कृषि: भारतीय अर्थव्यवस्था का प्रमुख इंजन

saurabh pandey
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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तुत केंद्रीय बजट में कृषि क्षेत्र को विशेष महत्व दिया गया है। इसे विकसित भारत की अर्थव्यवस्था का पहला इंजन बताया गया है। हालांकि, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय को इस बार पिछले वर्ष की तुलना में कम बजट आवंटित किया गया है। इसके बावजूद, कृषि उत्पादकता बढ़ाने और किसानों की स्थिति सुधारने के लिए कई अहम घोषणाएं की गई हैं।

कृषि बजट और किसानों के लिए नई योजनाएं

वित्त मंत्री ने बजट में किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) के तहत ऋण की सीमा तीन लाख से बढ़ाकर पांच लाख रुपये कर दी है। यह कदम किसानों, मछुआरों और पशुपालकों के लिए आर्थिक संबल प्रदान करेगा। हालांकि, इस योजना का लाभ सभी किसानों तक पहुंच पाना अब भी एक चुनौती बना हुआ है।

मुख्य बिंदु:

  • केसीसी लोन की सीमा बढ़ाई गई – इससे 7.7 करोड़ किसानों को फायदा होगा।
  • कृषि मंत्रालय को 1,37,756.55 करोड़ रुपये आवंटित – यह पिछले वर्ष की तुलना में मामूली बढ़ोतरी है।
  • कृषि अनुसंधान और विकास के लिए 10,466.39 करोड़ रुपये – उच्च उत्पादकता वाले बीज और तकनीकी नवाचारों पर जोर।
  • दलहन और तिलहन उत्पादन पर विशेष ध्यान

देश में दालों की बढ़ती मांग और आयात पर निर्भरता को कम करने के लिए सरकार ने ‘दलहन में आत्मनिर्भरता मिशन’ की घोषणा की है। इस योजना के तहत:

  • अरहर, उड़द और मसूर की खेती को बढ़ावा दिया जाएगा।
  • 1000 करोड़ रुपये का छह वर्षीय मिशन लॉन्च किया गया है।
  • सरकार अगले चार वर्षों तक सभी दालों की खरीद करेगी, जिससे किसानों को सीधा लाभ मिलेगा।

इसी तरह, खाद्य तेलों के आयात को कम करने के लिए तिलहन विकास कार्यक्रम में भी निवेश बढ़ाने की आवश्यकता जताई गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस क्षेत्र में सरकार को कम से कम 5,000 करोड़ रुपये अतिरिक्त आवंटित करने चाहिए।

कृषि क्षेत्र में तकनीकी सुधार और नवाचार

भारत सरकार अब उच्च उपज वाले बीज मिशन को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित कर रही है। इसके तहत:

  • जलवायु अनुकूल और कीट प्रतिरोधी बीजों का विकास किया जाएगा।
  • 100 से अधिक नई किस्मों के बीज जुलाई 2024 से बाजार में उपलब्ध होंगे।
  • दूसरा जीन बैंक स्थापित किया जाएगा, जिससे पोषण सुरक्षा सुनिश्चित होगी।

ग्रामीण विकास और रोजगार योजनाएं

बजट में ग्रामीण विकास मंत्रालय के लिए 1.88 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए गए, जो पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 5.75% अधिक है।

मनरेगा योजना के तहत:

  • 86,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है।
  • ग्रामीण बुनियादी ढांचे और आर्थिक सुधार को गति देने का प्रयास किया गया है।

कृषि क्षेत्र को लेकर सरकार की प्रतिबद्धता स्पष्ट रूप से नजर आती है। हालांकि, बजट में कुछ कटौतियां भी की गई हैं, लेकिन नए उपायों और योजनाओं से किसानों को दीर्घकालिक लाभ मिलने की संभावना है। भारत को खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार को और अधिक ठोस कदम उठाने की जरूरत है।

सरकार की नीतियों और योजनाओं का प्रभाव तभी दिखाई देगा जब उनका क्रियान्वयन जमीनी स्तर पर प्रभावी ढंग से किया जाएगा। किसानों की आय बढ़ाने, कृषि उत्पादकता सुधारने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने के लिए नवाचार और स्थायी समाधान अपनाने होंगे। सही रणनीतियों और नीतिगत सुधारों के साथ, कृषि भारत की अर्थव्यवस्था का असली इंजन बन सकता है।

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