ओजोन प्रदूषण उष्णकटिबंधीय जंगलों की वृद्धि पर गंभीर प्रभाव डाल रहा है, विशेष रूप से एशिया के उष्णकटिबंधीय वन इस समस्या से अधिक प्रभावित हो रहे हैं। एक नए अध्ययन के मुताबिक, एशिया के उष्णकटिबंधीय जंगलों में वृद्घि की दर में करीब 11 प्रतिशत की कमी आई है, जिससे कार्बन अवशोषण की प्रक्रिया पर भी गहरा असर पड़ रहा है। उष्णकटिबंधीय वन, जो कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करने के प्रमुख स्रोत हैं, जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
ओजोन का प्रभाव: अच्छा या बुरा?
ओजोन प्रदूषण, जिसे अक्सर स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए एक गंभीर समस्या माना जाता है, वायुमंडल के विभिन्न स्तरों पर अलग-अलग प्रभाव डालता है। जहां ऊपरी वायुमंडल में ओजोन सूर्य की हानिकारक किरणों से रक्षा करता है, वहीं धरती के निकट स्तर पर यह पौधों और मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित होता है। जब मानव गतिविधियों से उत्पन्न प्रदूषक सूर्य की किरणों के संपर्क में आते हैं, तो ओजोन का निर्माण होता है, जो वनों की वृद्धि को बाधित कर रहा है।
उष्णकटिबंधीय वन और कार्बन सिंक
उष्णकटिबंधीय वन, जिन्हें ‘कार्बन सिंक’ कहा जाता है, कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करते हैं और इसे वातावरण से हटाते हैं, जो ग्रीनहाउस गैसों के बढ़ते स्तर को कम करने में सहायक होते हैं। अध्ययन में बताया गया है कि जमीनी स्तर पर ओजोन प्रदूषण के कारण उष्णकटिबंधीय जंगलों की नई वृद्घि में 5 प्रतिशत से अधिक की कमी आई है। इसके परिणामस्वरूप, 2000 से प्रति वर्ष 290 मिलियन टन कार्बन अप्रयुक्त रह गया है, जो जलवायु परिवर्तन को रोकने में अवरोधक साबित हो रहा है।
एशिया पर विशेष प्रभाव
अध्ययन में पाया गया है कि ओजोन प्रदूषण के कारण एशिया के उष्णकटिबंधीय जंगलों में वृद्घि दर में 10.9 प्रतिशत की कमी आई है, जबकि मध्य अफ्रीका में यह कमी मात्र 1.5 प्रतिशत रही है। इसका मुख्य कारण शहरीकरण, औद्योगीकरण और जीवाश्म ईंधनों के अत्यधिक उपयोग से होने वाला कार्बन उत्सर्जन है, जो ओजोन के निर्माण में मदद करता है। एशिया में यह समस्या अधिक गंभीर है, और इसके दीर्घकालिक परिणाम पर्यावरण के लिए चिंता का विषय हैं।
भविष्य के लिए चुनौतियां
शोधकर्ताओं के अनुसार, इस सदी में उष्णकटिबंधीय वनों द्वारा कार्बन अवशोषण में 17 प्रतिशत की कमी आई है। ओजोन प्रदूषण के प्रभाव को मापने के लिए विभिन्न उष्णकटिबंधीय वृक्ष प्रजातियों पर प्रयोग किए गए और इन परिणामों को वैश्विक वनस्पति मॉडल में शामिल किया गया। गर्म जलवायु के कारण ओजोन के स्तर में भविष्य में और वृद्धि होने की आशंका है, जिससे वनों की बहाली की कोशिशों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
ओजोन प्रदूषण उष्णकटिबंधीय जंगलों की वृद्धि को गंभीर रूप से प्रभावित कर रहा है, खासकर एशिया में। इससे कार्बन अवशोषण की प्रक्रिया बाधित हो रही है, जो जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने में बाधक साबित हो रही है। वनों की बहाली और पर्यावरण संरक्षण के प्रयासों को सफल बनाने के लिए ओजोन प्रदूषण को नियंत्रित करना अत्यंत आवश्यक है। नीति निर्माताओं, शोधकर्ताओं और पर्यावरणविदों को मिलकर इस चुनौती का समाधान निकालने की आवश्यकता है ताकि उष्णकटिबंधीय वनों की बहाली की जा सके और जलवायु परिवर्तन से निपटने में सहायता मिल सके।
Source- dainik jagran