जल वितरण और भूजल बर्बादी की रोकथाम में तकनीक का योगदान

saurabh pandey
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पानी की बर्बादी और उसकी उचित आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए नई तकनीकें महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। हाल ही में प्रगति मैदान में आयोजित वाटर एक्सपो में पानी की गुणवत्ता, वितरण और इस्तेमाल के लिए प्रदर्शित की गईं तकनीकों ने जल प्रबंधन में नई संभावनाओं को उजागर किया है। यहां पर तीन प्रमुख तकनीकों की जानकारी दी जा रही है, जो पानी के स्रोत से लेकर उसके वितरण और गुणवत्ता की निगरानी में सहायक हैं।

1. पर्यवेक्षी नियंत्रण और डेटा अधिग्रहण प्रणाली

इस प्रणाली के माध्यम से नल से हर घर तक पानी का वितरण सुनिश्चित किया जा सकता है और लीकेज का पता लगाया जा सकता है। सेंसर तकनीक के जरिए पानी के दबाव और प्रवाह को एक ही स्थान से नियंत्रित किया जा सकता है, जिससे पंप की खराबी और पानी की बर्बादी को कम किया जा सकता है। दिल्ली जल बोर्ड के अनुसार, 52 प्रतिशत पानी लीकेज या चोरी के कारण बर्बाद हो जाता है, जिसे इस तकनीक के माध्यम से नियंत्रित किया जा सकता है।

2. नदी जल गुणवत्ता निगरानी प्रणाली

इस प्रणाली में मल्टीपैरामीटर सोंडे का उपयोग किया जाता है, जिसमें छह सेंसर होते हैं जो नदी के पानी की गुणवत्ता की निगरानी करते हैं। यह प्रणाली घुली हुई ऑक्सीजन, फॉस्फेट, क्लोरीन, अमोनियाकल नाइट्रेट, तेल, और ग्रीस जैसे 11 प्रकार के पदार्थों की जानकारी प्रदान करती है, जिससे यह पता लगाया जा सकता है कि किस क्षेत्र में नदी की गुणवत्ता सबसे अधिक प्रभावित हो रही है।

3. जीरो लिक्विड डिस्चार्ज सिस्टम

यह तकनीक भूजल के शुद्धिकरण के दौरान उत्पन्न पानी को पूरी तरह से पुनः उपयोगी बनाने की प्रक्रिया को सुनिश्चित करती है। इससे भूजल निष्कर्षण के दौरान निकाले गए पानी का केवल एक प्रतिशत ही बर्बाद होता है। बॉयलर का उपयोग करके वाष्प को संग्रहित किया जाता है और उसे पानी में परिवर्तित कर वापस भूजल में डाला जाता है, जिससे 99 प्रतिशत पानी का उपयोग सुनिश्चित होता है। इस प्रणाली का उपयोग कूड़े के लीचेट से पानी निकालने और उसे शौचालयों में उपयोग के लायक बनाने के लिए भी किया जाता है।

नई तकनीकों के उपयोग से जल वितरण और भूजल बर्बादी की समस्याओं को सुलझाने में महत्वपूर्ण प्रगति हो रही है। वाटर एक्सपो में प्रदर्शित की गई ये तकनीकें न केवल पानी की बचत सुनिश्चित करती हैं, बल्कि इसके उचित प्रबंधन और गुणवत्ता की निगरानी में भी सहायक हैं। हर बूंद पानी कीमती है, और इन तकनीकों के माध्यम से इसका सर्वोत्तम उपयोग संभव हो रहा है।

वाटर एक्सपो में प्रदर्शित नई तकनीकों से जल प्रबंधन में महत्वपूर्ण सुधार देखने को मिल रहा है। पर्यवेक्षी नियंत्रण प्रणाली, नदी जल गुणवत्ता निगरानी, और जीरो लिक्विड डिस्चार्ज सिस्टम जैसी तकनीकें पानी की बर्बादी को नियंत्रित करने और उसके उचित उपयोग को सुनिश्चित करने में सहायक हैं। इन नवाचारों के माध्यम से, न केवल पानी की बचत संभव हो रही है, बल्कि जल स्रोतों की गुणवत्ता और वितरण को भी बेहतर तरीके से प्रबंधित किया जा सकता है। हर बूंद पानी की बचत और उसके सही उपयोग के लिए यह तकनीकी प्रगति आवश्यक कदम साबित हो रही है।

Source- dainik jagran

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