राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने दिल्ली के कई नालों से गाद निकालने का काम जल्द से जल्द पूरा करने का निर्देश दिया है। एनजीटी ने खासकर बारापुला, कुशक और सुनहरी पुल के नालों से गाद हटाने की प्रक्रिया में तेजी लाने की बात कही। इसके साथ ही, नाले के किनारों पर जमा गाद के फिर से बहने से रोकने के लिए भी प्रभावी कदम उठाने के निर्देश दिए गए हैं।
डीजेबी पर 20,000 रुपये का जुर्माना
एनजीटी ने मामले में देरी से जवाब दाखिल करने पर दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) पर 20,000 रुपये का जुर्माना लगाया है। 13 अगस्त को नालों से गाद हटाने की प्रक्रिया पर सुनवाई करते हुए एनजीटी ने डीजेबी से जवाब मांगा था, लेकिन देरी से जवाब दाखिल करने पर ट्रिब्यूनल ने कड़ी नाराजगी जताई और देरी के लिए जिम्मेदार अधिकारी पर जुर्माना वसूली की बात कही।
सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की धीमी प्रगति
एनजीटी ने दिल्ली में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) की स्थापना में हो रही देरी पर भी चिंता जताई। ट्रिब्यूनल ने पाया कि अब तक 55 में से केवल 40 एसटीपी का निर्माण हुआ है, जबकि डीजेबी को 23 मौजूदा एसटीपी के अलावा 32 नए एसटीपी बनाने का निर्देश दिया गया था। मामले की अगली सुनवाई 7 नवंबर को निर्धारित की गई है।
गाद हटाने में त्वरित कार्रवाई के निर्देश
एनजीटी ने स्पष्ट किया कि नाले से निकाली गई गाद किनारों पर ही रह जाती है और बारिश के समय वह फिर से नाले में बह जाती है, जिससे यमुना नदी में अपशिष्ट का प्रवाह बढ़ जाता है। ट्रिब्यूनल ने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया कि गाद को उचित स्थान पर ले जाने के लिए त्वरित और ठोस कदम उठाए जाएं ताकि यह दोबारा नालों में न जाए।
सीवेज उत्पादन की गलत गणना पर एनजीटी की फटकार
एनजीटी ने सीवेज उत्पादन के आंकड़ों में गलत गणना पर भी नाराजगी जताई। दिल्ली में सीवेज उत्पादन 792 मिलियन गैलन प्रति दिन (एमजीडी) बताया गया था, जबकि वास्तविक क्षमता 667 एमजीडी है। एनजीटी ने इस आधार पर की गई गणनाओं को गलत बताया और जिम्मेदार अधिकारियों को इसके लिए फटकार लगाई।
इस फैसले से उम्मीद की जा रही है कि दिल्ली के नालों की सफाई और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की स्थापना में तेजी आएगी, जिससे यमुना नदी को प्रदूषण से बचाने में मदद मिलेगी।
एनजीटी द्वारा दिए गए निर्देशों से दिल्ली में नालों से गाद हटाने और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की स्थापना में तेजी लाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए जाएंगे। नालों से गाद के दोबारा बहने और यमुना नदी में प्रदूषण के बढ़ने की समस्या को रोकने के लिए संबंधित एजेंसियों को त्वरित और प्रभावी कार्रवाई करनी होगी। डीजेबी पर लगाया गया जुर्माना और एनजीटी की सख्त टिप्पणियां इस बात का संकेत हैं कि दिल्ली के जल और सीवेज प्रबंधन में सुधार के लिए और भी कड़े कदम उठाए जाएंगे।
Source- amar ujala