दिल्ली हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी में बढ़ते कूड़े और आवारा जानवरों के मामलों पर गंभीर चिंता जताते हुए दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) की कड़ी आलोचना की है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने एमसीडी की नाकामी पर कठोर टिप्पणी की, कहा कि पूरा शहर कूड़े के ढेर में डूब चुका है। अदालत ने एमसीडी को आदेश दिया कि वह अगले दो सप्ताह में स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत करे और इस समस्या के समाधान के लिए ठोस योजना बनाये।
कोर्ट ने एमसीडी से सवाल किया कि यदि वे कूड़े के निपटान में विफल रहते हैं, तो इस स्थिति को नियंत्रित करने के लिए क्या कदम उठाए जाएंगे। अदालत ने कहा कि कूड़ा न उठाए जाने के कारण शहर में खाद्य सामग्री हर जगह बिखरी हुई है, जिससे सार्वजनिक स्वास्थ्य और सुरक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। यहां तक कि हाईकोर्ट परिसर भी बंदरों के आतंक से मुक्त नहीं है।
अदालत ने विशेष रूप से राम मनोहर लोहिया अस्पताल को निर्देश दिया कि वह पिछले तीन महीनों में बंदरों और कुत्तों के काटने के मामलों के आंकड़े संकलित करे। यह कदम यह समझने के लिए है कि कितने लोग इन जानवरों के हमलों का शिकार हुए हैं और उनकी चिकित्सा स्थिति क्या है।
इसके अलावा, हाईकोर्ट ने एनडीएमसी और एमसीडी को निर्देश दिया है कि वे आवारा कुत्तों और बंदरों की बढ़ती संख्या के बारे में स्पष्ट जानकारी दें और यह बताएं कि वे इस समस्या को नियंत्रित करने के लिए क्या कदम उठा रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि यह एक गंभीर खतरा है, और इसके समाधान के लिए तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है।
एनजीओ न्याय भूमि और द सोसाइटी फॉर पब्लिक कॉज द्वारा दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यह टिप्पणियाँ कीं। इन याचिकाओं में आवारा कुत्तों के बढ़ते हमलों और कूड़े की समस्या को प्रमुख मुद्दों के रूप में उठाया गया था।
कोर्ट ने अधिकारियों से यह भी पूछा कि उनके पास इस मुद्दे के लिए क्या योजना है। सुनवाई की अगली तारीख 30 सितंबर को तय की गई है, जब अदालत इस मामले में आगे की कार्रवाई करेगी।
दिल्ली हाईकोर्ट ने एमसीडी की नाकामी को लेकर कड़ी टिप्पणी की है और आदेश दिया है कि कूड़े और आवारा जानवरों की समस्या का समाधान शीघ्र किया जाए। अदालत ने एमसीडी और एनडीएमसी को स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत करने और प्रभावी योजना बनाने का निर्देश दिया है।
source- dainik jagran