राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) को द्वारका क्षेत्र में भूजल प्रदूषण के मामले में एक व्यापक रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है। यह निर्देश उस समय दिया गया जब एनजीटी द्वारका में भूजल प्रदूषण के मुद्दे की सुनवाई कर रहा था।
प्रदूषण का कारण
पिछले वर्ष, दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण में पाया गया था कि द्वारका के 354 आवासीय सोसायटियों में से 180 सोसायटियां वर्षा जल संचयन प्रणालियों के माध्यम से भूजल को दूषित कर रही थीं। एनजीटी ने इस बात पर जोर दिया कि भूजल प्रदूषण का मुख्य कारण अमोनियाकल नाइट्रोजन और कुल घुलनशील ठोस पदार्थों का उच्च स्तर है।
एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मामले में डीजेबी की निष्क्रियता पर चिंता जताई। न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी और विशेषज्ञ सदस्य डॉ. ए सेंथिल वेल भी इस पीठ का हिस्सा थे। उन्होंने कहा कि भूजल प्रदूषण के इस गंभीर मुद्दे को लगभग तीन साल पहले पहचाना गया था, लेकिन इसके बावजूद उचित कदम नहीं उठाए गए।
सुधारात्मक उपायों की आवश्यकता
15 मई को, डीपीसीसी ने एनजीटी को सूचित किया था कि डीजेबी द्वारा प्रदान किए गए वर्षा जल संचयन गड्ढों का दोषपूर्ण डिज़ाइन भूजल प्रदूषण में योगदान दे रहा है। इस पृष्ठभूमि में, डीजेबी के वकील ने सुधारात्मक और दंडात्मक कार्रवाई की योजना प्रस्तुत करने का अंतिम अवसर मांगा।
एनजीटी ने अब डीजेबी के सीईओ को चार सप्ताह के भीतर एक विस्तृत हलफनामा प्रस्तुत करने का आदेश दिया है, जिसमें प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए उठाए जाने वाले कदमों का विवरण शामिल होगा। द्वारका में भूजल प्रदूषण एक गंभीर पर्यावरणीय समस्या है, जो न केवल जल की गुणवत्ता को प्रभावित करती है, बल्कि स्थानीय निवासियों के स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है। एनजीटी के निर्देशों का उद्देश्य समस्या को जल्दी और प्रभावी ढंग से हल करना है, ताकि द्वारका के निवासियों को स्वच्छ और सुरक्षित जल उपलब्ध हो सके। इस मामले पर उचित ध्यान और प्रभावी कार्यवाही से ही हम भूजल प्रदूषण की समस्या को नियंत्रण में ला सकते हैं और एक स्वस्थ पर्यावरण सुनिश्चित कर सकते हैं।
द्वारका में भूजल प्रदूषण की समस्या एक गंभीर चिंता का विषय बन चुकी है, जिसके लिए एनजीटी ने उचित कदम उठाने की आवश्यकता पर बल दिया है। दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) की निष्क्रियता और दोषपूर्ण वर्षा जल संचयन प्रणालियों के कारण बढ़ता प्रदूषण न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुँचा रहा है, बल्कि स्थानीय निवासियों के स्वास्थ्य को भी खतरे में डाल रहा है। एनजीटी द्वारा डीजेबी को दी गई समय सीमा और रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश इस समस्या के समाधान के लिए एक सकारात्मक कदम हैं।
भूजल प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए त्वरित और प्रभावी कार्रवाई करना अनिवार्य है। इसमें न केवल तकनीकी सुधारों को लागू करना शामिल है, बल्कि जागरूकता बढ़ाना और समुदाय की भागीदारी भी आवश्यक है। यदि समय रहते उचित कदम नहीं उठाए गए, तो यह समस्या और अधिक जटिल हो सकती है। इसलिए, सभी संबंधित अधिकारियों और संस्थानों को इस मुद्दे को गंभीरता से लेना होगा, ताकि द्वारका के निवासियों को सुरक्षित और स्वच्छ जल उपलब्ध कराया जा सके और एक स्वस्थ पर्यावरण का निर्माण हो सके।