भारत में आकाशीय बिजली की घटनाओं की संख्या साल-दर-साल बढ़ती जा रही है। एक नए अध्ययन के मुताबिक, साल 1967 से 2020 के बीच आकाशीय बिजली गिरने से 1,01,309 लोगों की मौत हुई। विशेष रूप से 2010-2020 के बीच इन मौतों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है। अध्ययन के अनुसार, मध्य और पूर्वोत्तर भारत में सबसे अधिक मौतें हो रही हैं, जहां अकेले मध्य भारत में 50,884 (50 फीसदी) मौतें दर्ज की गई हैं।
आंध्र, असम, और पूर्वी उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक खतरा
अध्ययन के अनुसार, मध्य भारत, उत्तर-पश्चिम भारत और दक्षिण प्रायद्वीपीय भारत में आकाशीय बिजली गिरने की घटनाएं विशेष रूप से अधिक हो रही हैं। आंकड़ों से पता चलता है कि हर साल औसतन 1,876 मौतें होती हैं। बदलती जलवायु परिस्थितियों के कारण बिजली गिरने की बढ़ती आवृत्ति और तीव्रता ने पिछले कुछ सालों में मौतों की संख्या को बढ़ा दिया है। साल 2010 से 2020 के बीच लगभग एक तिहाई मौतें दर्ज की गई हैं।
जलवायु परिवर्तन और आकाशीय बिजली
शोधकर्ताओं के अनुसार, आकाशीय बिजली एक सामान्य प्राकृतिक घटना है, विशेषकर मॉनसून के दौरान। लेकिन जलवायु परिवर्तन के कारण चरम मौसम की घटनाओं में वृद्धि देखी जा रही है। पर्यावरण क्षरण, जलवायु परिवर्तन, और पूर्व चेतावनी प्रणालियों की कमी भी इस समस्या को बढ़ावा दे रही हैं।
सुरक्षा उपाय और नीतियों का महत्व
अध्ययनकर्ताओं का कहना है कि इस अध्ययन का उद्देश्य आकाशीय बिजली से होने वाली मौतों की बढ़ती संख्या के पीछे के कारणों की जानकारी देना और प्रभावी सुरक्षा प्रणालियों और नीतियों के विकास को बढ़ावा देना है। अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और लैटिन अमेरिका में बिजली से जुड़ी आपदाओं से निपटने के लिए उठाए गए कदमों को देखते हुए, भारत को भी बेहतर चेतावनी प्रणाली और सुरक्षित बुनियादी ढांचा बनाने की जरूरत है।
आवश्यक कदम
- पूर्व चेतावनी प्रणालियों का सुधार: आकाशीय बिजली से बचाव के लिए पहले से चेतावनी देने वाली प्रणालियों को सुदृढ़ किया जाना चाहिए।
- सुरक्षित बुनियादी ढांचे का निर्माण: आकाशीय बिजली से सुरक्षित बुनियादी ढांचा तैयार करना आवश्यक है।
- शोध और सामुदायिक सहभागिता में निवेश: शोध और सामुदायिक जागरूकता बढ़ाने के लिए निवेश की आवश्यकता है।
- जलवायु परिवर्तन पर ध्यान: जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए ठोस कदम उठाना आवश्यक है।
भारत जैसे विकासशील देशों के लिए आकाशीय बिजली से जुड़ी आपदाओं के खिलाफ तैयार रहना एक चुनौतीपूर्ण लेकिन महत्वपूर्ण कार्य है। चक्रवात, बाढ़, और सूखे से निपटने के लिए तैयारियां तो की गई हैं, लेकिन आकाशीय बिजली और हीटवेव जैसी घटनाओं के लिए भी ठोस उपायों की आवश्यकता है। अध्ययन के सुझावों के अनुसार, प्रभावी सुरक्षा प्रणालियों और जागरूकता के साथ इन मौतों को कम किया जा सकता है।
Source- down to earth