मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में चीता पुनर्वास के दो साल पूरे होने पर चीता सफारी की शुरुआत की तैयारी को झटका लगा है। हाल ही में चीता पवन की मौत के कारण प्रबंधन ने फिलहाल चीतों को खुले जंगल में छोड़ने का फैसला टाल दिया है। इस परियोजना के तहत चीतों को बाड़ों में ही रखा जाएगा, और खुले जंगल में विचरण का इंतजार बढ़ गया है।
पिछले दो वर्षों में चीता पुनर्वास
17 सितंबर 2022 को नामीबिया से आठ चीते भारत लाए गए थे, और फरवरी 2023 में दक्षिण अफ्रीका से 12 और चीतों को जोड़ा गया। हालाँकि, अब तक आठ वयस्क चीतों की मौत हो चुकी है, जिनमें तीन मादा और पांच नर चीते शामिल थे। इसके बावजूद, 17 शावक पैदा हुए, जिनमें से 12 अभी भी जीवित हैं।
चीता सफारी और भविष्य की योजनाएं
हालांकि चीता सफारी की दिशा में काम जारी है, चीतों की मौत ने इस प्रयास को थोड़ा धीमा कर दिया है। पहली चीता सफारी सेसईपुरा में कुनो नदी के किनारे और दूसरी विजयपुर क्षेत्र में बनाई जानी है। इस संबंध में केंद्रीय वन मंत्री भूपेंद्र यादव ने सेसईपुरा में चीता सफारी का प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए थे, जिसे सेंट्रल जू अथॉरिटी ऑफ इंडिया को भेजा गया है।
आर्थिक सहायता और भविष्य की दिशा
चीता प्रोजेक्ट के लिए, मध्य प्रदेश वन विभाग ने केंद्रीय पर्यावरण एवं वन जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से 19.76 करोड़ रुपए की सहायता मांगी है। इस राशि का उपयोग कूनो राष्ट्रीय उद्यान और गांधी सागर अभयारण्य में चीतों के लिए आवश्यक सुविधाओं को बढ़ाने के लिए किया जाएगा। सरकार ने कूनो के लिए 10 करोड़ और गांधी सागर के लिए 9.76 करोड़ रुपए की सहायता की मांग की है, जहां भविष्य में चीतों को बसाने की योजना है।
चीतों के पुनर्वास और उनकी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए, उन्हें खुले जंगल में छोड़ने का फैसला फिलहाल टाल दिया गया है। चीता सफारी की दिशा में प्रयास जारी हैं, लेकिन चीतों की मौत के कारण इस पर भी संशय बना हुआ है। उम्मीद की जा रही है कि आवश्यक प्रबंधों के बाद यह परियोजना पर्यावरण संरक्षण और पर्यटन के दृष्टिकोण से एक सफल पहल साबित होगी।
कूनो नेशनल पार्क में चीता पुनर्वास परियोजना के तहत चीतों को खुले जंगल में छोड़ने का फैसला हाल की घटनाओं के चलते टाल दिया गया है, जिससे परियोजना को झटका लगा है। हालांकि, चीता सफारी की दिशा में काम जारी है, और इसके माध्यम से पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ पर्यटन को भी बढ़ावा देने की योजना है। चीतों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के बाद ही उन्हें खुले जंगल में छोड़ा जाएगा। परियोजना की सफलता के लिए आवश्यक वित्तीय सहायता और सुविधाओं का विस्तार किया जा रहा है, जिससे भविष्य में यह एक महत्वपूर्ण और सफल प्रयास बन सकता है।
Source- dainik jagran