इंदौर: स्वच्छता में लगातार सात बार देश में नंबर वन शहर रहा इंदौर स्वास्थ्य के लिहाज से भी सर्वोत्तम बना रहा। इंदौर में पिछले तीन वर्षों के दौरान अस्थमा और सीओपीडी (क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) के मामले में कमी आई है। यह जानकारी स्वास्थ्य विभाग के रिकॉर्ड से मिली है।
स्वास्थ्य विभाग के गैर-संचारी रोग नियंत्रण प्रकोष्ठ (एनसीडी) के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2021-22 में अस्थमा के 278 और सीओपीडी के 904 मामले सामने आए थे। वर्ष 2022-23 में अस्थमा के 170 और सीओपीडी के 368 मामले दर्ज किए गए। इस वर्ष 2023-24 में अस्थमा के मामले घटकर 150 और सीओपीडी के 458 रह गए।
शहर में स्वच्छता के प्रयासों का असर दिखाई देने लगा है। मुनिसिपल्टी द्वारा शहर की सड़कों पर नियमित सफाई, कचरा प्रबंधन और पॉल्यूशन कंट्रोल के लिए उठाए गए कदमों का प्रभाव साफ देखा जा सकता है।
इन प्रयासों से धूल मुक्त हुआ शहर:
सड़कों की मैकेनाइज्ड स्वीपिंग पद्धति से लगातार सफाई, जिससे धूल के कण वातावरण में नहीं फैल पाते।
निर्माण-अपशिष्ट सामग्री की नियमित साफ-सफाई, मलबों को कचरा संग्रहण केंद्रों तक पहुंचाया जाना।
नियमित फॉगिंग, स्प्रे और कचरा प्रबंधन से सड़कों पर धूल कम फैली।
कचरा, खासतौर पर पूरी तरह से सूखे और गीले कचरे को अलग-अलग कलेक्शन।
हरे भरे बाग-बगीचों और ग्रीन बेल्टों का विस्तार, जिससे हवा की गुणवत्ता में सुधार हुआ है।
स्वच्छता के इन प्रयासों से इंदौर ने देश के अन्य शहरों के लिए एक मिसाल कायम की है। विशेषज्ञों का कहना है कि स्वच्छता और स्वास्थ्य का सीधा संबंध है। इंदौर में किए गए सफल प्रयासों से अन्य शहर भी प्रेरित हो सकते हैं और अपने यहां स्वच्छता अभियान को और प्रभावी बना सकते हैं।