हाल ही के एक अंतरराष्ट्रीय अध्ययन में यह दावा किया गया है कि शहरों में ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में 60% अधिक बारिश हो रही है, जिससे अचानक बाढ़ का खतरा बढ़ गया है। यह अध्ययन शहरी विकास और बारिश के बीच के संबंध को उजागर करता है, जो शहरीकरण के चलते उभर रही नई समस्याओं की ओर इशारा करता है। बढ़ती जनसंख्या, ऊंची इमारतें, और तेजी से बढ़ते तापमान को इसके प्रमुख कारणों के रूप में देखा जा रहा है।
बढ़ती इमारतें और तापमान का असर
शोधकर्ताओं ने पाया कि ऊंची इमारतें हवा के प्रवाह को प्रभावित करती हैं, जिससे जलवाष्प का संघनन बढ़ता है और बारिश की संभावना अधिक हो जाती है। शहरों में इमारतों का घनत्व और तापमान, दोनों ही बारिश को प्रभावित करने वाले कारक हैं। ऊंची इमारतें हवा को रोकती हैं और इससे हवा के ऊपर उठने की प्रक्रिया तेज होती है, जिससे बारिश की संभावना और बढ़ जाती है।
जनसंख्या वृद्धि और ग्रीनहाउस गैसें
शहरों में बढ़ती आबादी भी एक अहम कारक है। अधिक जनसंख्या का मतलब अधिक ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन, जो गर्मी को बढ़ाने का काम करता है। यही गर्मी बारिश की विसंगतियों को जन्म देती है। शहरों में इमारतों का घनत्व और कम हरियाली भी इस प्रक्रिया को तेज करती हैं।
जलवायु परिवर्तन और भविष्य का खतरा
इस अध्ययन से यह भी पता चला है कि जलवायु परिवर्तन के चलते शहरों में भविष्य में और भी अधिक बारिश हो सकती है, जिससे शहरी बाढ़ की घटनाओं में वृद्धि हो सकती है। शहरों की सतहें पानी को अवशोषित नहीं कर पातीं, जिससे अचानक बाढ़ आने की संभावना बढ़ जाती है।
वैज्ञानिक उपायों की जरूरत
शहरी क्षेत्रों में अचानक बाढ़ से निपटने के लिए नीतिगत बदलावों की आवश्यकता है। शहरी योजनाओं में हरित क्षेत्र बढ़ाने, जल निकासी प्रणाली सुधारने और ऊर्जा दक्षता के उपायों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए ताकि इस समस्या का समाधान किया जा सके।
यह अध्ययन शहरी विकास के बढ़ते प्रभावों को समझने और जलवायु संकट से निपटने के लिए एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
शहरों में बढ़ती बारिश और अचानक बाढ़ की समस्या शहरीकरण, बढ़ती जनसंख्या, और जलवायु परिवर्तन से गहराई से जुड़ी है। ऊंची इमारतें और अधिक गर्मी, हवा और जलवाष्प के संघनन को प्रभावित करती हैं, जिससे बारिश की मात्रा और तीव्रता बढ़ती है। इसके साथ ही, जनसंख्या वृद्धि और ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन भी बारिश के असामान्य पैटर्न को बढ़ावा देते हैं। इस अध्ययन के परिणाम भविष्य के शहरी विकास के लिए चेतावनी हैं, जहां जलवायु-परिवर्तन के साथ बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं का खतरा भी बढ़ रहा है। इससे निपटने के लिए शहरी योजनाओं में सुधार और पर्यावरण-संवेदनशील विकास की दिशा में कदम उठाने की आवश्यकता है।
Source- amar ujala