धूमकेतु C/2023-A3 का अद्भुत नजारा

saurabh pandey
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उत्तराखंड के पौड़ी जिले में इन दिनों एक अद्भुत खगोलीय घटना चर्चा का विषय बनी हुई है। धूमकेतु C/2023-A3, जिसे त्सुचिनशान-एटलस के नाम से भी जाना जाता है, का आसमान से गुजरना खगोल प्रेमियों के लिए एक विशेष अवसर है। यह धूमकेतु अपनी पहली यात्रा पर है और इसे 2023 में होने वाली सबसे महत्वपूर्ण खगोलीय घटनाओं में से एक माना जा रहा है।

धूमकेतु का उद्भव और विशेषताएँ

धूमकेतु C/2023-A3 की खोज जनवरी 2023 में चीन की पर्पल माउंटेन ऑब्जर्वेटरी और दक्षिण अफ्रीका स्थित एस्टेरॉयड टेरेस्ट्रियल इम्पैक्ट लास्ट अलर्ट सिस्टम (ATLAS) द्वारा की गई थी। यह धूमकेतु सुदूर ऊर्ट क्लाउड से आया है, जो सौर मंडल के बाहरी हिस्से में स्थित एक विशाल बर्फ और गैस का क्षेत्र है।

पेरिहेलियन से गुजरने की यात्रा

धूमकेतु ने 27 सितंबर को अपने पेरिहेलियन, यानी सूर्य के सबसे नजदीकी बिंदु, से सफलतापूर्वक गुजरा। अब यह 12 अक्टूबर को धरती के सबसे करीब से गुजरेगा, जब इसकी दूरी लगभग 7.1 करोड़ किलोमीटर होगी। इस अवसर पर धूमकेतु अपने सबसे चमकीले रूप में दिखाई देगा। विशेषज्ञों का मानना है कि इस दौरान इसकी चमक दक्षिणी गोलार्ध में शुक्र और बृहस्पति के समान होगी, जिससे इसे नंगी आंखों से देखना संभव होगा।

पौड़ी के आसमान में धूमकेतु की छवि

पौड़ी के आसमान में धूमकेतु की सुंदरता को कैद करने के लिए स्थानीय खगोल प्रेमियों ने तैयारियाँ कर ली हैं। पेशेवर फोटोग्राफर प्रीतम सिंह नेगी ने पहले ही इस अद्भुत दृश्य को अपने कैमरे में कैद कर लिया है। उनके अनुसार, पर्वतीय क्षेत्रों में खगोल फोटोग्राफी का अनुभव करना विशेष रूप से रोमांचक होता है, क्योंकि साफ वातावरण और उच्च ऊंचाई के कारण खगोलीय घटनाएँ स्पष्ट रूप से दिखाई देती हैं।

खगोल भौतिकी के विशेषज्ञों की राय

एचएनबी गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय के खगोल भौतिकी के प्रोफेसर हेमवती नंदन पांडे ने कहा, “धूमकेतु C/2023-A3 एक अनोखी घटना है, जिसे देखने का यह मौका सभी के लिए खास है। इसकी चमक और दूरी इसे एक दुर्लभ और यादगार अनुभव बना देंगे।” उन्होंने आगे कहा कि खगोल फोटोग्राफी का चलन बढ़ रहा है, जिससे युवा पीढ़ी में विज्ञान के प्रति रुचि बढ़ रही है।

धूमकेतु: एक अद्भुत खगोलीय पिंड

धूमकेतु बर्फ, गैस और धूल से बने बड़े पिंड होते हैं, जो सूर्य के चारों ओर अपनी अनोखी कक्षाओं में घूमते हैं। यह पिंड लगभग 4.6 अरब वर्ष पहले सौर मंडल के निर्माण के समय से ही अस्तित्व में हैं। धूमकेतु मुख्य रूप से सौर मंडल के बाहरी किनारों पर पाए जाते हैं और सूर्य की परिक्रमा करने में इन्हें काफी समय लगता है।

धूमकेतु C/2023-A3 की यात्रा खगोल विज्ञान के प्रेमियों के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण है। उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में इसे स्पष्ट रूप से देखा जा सकेगा, और यह धूमकेतु उन सभी के लिए एक अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करेगा, जो खगोल विज्ञान में रुचि रखते हैं। इस अद्वितीय खगोलीय घटना को देखना न केवल एक मनोरंजक अनुभव होगा, बल्कि यह युवा पीढ़ी को विज्ञान के प्रति प्रेरित भी करेगा।

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