अमेरिकी वैज्ञानिकों के एक अध्ययन में यह स्पष्ट हुआ है कि कोरोना वायरस जंगल से इंसानों में सिवेट, चूहों और रैकून कुत्तों के माध्यम से फैला। चार साल बाद इस अध्ययन ने चीन के वुहान से एकत्र किए गए नमूनों की जांच पर आधारित महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की है, जहां सबसे पहले नवंबर 2019 में कोरोना वायरस का पता चला था।
वुहान के बाजार का महत्व
मेडिकल जर्नल सेल में प्रकाशित इस अध्ययन के अनुसार, वुहान में हुआनान सीफूड होलसेल मार्केट वह स्थान था जहां कोरोना वायरस की शुरुआत हुई। 2020 में, यहां की विभिन्न दुकानों से 800 नमूने एकत्र किए गए, जिनकी जीनोम सीक्वेंसिंग और अन्य जांच की गई। वैज्ञानिकों ने पाया कि एक विशेष दुकान के सभी कोरोना पॉजिटिव नमूनों में वन्यजीवों का डीएनए मौजूद था, जिससे यह संकेत मिलता है कि यह वायरस इन जानवरों के माध्यम से इंसानों में पहुंचा।
जानवरों की भूमिका
एरिजोना विश्वविद्यालय के पारिस्थितिकी और विकासवादी जीवविज्ञान विभाग के प्रमुख प्रो. माइकल वोरोबे ने बताया कि सिवेट, जिसे गंडमाराजर या गंडबिलाव के नाम से भी जाना जाता है, उन जानवरों में से एक हो सकता है जिसके माध्यम से कोरोना वायरस बाजार तक पहुंचा। इसके अलावा, बांस का चूहा और रैकून कुत्ता भी इस वायरस के फैलाव में भूमिका निभा सकते हैं। रैकून कुत्ता कैनिड परिवार का सदस्य है, जो कुत्तों और लोमड़ियों के बीच की प्रजाति है।
हालांकि, कई अध्ययनों में चमगादड़ों को भी इसके संभावित स्रोत के रूप में देखा गया है। जब डीएनए का विश्लेषण किया गया, तो इन विशेष प्रजातियों की पहचान की गई, जो यह स्पष्ट करती हैं कि कैसे कोरोना वायरस जंगल से इंसानों में फैला।
यह अध्ययन न केवल वायरस के फैलाव के स्रोत को समझने में मदद करता है, बल्कि भविष्य में ऐसी महामारियों से बचने के लिए भी महत्वपूर्ण सबक प्रदान करता है। वैज्ञानिकों का यह खुलासा हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि कैसे मानव और वन्य जीवों के बीच की बातचीत को नियंत्रित करना आवश्यक है, ताकि भविष्य में महामारी के जोखिम को कम किया जा सके।
यह अध्ययन यह स्पष्ट करता है कि कोरोना वायरस का फैलाव जंगली जानवरों के माध्यम से हुआ, विशेष रूप से सिवेट, चूहों और रैकून कुत्तों के जरिए। वुहान के बाजार से मिले नमूनों के विश्लेषण ने इस महत्वपूर्ण तथ्य को उजागर किया है। इस शोध से हमें न केवल कोरोना वायरस के स्रोत को समझने में मदद मिली है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि मानव और वन्य जीवों के बीच की इंटरैक्शन को नियंत्रित करना आवश्यक है। भविष्य में ऐसी महामारियों से बचने के लिए ठोस नीतियों और सतत प्रबंधन की आवश्यकता है, ताकि हम स्वस्थ और सुरक्षित समाज का निर्माण कर सकें।
Source- amar ujala