अमेरिका विश्व में मीथेन उत्सर्जन का शीर्ष देश: अध्ययन की प्रमुख बातें

saurabh pandey
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हाल के एक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि अमेरिका वायुमंडल में मीथेन गैस के सबसे बड़े उत्सर्जक के रूप में उभरा है। पर्यावरण डेटा कंपनी कैरोस द्वारा किए गए इस अध्ययन के अनुसार, अमेरिका न केवल मीथेन उत्सर्जन में वृद्धि कर रहा है, बल्कि इसके साथ ही राष्ट्रपति चुनाव के ठीक पहले, देश की राजनीतिक स्थिति में भी यह विषय एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

मीथेन गैस: एक प्रमुख जलवायु संकट

मीथेन, जिसे ग्रीनहाउस गैसों में से एक माना जाता है, का उत्सर्जन मुख्य रूप से प्राकृतिक गैस के उत्पादन, परिवहन, और पशुधन से होता है। यह गैस जलवायु परिवर्तन पर गंभीर प्रभाव डालती है, क्योंकि इसका गर्मी को अवशोषित करने का प्रभाव कार्बन डाइऑक्साइड से लगभग 80 गुना अधिक होता है।

न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका का जीवाश्म ईंधन उद्योग वायुमंडल में मीथेन की मात्रा को बढ़ाने में योगदान दे रहा है, जबकि देश ने उत्सर्जन में कटौती करने के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रयासों की अगुवाई का दावा किया है।

राजनीतिक परिप्रेक्ष्य

5 नवंबर को होने वाले राष्ट्रपति चुनावों के दौरान, सभी प्रमुख उम्मीदवार ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी का वादा कर रहे हैं। इसके बावजूद, अध्ययन में यह स्पष्ट किया गया है कि अमेरिका का मीथेन उत्सर्जन दर लगातार बढ़ता जा रहा है। हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन द्वारा हस्ताक्षरित जलवायु कानून में मीथेन उत्सर्जन को कम करने के लिए अरबों डॉलर का प्रावधान है, लेकिन इन प्रयासों के बावजूद, उत्पादन में वृद्धि के कारण कुल उत्सर्जन में कमी नहीं आई है।

वैश्विक प्रभाव

अध्ययन ने यह भी दिखाया है कि अमेरिका की बढ़ती मीथेन उत्सर्जन दर न केवल राष्ट्रीय स्तर पर, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी गंभीर परिणाम उत्पन्न कर सकती है। जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए सभी देशों को मिलकर काम करने की आवश्यकता है। हालांकि, चीन, जो कि दुनिया का सबसे बड़ा कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन उत्सर्जक है, ने अभी तक इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया है।

इस अध्ययन ने स्पष्ट किया है कि अमेरिका मीथेन उत्सर्जन को कम करने के लिए अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में विफल रहा है। आने वाले समय में जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का सामना करने के लिए, न केवल अमेरिका को बल्कि सभी देशों को मिलकर काम करने की आवश्यकता है। केवल नीतियों के निर्माण से ही समस्या का समाधान नहीं होगा, बल्कि उन्हें प्रभावी तरीके से लागू करने की भी आवश्यकता है।

अमेरिका का मीथेन उत्सर्जन बढ़ता जा रहा है, जो जलवायु परिवर्तन के लिए एक गंभीर चिंता का विषय है। इसे नियंत्रित करने के लिए आवश्यक है कि वैश्विक स्तर पर सहयोग बढ़ाया जाए, और वास्तविकता में किया गया कार्य चुनावी वादों से मेल खाता हो।

source- down to earth

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