नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) को प्लास्टिक कचरे के मामले में फटकार लगाई है। यह मामला तब सामने आया जब हिंदुस्तान टाइम्स में प्रकाशित एक रिपोर्ट में बताया गया कि लखनऊ में प्लास्टिक कचरे में पांच गुना वृद्धि हुई है। एनजीटी ने यूपीपीसीबी की ओर से प्रस्तुत की गई रिपोर्ट को अपर्याप्त और तथ्यात्मक रूप से कमजोर पाया।
लापरवाहीपूर्ण रिपोर्ट पर सवाल
10 सितंबर 2024 को हुई सुनवाई में एनजीटी ने यूपीपीसीबी द्वारा दी गई प्रतिक्रिया को लापरवाहीपूर्ण बताया। रिपोर्ट में लखनऊ नगर निगम द्वारा दिए गए आंकड़ों के आधार पर प्लास्टिक कचरे का आकलन किया गया, लेकिन बोर्ड ने इन आंकड़ों की सत्यता की जमीनी स्तर पर जांच नहीं की।
शहर में कचरे की मात्रा पर सवाल
लखनऊ नगर निगम के मुताबिक, शहर में प्रतिदिन 99 टन प्लास्टिक कचरा पैदा होता है, जिसमें से 86 टन का निपटान हो रहा है। हालांकि, रिपोर्ट में यह स्पष्ट नहीं किया गया कि नगर निगम ने इन आंकड़ों का आकलन कैसे किया। एनजीटी ने यूपीपीसीबी से सटीक जानकारी के साथ नई रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया है।
प्लास्टिक कचरे में वृद्धि चिंताजनक
22 अप्रैल, 2024 को हिंदुस्तान टाइम्स में छपी खबर के मुताबिक, लखनऊ में प्लास्टिक कचरे की मात्रा 2015 में 59 टन से बढ़कर 2024 में 300 मीट्रिक टन हो गई है। एनजीटी ने इस खबर का स्वत: संज्ञान लिया और प्लास्टिक कचरे के प्रबंधन पर कड़ी निगरानी के निर्देश दिए।
सतलुज बाढ़ क्षेत्र और यमुनानगर में स्टोन क्रशर पर भी जांच के आदेश
एनजीटी ने सतलुज नदी के बाढ़ क्षेत्र पर अतिक्रमण को हटाने के लिए भी निर्देश दिए हैं। इसके अलावा, हरियाणा के यमुनानगर में वन क्षेत्र के भीतर चल रहे स्टोन क्रशरों की जांच के लिए एक समिति गठित की गई है।
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) की लापरवाहीपूर्ण रिपोर्ट पर गंभीरता से संज्ञान लिया है, जिसमें लखनऊ में प्लास्टिक कचरे की सही मात्रा और निपटान के आंकड़ों का उचित आकलन नहीं किया गया। एनजीटी ने यूपीपीसीबी को सटीक जानकारी के साथ नई रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं, क्योंकि लखनऊ में प्लास्टिक कचरे की मात्रा में पिछले कुछ वर्षों में पांच गुना वृद्धि हुई है। इसके अलावा, एनजीटी ने पर्यावरण से जुड़े अन्य मामलों जैसे सतलुज नदी के बाढ़ क्षेत्र पर अतिक्रमण और यमुनानगर में वन क्षेत्र के भीतर चल रहे स्टोन क्रशरों की जांच के लिए भी कड़े निर्देश जारी किए हैं, जो पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
Source- down to earth