22 जुलाई 2024, वैश्विक औसत तापमान 17.16 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचा, जिसे अब तक का सबसे गर्म दिन घोषित किया गया। इस साल ने जलवायु परिवर्तन के खतरनाक संकेतों को उजागर करते हुए पृथ्वी के इतिहास में सबसे गर्म वर्ष का खिताब हासिल किया। जलवायु परिवर्तन पर काम करने वाली एजेंसी कोपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस की रिपोर्ट के मुताबिक, यह पहला वर्ष था जब औसत वैश्विक तापमान ने पूर्व-औद्योगिक स्तर से 1.5 डिग्री सेल्सियस की सीमा को पार कर लिया। यह बदलाव वैश्विक तापमान वृद्धि और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों की गंभीरता को दर्शाता है।
2024 के प्रमुख जलवायु प्रभाव
1. अत्यधिक गर्मी और आपदाएं
- जुलाई 2024 में वैश्विक स्तर पर 44% क्षेत्र “गंभीर” या “अत्यधिक” गर्मी की चपेट में रहा।
- कनाडा और बोलीविया जैसे देशों में जंगल की आग ने रिकॉर्ड तोड़ दिए।
- उच्च तापमान और आर्द्रता ने गर्मी के गंभीर हालात पैदा किए।
2. एल नीनो का योगदान
- 2024 की गर्मी बढ़ाने में एल नीनो घटना ने भी अहम भूमिका निभाई। यह प्राकृतिक घटना गर्म और शुष्क मौसम की स्थिति को बढ़ावा देती है, जिससे वैश्विक स्तर पर तापमान बढ़ता है।
3. समुद्री तापमान और बर्फ का पिघलना
- उत्तरी अटलांटिक, भारतीय महासागर और पश्चिमी प्रशांत महासागर में समुद्री सतह का तापमान रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचा।
- अंटार्कटिका और आर्कटिक में समुद्री बर्फ का स्तर रिकॉर्ड निम्न पर रहा।
4. ग्लोबल वॉर्मिंग का आंकड़ा
- 2024 का औसत वैश्विक तापमान 1850-1900 के औसत से 1.6 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा।
- कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर 422 पीपीएम और मीथेन का स्तर 1897 पीपीबी तक पहुंच गया।
क्षेत्रीय प्रभाव
1. यूरोप
- औसत तापमान 10.69 डिग्री सेल्सियस रहा, जो 1991-2020 के औसत से 1.47 डिग्री सेल्सियस अधिक था।
- यूरोप के लिए यह अब तक का सबसे गर्म वर्ष साबित हुआ।
2. महासागर और ग्लेशियर
- औसत समुद्री सतह का तापमान 20.87 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया।
- अंटार्कटिका में नवंबर 2024 में समुद्री बर्फ का विस्तार रिकॉर्ड न्यूनतम स्तर पर रहा।
भारत में स्थिति
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, 2024 भारत का अब तक का सबसे गर्म वर्ष रहा। पूरे साल देश के विभिन्न हिस्सों में उच्च तापमान, बेमौसम बारिश और सूखे की घटनाएं दर्ज की गईं।
जलवायु संकट पर वैज्ञानिकों की चेतावनी
कोपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस के निदेशक कार्लो बुएंटेम्पो ने कहा, “2024 ने स्पष्ट कर दिया है कि जलवायु परिवर्तन की दिशा को बदलना मानवता के हाथ में है। इसके लिए हमें तुरंत और निर्णायक कदम उठाने होंगे।”
यूरोपीय आयोग के पर्यवेक्षक माउरो फकीनी ने कहा, “जलवायु संकट से निपटने में विज्ञान और नवाचार महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। हमारे पास इसके प्रभावों को कम करने और अनुकूलन के लिए काम करने का अवसर है।”
2024 की यह ऐतिहासिक रिपोर्ट स्पष्ट करती है कि जलवायु परिवर्तन अब केवल भविष्य का खतरा नहीं, बल्कि वर्तमान की वास्तविकता बन चुका है। सभी देशों को अपने प्रयासों को तेज करना होगा और कार्बन उत्सर्जन को नियंत्रित करने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। जलवायु संकट से निपटने के लिए यह समय की मांग है कि हम नवाचार, नीतियों और सामूहिक प्रयासों के जरिए भविष्य को सुरक्षित बनाएं।
2024 की रिकॉर्ड गर्मी और कोपरनिकस की रिपोर्ट ने यह साबित कर दिया है कि जलवायु परिवर्तन अब महज एक चेतावनी नहीं, बल्कि हमारे जीवन का हिस्सा बन चुका है। औसत वैश्विक तापमान का 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो जाना स्पष्ट करता है कि मानव गतिविधियों का पर्यावरण पर प्रभाव बेहद गंभीर हो चुका है।
इस संकट से निपटने के लिए वैश्विक और स्थानीय स्तर पर तत्काल और ठोस प्रयासों की आवश्यकता है। कार्बन उत्सर्जन में कटौती, नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा, और जलवायु अनुकूलन उपाय अपनाना समय की सबसे बड़ी मांग है।
यह स्पष्ट है कि यदि अब भी decisive कदम नहीं उठाए गए, तो भविष्य में प्राकृतिक आपदाओं और जलवायु अस्थिरता के और भी भयावह परिणाम देखने को मिल सकते हैं। इसलिए, सभी सरकारों, संगठनों और व्यक्तियों को सामूहिक रूप से इस दिशा में प्रयास करना होगा ताकि हम आने वाली पीढ़ियों के लिए एक सुरक्षित और संतुलित पृथ्वी सुनिश्चित कर सकें।