दिल्ली सरकार ने शीतकालीन कार्य योजना के तहत वायु प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए 7 अक्टूबर से 7 नवंबर तक धूल विरोधी अभियान शुरू करने की घोषणा की है। इस अभियान का उद्देश्य राजधानी में बढ़ते धूल प्रदूषण को नियंत्रित करना है, खासकर निर्माण स्थलों से होने वाले प्रदूषण पर कड़ी निगरानी रखने के लिए सख्त दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।
अभियान का उद्देश्य और रणनीति
पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि दिल्ली में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए यह अभियान बेहद महत्वपूर्ण है, खासकर ठंड के महीनों में जब प्रदूषण का स्तर सामान्य से ज्यादा हो जाता है। धूल और निर्माण से उत्पन्न प्रदूषण पर काबू पाने के लिए 13 सरकारी विभागों की 523 टीमें तैनात की गई हैं। इन टीमों को विभिन्न निर्माण स्थलों पर जाकर पर्यावरण नियमों का पालन सुनिश्चित करने का काम सौंपा गया है।
इस योजना के तहत, 500 वर्ग मीटर से बड़े सभी निर्माण स्थलों को सीएंडडी पोर्टल पर पंजीकरण कराना अनिवार्य कर दिया गया है। जो भी निर्माण एजेंसियां या प्रोजेक्ट्स इन नियमों का उल्लंघन करेंगे, उन पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। नियमों का पालन न करने वालों पर भारी जुर्माना भी लगाया जाएगा।
निर्माण स्थलों पर धूल नियंत्रण के उपाय
दिल्ली सरकार ने निर्माण स्थलों से होने वाले धूल प्रदूषण को रोकने के लिए कई दिशा-निर्देश जारी किए हैं:
- बाड़ लगाना: सभी निर्माण स्थलों के चारों ओर ऊंची टिन की दीवार लगाना अनिवार्य होगा, ताकि धूल का फैलाव रोका जा सके।
- तिरपाल से ढकना: निर्माण और विध्वंस के दौरान सभी भवनों और साइटों को तिरपाल या जाल से ढका जाना जरूरी होगा।
- वाहनों की सफाई: निर्माण सामग्री ढोने वाले सभी वाहनों को ढककर ले जाना और उनके टायरों की सफाई अनिवार्य होगी।
- मलबे का सही निपटान: निर्माण मलबे को निर्धारित स्थानों पर ही डाला जा सकेगा। सड़कों के किनारे मलबा रखने पर प्रतिबंध लगाया गया है।
एंटी स्मॉग गन और जुर्माना
दिल्ली सरकार ने धूल प्रदूषण को कम करने के लिए एंटी स्मॉग गन को आवश्यक कर दिया है। यह उपकरण धूल को नियंत्रित करने में कारगर साबित होता है। नियमों के अनुसार, 5,000 वर्ग मीटर से बड़े निर्माण स्थलों पर एंटी स्मॉग गन लगाना अनिवार्य होगा।
- 5,000 से 10,000 वर्ग मीटर के स्थल पर एक एंटी स्मॉग गन।
- 10,000 से 15,000 वर्ग मीटर के स्थल पर दो एंटी स्मॉग गन।
- 15,000 से 20,000 वर्ग मीटर के स्थल पर तीन एंटी स्मॉग गन।
अगर कोई निर्माण स्थल इन नियमों का पालन नहीं करता है, तो उन पर प्रतिदिन 7,500 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। इसी तरह, पोर्टल पर पंजीकरण न कराने पर प्रोजेक्ट के क्षेत्रफल के हिसाब से 1 से 2 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा।
सरकार की प्रतिबद्धता और पुरस्कार योजना
पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने बताया कि पिछले नौ सालों में दिल्ली में वायु प्रदूषण में 34.6% की कमी दर्ज की गई है। सरकार का यह अभियान इसी दिशा में एक और कदम है। साथ ही, पर्यावरण नियमों का पालन करने वाले निर्माण स्थलों को ग्रीन रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा।
इस पुरस्कार के माध्यम से सरकार न केवल नियमों का पालन करने वाले ठेकेदारों और एजेंसियों को प्रोत्साहित करना चाहती है, बल्कि उन्हें उदाहरण के रूप में पेश करना चाहती है, ताकि अन्य निर्माण कंपनियां भी इन पर्यावरणीय मानकों को अपनाएं।
धूल विरोधी अभियान दिल्ली में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है। निर्माण स्थलों से निकलने वाली धूल को नियंत्रित करने के लिए जारी किए गए दिशा-निर्देश और सख्त निगरानी से यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि वायु की गुणवत्ता में सुधार हो। अगर इस अभियान को सही ढंग से लागू किया गया, तो आने वाले शीतकाल में दिल्लीवासियों को प्रदूषण के दुष्प्रभावों से कुछ हद तक राहत मिलेगी।
दिल्ली सरकार का धूल विरोधी अभियान एक महत्वपूर्ण पहल है, जिसका उद्देश्य शीतकाल के दौरान वायु प्रदूषण पर नियंत्रण पाना है। निर्माण स्थलों पर सख्त दिशा-निर्देश और निगरानी टीमें धूल प्रदूषण को कम करने में अहम भूमिका निभाएंगी। एंटी स्मॉग गन, जुर्माने की व्यवस्था और पर्यावरणीय मानकों का पालन करने वाली एजेंसियों को पुरस्कार देने की योजना से यह अभियान और प्रभावी साबित हो सकता है। अगर सभी नियमों का सही तरीके से पालन किया गया, तो दिल्ली की वायु गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार देखने को मिल सकता है, जिससे शहरवासियों को राहत मिलेगी।