पराली जलाने को रोकने के लिए पंजाब और हरियाणा में उड़न दस्ते तैनात

saurabh pandey
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पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की समस्या को नियंत्रित करने के लिए इस बार भी कई कदम उठाए जा रहे हैं। पिछले सालों में बढ़ते पराली जलाने के मामलों ने प्रदूषण की गंभीर समस्या खड़ी कर दी थी। इसी को ध्यान में रखते हुए इस साल केंद्र सरकार ने और कड़े कदम उठाए हैं। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने इस वर्ष पराली जलाने की घटनाओं पर नियंत्रण के लिए पंजाब और हरियाणा के 26 जिलों में उड़न दस्तों की तैनाती की है।

इस अभियान का मुख्य उद्देश्य इन जिलों में पराली जलाने पर नजर रखना और स्थानीय अधिकारियों के साथ मिलकर त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित करना है। पंजाब के 16 और हरियाणा के 10 जिलों में उड़न दस्ते सक्रिय कर दिए गए हैं। ये टीमें न सिर्फ पराली जलाने की घटनाओं की निगरानी करेंगी, बल्कि प्रदूषण नियंत्रण के लिए लागू उपायों पर भी फोकस करेंगी। सभी उड़न दस्तों का कार्यकाल 30 नवंबर तक रहेगा, ताकि पराली जलाने के चरम समय को कवर किया जा सके।

पराली जलाने पर सख्ती:

पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीपीसीबी) ने पहले ही कई जिलों में कार्रवाई शुरू कर दी है। 15 सितंबर से अब तक राज्य में पराली जलाने के 155 मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें से 52 मामलों में किसानों पर 1.50 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। इसके अतिरिक्त, पांच मामलों में एफआईआर भी दर्ज की गई है। हर साल सितंबर से नवंबर तक पराली जलाने की घटनाओं में तेजी आती है, और इसे रोकने के लिए सरकार ने इस बार 8,045 नोडल अधिकारियों की नियुक्ति की है।

हरियाणा में भी कड़ी निगरानी:

हरियाणा के कई जिलों में भी पराली जलाने की समस्या गंभीर रूप ले चुकी है। यहां पर भी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और राज्य सरकार ने संयुक्त रूप से उड़न दस्तों की मदद से नजर रखनी शुरू कर दी है। ये दस्ते हर रोज़ पराली जलाने की घटनाओं की रिपोर्ट वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (एक्यूएमसी) को सौंप रहे हैं।

पराली प्रबंधन के लिए विशेष कदम:

सरकार ने इस बार पराली के बेहतर प्रबंधन के लिए कुछ नए कदम उठाए हैं। पंजाब और हरियाणा के कई जिलों में पराली प्रबंधन के लिए विशेष सेल बनाए जा रहे हैं, जो किसानों को पराली जलाने के विकल्प प्रदान करेंगे। यह प्रबंधन सेल पराली के वैकल्पिक उपयोग पर जागरूकता फैलाने और संसाधन उपलब्ध कराने में मदद करेंगे।

इस बार सरकार ने पराली जलाने को लेकर गंभीर कदम उठाए हैं, लेकिन इस पर कितनी हद तक काबू पाया जाएगा, यह देखना बाकी है। पराली जलाना केवल एक स्थानीय समस्या नहीं है, बल्कि इसका असर दिल्ली और एनसीआर जैसे बड़े शहरों में भी पड़ता है, जहां सर्दियों में वायु प्रदूषण की समस्या विकराल हो जाती है।

पराली जलाने की समस्या को हल करने के लिए सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयास सराहनीय हैं, लेकिन इसके स्थायी समाधान के लिए किसानों को तकनीकी और वित्तीय मदद के साथ जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है।

पराली जलाने की समस्या को रोकने के लिए सरकार ने इस साल कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, जैसे उड़न दस्तों की तैनाती, जुर्माने और एफआईआर की सख्ती, और पराली प्रबंधन के लिए विशेष सेल का गठन। हालांकि, इस गंभीर समस्या का स्थायी समाधान केवल कानून और जुर्मानों से नहीं हो सकता। किसानों को पराली प्रबंधन के वैकल्पिक उपायों के प्रति जागरूक करना और उन्हें वित्तीय व तकनीकी सहायता प्रदान करना अनिवार्य है। जब तक सभी संबंधित पक्ष—सरकार, किसान और स्थानीय प्रशासन—समन्वय से काम नहीं करेंगे, तब तक प्रदूषण पर पूर्ण नियंत्रण पाना मुश्किल होगा।

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