विश्व जल निगरानी दिवस: जल संकट और समाधान

saurabh pandey
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भारत, जिसकी जनसंख्या विश्व की कुल आबादी का 18% है, जल संसाधनों के संदर्भ में मात्र 4% हिस्सेदारी रखता है। यह असमानता इसे विश्व के सबसे जल-संकटग्रस्त देशों में से एक बनाती है। हर साल 18 सितंबर को विश्व जल निगरानी दिवस मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य जन सहभागिता को बढ़ावा देकर जल संसाधनों की सुरक्षा के प्रति जागरूकता फैलाना है।

जल निगरानी दिवस की शुरुआत 2003 में हुई थी, जब अमेरिका के ‘क्लीन वाटर फाउंडेशन’ ने यह दिन मनाना शुरू किया। इसका उद्देश्य यह था कि आम लोग अपने स्थानीय जल स्रोतों की स्थिति को समझें और उसका विश्लेषण करें। पहले यह दिन 18 अक्टूबर को मनाया जाता था, जिसे अमेरिकी स्वच्छ जल अधिनियम के सम्मान में चुना गया था, लेकिन बाद में इसे 18 सितंबर कर दिया गया।

पानी का महत्व

मनुष्य का शरीर 60-70% पानी से बना होता है। भोजन के बिना इंसान तीन हफ्ते तक जीवित रह सकता है, लेकिन बिना पानी के तीन से चार दिनों के बाद शरीर काम करना बंद कर सकता है। पानी न केवल हमारे जीवन के लिए आवश्यक है, बल्कि पृथ्वी पर सभी जीवित प्राणियों के लिए भी अनिवार्य है। जल संसाधनों की सुरक्षा और उनकी निगरानी आज के समय में पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो गई है, क्योंकि जल प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन हमारे जल स्रोतों को संकट में डाल रहे हैं।

विश्व जल निगरानी दिवस का उद्देश्य

इस दिन का मुख्य उद्देश्य लोगों को अपने स्थानीय जल निकायों की निगरानी करने के लिए प्रोत्साहित करना है। इसके लिए एक सरल परीक्षण किट का उपयोग किया जाता है, जिससे घुली हुई ऑक्सीजन (डीओ), स्पष्टता, अम्लता (पीएच), और तापमान जैसे पैरामीटर्स को मापा जाता है। यह परीक्षण न केवल जल गुणवत्ता को मापने में मदद करता है, बल्कि परिणामों को साझा करने से अन्य लोगों को भी इसमें भाग लेने के लिए प्रेरित किया जा सकता है।

2024 की थीम: ‘शांति के लिए जल’

इस वर्ष की थीम ‘शांति के लिए जल’ है। जल संकट से न केवल व्यक्तिगत संघर्ष बढ़ सकता है, बल्कि राष्ट्रों के बीच भी तनाव उत्पन्न हो सकता है। रिपोर्ट्स के अनुसार, 2.2 अरब लोगों के पास सुरक्षित पेयजल की पहुंच नहीं है, और करीब 3 अरब लोग ऐसे जल स्रोतों पर निर्भर हैं जो राष्ट्रीय सीमाओं को पार करते हैं। जल संसाधनों पर साझा समझौते के अभाव में देशों के बीच संघर्ष की संभावना बढ़ जाती है।

जल संकट की वर्तमान स्थिति

2022 के आंकड़ों के अनुसार, 2.2 अरब लोगों के पास सुरक्षित रूप से प्रबंधित पेयजल तक पहुंच नहीं थी। कम आय वाले देशों में लगभग 80% नौकरियां पानी पर निर्भर हैं, विशेष रूप से कृषि के क्षेत्र में, जो मुख्य आजीविका है। ताजे पानी का 72% उपयोग खेती के लिए किया जाता है।

भारत में जल संकट एक गंभीर समस्या है। देश के कई हिस्सों में जल संसाधनों की कमी और असमान वितरण ने स्थिति को और बिगाड़ दिया है। नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, बड़ी संख्या में भारतीय अत्यधिक जल संकट का सामना कर रहे हैं। इसके साथ ही, जलवायु परिवर्तन के कारण मॉनसून की अनियमितता से यह संकट और भी गंभीर हो गया है।

भविष्य की चुनौतियाँ और समाधान

संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2040 तक चार में से एक बच्चा अत्यधिक जल-संकट वाले क्षेत्रों में रह रहा होगा। ऐसे में जल निगरानी और संरक्षण एक अत्यावश्यक कार्य बन जाता है। हमारे जल स्रोतों की सुरक्षा और उनकी गुणवत्ता की निगरानी करके ही हम इस संकट का सामना कर सकते हैं।

विश्व जल निगरानी दिवस का उद्देश्य केवल जागरूकता फैलाना नहीं है, बल्कि समाज को इस दिशा में सक्रिय भागीदारी के लिए प्रेरित करना है। जल संसाधनों की सुरक्षा, उनकी निगरानी, और उन्हें संरक्षित करने के लिए हमारी सामूहिक भागीदारी अत्यंत आवश्यक है।

जल हमारे जीवन का आधार है, और इसे संरक्षित करने की जिम्मेदारी हम सभी की है। जल संकट से निपटने के लिए जल संसाधनों की निगरानी और संरक्षण आवश्यक हैं। हमें इस दिशा में छोटे-छोटे कदम उठाकर भविष्य की पीढ़ियों के लिए जल सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी। विश्व जल निगरानी दिवस एक ऐसा मंच है जो हमें यह समझने का अवसर देता है कि जल संकट केवल एक स्थानीय मुद्दा नहीं है, बल्कि यह एक वैश्विक चुनौती है, जिसे हम सभी को मिलकर सुलझाना होगा।

Source- down to earth

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