कीटनाशकों के दुष्चक्र में उलझी कृषि: नई पहल की आवश्यकता

saurabh pandey
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कृषि क्षेत्र में पर्यावरणीय संकट और स्वास्थ्य समस्याओं का समाधान निकालने के लिए सात देशों ने महत्वपूर्ण कदम उठाया है। भारत, इक्वाडोर, केन्या, लाओस, फिलीपींस, उरुग्वे और वियतनाम ने मिलकर किसानों को 379 मिलियन डॉलर की वित्तीय सहायता प्रदान करने का फैसला किया है। इस पहल का मुख्य उद्देश्य है कि प्लास्टिक और कीटनाशकों के उपयोग को कम किया जाए, जो मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा पैदा कर रहे हैं।

प्लास्टिक का बढ़ता उपयोग: एक नई चुनौती

कृषि में प्लास्टिक का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है, जो पर्यावरणीय स्थिरता के लिए एक बड़ी चुनौती है। हर साल लगभग 12 बिलियन किलोग्राम कृषि प्लास्टिक का उपयोग किया जाता है, जो मुख्य रूप से ग्रीनहाउस निर्माण और फसलों की देखभाल के लिए प्रयोग होता है। ‘प्लास्टिक मल्चिंग’ विधि का इस्तेमाल फसलों की पंक्तियों को ढकने के लिए किया जाता है, ताकि जड़ों की सुरक्षा की जा सके और खरपतवारों को रोका जा सके। इसके अलावा, प्लास्टिक का उपयोग छाया और सुरक्षात्मक जाल बनाने के साथ-साथ सिंचाई उपकरणों में भी किया जाता है।

प्लास्टिक के उपयोग के बाद इसे पूरी तरह से एकत्र करना और पुनः उपयोग या रिसाइकिल करना मुश्किल होता है, क्योंकि यह जल्दी खराब हो जाता है। इसके परिणामस्वरूप, मिट्टी में सूक्ष्म और नैनो प्लास्टिक जमा हो जाते हैं, जो मिट्टी और जल स्रोतों को प्रदूषित करते हैं।

कीटनाशकों का खतरा: स्वास्थ्य और पर्यावरण पर प्रभाव

कृषि में कीटनाशकों का उपयोग आजकल लगभग अनिवार्य हो गया है, लेकिन इसके दुष्प्रभाव भी गंभीर हैं। हर साल करीब 4 अरब टन कीटनाशकों का उपयोग होता है, और इसके जहरीले प्रभावों के कारण हर साल हजारों किसान और अन्य लोग मौत के शिकार होते हैं। कीटनाशक त्वचा, आंखों, और श्वसन प्रणाली के माध्यम से शरीर में प्रवेश करते हैं, और इसके कण वातावरण, वर्षा जल, जल स्रोतों और मिट्टी में मिलकर पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंचाते हैं। इसके अतिरिक्त, कीटनाशक पशु-पक्षियों, सूक्ष्म जीवों और जलीय जीवन के लिए भी हानिकारक हैं.

सतत विकास की दिशा में कदम

कृषि को पर्यावरण के अनुकूल बनाना बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन, ऊर्जा खपत, भूमि उपयोग, भूजल निष्कर्षण, और वनों की कटाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए, हमें प्लास्टिक और कीटनाशकों के उपयोग को नियंत्रित करने और पर्यावरणीय दृष्टिकोण से सुरक्षित कृषि पद्धतियों को अपनाने की जरूरत है।

सात देशों की इस नई पहल से उम्मीद की जा रही है कि यह अन्य देशों के लिए एक आदर्श प्रस्तुत करेगा और वैश्विक स्तर पर कृषि क्षेत्र के पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने में मददगार साबित होगा।

कृषि क्षेत्र में प्लास्टिक और कीटनाशकों के बढ़ते उपयोग के पर्यावरणीय और स्वास्थ्य प्रभावों को देखते हुए, सात देशों की वित्तीय सहायता की पहल एक सकारात्मक कदम है। प्लास्टिक और कीटनाशकों का अति प्रयोग केवल पर्यावरण के लिए ही नहीं, बल्कि मानव स्वास्थ्य के लिए भी गंभीर खतरा पैदा कर रहा है। प्लास्टिक के पुनः उपयोग की कठिनाइयों और कीटनाशकों के जहरीले प्रभावों को देखते हुए, सतत कृषि पद्धतियों को अपनाना अनिवार्य हो गया है।

यह वैश्विक प्रयास न केवल कृषि में पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देगा, बल्कि अन्य देशों को भी प्रेरित करेगा कि वे अपनी कृषि नीतियों में सुधार करें। वित्तीय सहायता और नई पहल के माध्यम से, इन देशों ने एक महत्वपूर्ण दिशा दिखायी है जिसमें प्लास्टिक और कीटनाशकों के उपयोग को कम करके एक स्वस्थ और सुरक्षित पर्यावरण की ओर कदम बढ़ाया जा सकता है। इस प्रकार की पहल से उम्मीद की जाती है कि भविष्य में कृषि के पर्यावरणीय प्रभावों को कम करने में सफलता मिलेगी, जिससे न केवल पर्यावरणीय सुरक्षा सुनिश्चित होगी, बल्कि मानव स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

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