पशु चारा खाएंगे और दाना खाने से मानव स्वास्थ्य सुधरेगा

saurabh pandey
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जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय में अखिल भारतीय चारा अनुसंधान परियोजना (जेएनकेआरआई) के वैज्ञानिकों ने तेजी से बढ़ रही चारे की कमी को पूरा करने के लिए दो नई किस्में विकसित की हैं। इन वैज्ञानिकों ने बरसीम और जई की नई किस्में जवाहर बरसीम (जेबी08-17) और जवाहर जई (जेओ13-513) तैयार की हैं। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली ने इस शोध का समर्थन किया है। 12 राज्यों के लिए इन किस्मों की पहचान की गई है। जई की किस्म जेओ 13-513 का उपयोग पशु हरे चारे के रूप में किया जा सकेगा तो मनुष्य इसके दाने का उपयोग पौष्टिक आहार के रूप में कर सकेंगे। इसमें नौ प्रतिशत प्रोटीन और 14 प्रतिशत फाइबर होता है। दावा है कि इसके सेवन से पाचन तंत्र 70 प्रतिशत तक मजबूत होता है। दूसरी नई फसल जवाहर बरसीम का उपयोग पशुओं के चारे के रूप में ही किया जाता है।

वैज्ञानिकों ने प्रोटीन और फाइबर से भरपूर जई और बरसीम की दो नई किस्में तैयार की हैं। ये नई किस्में 12 राज्यों में फलेंगी और गजट नोटिफिकेशन जल्द ही जारी किया जाएगा।

फाइबर युक्त जई और बरसीम की दो नई किस्में, सौ वंशावली विश्वविद्यालय केवल इसी का उपयोग किया जाएगा। यह गीले और सूखे चारे का अच्छा विकल्प है। इसमें 19 प्रतिशत प्रोटीन होता है। अखिल भारतीय चारा अनुसंधान परियोजना के अंतर्गत विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिक डॉ. अमित झा, डॉ. पुष्पेंद्र यादव, डॉ. एसके बिलैया, डॉ. एके मेहता, डॉ. आरती श्रीवास्तव, डॉ. एसबी दास ने इन दो नई फसलों पर छह साल तक शोध किया। उन्होंने पशुओं के लिए चारे की लगातार कम होती कमी को ध्यान में रखते हुए इसे तैयार किया है।

“विश्वविद्यालय की अखिल भारतीय चारा परियोजना के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित जई और बरसीम की दो प्रजातियां प्रदेश और देश के पशुपालकों के लिए दूध उत्पादन में सहायक होंगी। पशुपालकों की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक चारे की नई किस्में विकसित करने की दिशा में लगातार आगे बढ़ रहे हैं। इसकी खासियत यह है कि यह कम क्षेत्र में भी अधिक उत्पादन देता है। जेएनकेआरआई ने अब तक 20 से अधिक चारा किस्में विकसित की हैं।”

इन राज्यों के लिए है उपयोगी: कृषि वैज्ञानिक डॉ. अमित झा ने बताया कि केंद्रीय बीज समिति की मंजूरी की मुहर लगते ही गजट नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया जाएगा। मध्य प्रदेश के अलावा इसे पंजाब, राजस्थान, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, महाराष्ट्र, बंगाल, सिक्किम, बिहार और असम में लगाया जा सकेगा।

जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित की गईं जई और बरसीम की नई किस्में, “जवाहर बरसीम (जेबी08-17)” और “जवाहर जई (जेओ13-513),” पशु चारा और मानव पोषण के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हैं। ये नई किस्में प्रोटीन और फाइबर से भरपूर हैं, जो न केवल पशुओं की चारे की कमी को पूरा करेंगी, बल्कि मानव स्वास्थ्य में भी सुधार लाएंगी। इन किस्मों को 12 राज्यों में उपयोग के लिए मान्यता प्राप्त हुई है। इस अध्ययन को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली का समर्थन प्राप्त है और जल्द ही गजट नोटिफिकेशन जारी किया जाएगा। इस उपलब्धि से पशुपालकों और किसानों को चारे की समस्या का समाधान मिलेगा और यह कृषि और पशुपालन क्षेत्र में एक बड़ा योगदान साबित होगा।

source- दैनिक जागरण

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