वायु प्रदूषण: सुबह की सैर और व्यायाम में बरतें सावधानी

saurabh pandey
6 Min Read

दिल्ली और देश के कई बड़े शहरों में वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका है, जिससे लोगों की सेहत पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि वायु प्रदूषण का असर न केवल फेफड़ों और हृदय पर पड़ता है, बल्कि यह मस्तिष्क और प्रतिरक्षा प्रणाली को भी नुकसान पहुंचाता है। जिन लोगों को पहले से श्वसन, हृदय या मधुमेह जैसी पुरानी बीमारियां हैं, उनके लिए प्रदूषित हवा और ज्यादा घातक साबित हो सकती है।

प्रदूषण के कारण बढ़ती बीमारियां

वायु प्रदूषण के सबसे चिंताजनक प्रभावों में पीएम 2.5 और पीएम 10 जैसे कणों का शरीर में प्रवेश शामिल है। ये सूक्ष्म कण इतने छोटे होते हैं कि वे फेफड़ों और रक्तप्रवाह में आसानी से घुस जाते हैं, जिससे धमनियों में रुकावट पैदा हो सकती है और दिल का दौरा पड़ने का खतरा बढ़ जाता है। डॉक्टरों का कहना है कि लंबे समय तक प्रदूषित हवा में सांस लेने से क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD), अस्थमा, और ब्रोंकाइटिस जैसी बीमारियों का खतरा भी बढ़ता है।

एम्स के डॉ. राकेश यादव बताते हैं, “प्रदूषण के कारण हृदय की धड़कन अनियमित हो सकती है, जिससे कार्डियक अरेस्ट का खतरा बढ़ जाता है। कई शोधों से यह भी साबित हुआ है कि खराब हवा का असर केवल शरीर पर ही नहीं, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है।”

सुबह की सैर और व्यायाम में बरतें सावधानी

अक्सर लोग स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहते हुए सुबह की सैर पर जाते हैं या खुली हवा में व्यायाम करना पसंद करते हैं, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि प्रदूषण के उच्च स्तर के दौरान ऐसा करना नुकसानदेह साबित हो सकता है। सुबह और शाम के समय वायु गुणवत्ता और भी खराब हो जाती है, इसलिए इस दौरान बाहर व्यायाम करने से बचना चाहिए। जी.बी. पंत अस्पताल के डॉ. यूसुफ जमाल का कहना है, “जो लोग पहले से हृदय, श्वसन या मधुमेह जैसी बीमारियों से पीड़ित हैं, उन्हें बाहर सैर करने से बचना चाहिए और घर में ही हल्का व्यायाम करना चाहिए।”

एन-95 मास्क: प्रदूषण से बचने का कारगर उपाय

प्रदूषण से बचने के लिए एन-95 मास्क का इस्तेमाल जरूरी है। विशेषज्ञों का कहना है कि कपड़े के मास्क प्रदूषण के कणों को पूरी तरह से नहीं रोक पाते, इसलिए एन-95 मास्क ज्यादा कारगर हैं। “विशेषकर बुजुर्गों, बच्चों और बीमार लोगों को बिना मास्क लगाए बाहर नहीं निकलना चाहिए,” डॉ. आशीष अग्रवाल, पल्मोनोलॉजिस्ट, सलाह देते हैं।

प्रदूषण का मस्तिष्क पर असर

वायु प्रदूषण का असर न केवल फेफड़ों और हृदय तक सीमित है, बल्कि यह मस्तिष्क को भी प्रभावित करता है। शोधों से पता चला है कि प्रदूषित हवा में मौजूद जहरीले तत्व मस्तिष्क की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाते हैं, जिससे अल्जाइमर और डिमेंशिया जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ता है। इसके अलावा, खराब हवा का असर एकाग्रता और याददाश्त पर भी पड़ता है, खासकर बच्चों और बुजुर्गों में।

दिल्ली सरकार का एक्शन प्लान

दिल्ली सरकार ने वायु प्रदूषण से निपटने के लिए कई कदम उठाए हैं। ग्रीन वॉर रूम के जरिए वायु गुणवत्ता पर लगातार नजर रखी जा रही है, और धूल-रोधी अभियान के तहत 2,700 से अधिक निर्माण स्थलों का निरीक्षण किया गया है। अब तक 76 स्थलों पर नियमों के उल्लंघन के लिए 17.40 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।

इसके अलावा, 85 मैकेनिकल रोड स्वीपिंग मशीनें और 500 वाटर स्प्रिंकलर लगाए गए हैं ताकि सड़कों पर धूल को कम किया जा सके। सरकार ने नवंबर से मोबाइल एंटी-स्मॉग गन की संख्या बढ़ाने का भी फैसला किया है।

लोगों को भी निभानी होगी जिम्मेदारी

प्रदूषण पर काबू पाने के लिए सरकार के प्रयासों के साथ-साथ आम जनता की भागीदारी भी जरूरी है। पर्यावरणविदों का कहना है कि लोगों को कारपूलिंग, पब्लिक ट्रांसपोर्ट का अधिक उपयोग करना चाहिए और वाहनों की अनावश्यक आवाजाही से बचना चाहिए। इसके अलावा, पौधारोपण और बायो-डीकंपोजर के छिड़काव जैसे प्रयास भी प्रदूषण कम करने में मददगार हो सकते हैं।

वायु प्रदूषण का असर हमारी सेहत और जीवन की गुणवत्ता दोनों पर गंभीर रूप से पड़ रहा है। खासकर उन लोगों के लिए जो पहले से किसी बीमारी से जूझ रहे हैं, प्रदूषित हवा खतरनाक साबित हो सकती है। ऐसे में लोगों को अपनी दैनिक गतिविधियों में सावधानी बरतनी चाहिए, और प्रदूषण से बचने के उपायों को अपनाना जरूरी है। एन-95 मास्क का उपयोग, घर के अंदर व्यायाम, और गैर-जरूरी वाहनों का कम इस्तेमाल करके हम प्रदूषण के खतरों से बच सकते हैं।

Share This Article
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *