजरात में भारी बारिश से हालात बिगड़े, बचाव और राहत के लिए सेना तैनात

saurabh pandey
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गुजरात में लगातार तीसरे दिन भारी बारिश के कारण स्थिति गंभीर हो गई है। इस आपदा के चलते सात लोगों की मौत हो चुकी है, 300 लोगों को बचाया गया है, और 15 हजार से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। प्रशासन ने बड़े पैमाने पर बचाव और राहत कार्य शुरू कर दिया है, जिसमें सेना की छह टुकड़ियाँ तैनात की गई हैं। देवभूमि द्वारका, आणंद, वडोदरा, खेड़ा, मोरबी और राजकोट जिलों में बचाव कार्यों के लिए सेना की टुकड़ियाँ तैनात की गई हैं, जबकि एनडीआरएफ की 14 और एसडीआरएफ की 22 टुकड़ियाँ बाढ़ प्रभावित इलाकों में काम कर रही हैं।

भारी बारिश और बाढ़ के प्रभाव

गुजरात के वडोदरा और अन्य जिलों में भारी जलभराव के कारण सामान्य जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। गांधीनगर, खेड़ा और वडोदरा जिलों में दीवार गिरने की घटनाओं में चार लोगों की मौत हो गई है। आणंद जिले में पेड़ गिरने से एक व्यक्ति की मौत हो गई और दो अन्य की बारिश के पानी में डूबने से मौत हो गई। बाढ़ के कारण पंचमहल, नवसारी, वलसाड, वडोदरा, भरूच, खेड़ा, गांधीनगर, बोटाद और अरावली जिलों में हजारों लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है।

भविष्यवाणी और आपातकालीन उपाय

राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र (एसईओसी) के अनुसार, गुजरात में अब तक औसत वार्षिक वर्षा का लगभग 100 प्रतिशत बारिश हो चुकी है। आईएमडी ने सौराष्ट्र-कच्छ क्षेत्र में बहुत भारी बारिश की भविष्यवाणी की है।

बिहार में बाढ़ की स्थिति

बिहार के कई इलाकों में नदियों का जलस्तर बढ़ने से बाढ़ की स्थिति बिगड़ गई है। जिलाधिकारी डॉ. चंद्रशेखर सिंह ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्र के 76 स्कूलों को 31 अगस्त तक बंद करने का आदेश दिया है। शिवहर जिले में बागमती नदी का जलस्तर 62 सेंटीमीटर बढ़ गया है। सीवान जिले के कई गांवों में सरयू नदी का पानी घुस गया है, और भागलपुर जिले में हाल ही में इस्माइलपुर बांध के टूटने से बाढ़ का पानी नए इलाकों में फैल रहा है। पटना के आठ इलाकों की 20 पंचायतें पानी से घिरी हुई हैं, और गया जिले में पुलिया क्षतिग्रस्त हो गई है, जिससे करीब 15 हजार लोग प्रभावित हुए हैं।

गुजरात और बिहार में भारी बारिश और बाढ़ से स्थिति काफी गंभीर हो गई है। दोनों राज्यों में बचाव और राहत कार्य तेजी से चल रहे हैं, और प्रभावित लोगों की सुरक्षा और पुनर्वास पर जोर दिया जा रहा है। यह आपदा सरकारों, प्रशासन और स्थानीय समुदायों के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती पेश करती है।

source- दैनिक जागरण

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