विलुप्त नदियों को पुनर्जीवित करने की दिशा में नया प्रयास: आईआईटी बीएचयू का स्मार्ट प्रयोगशाला मॉडल

saurabh pandey
4 Min Read

वाराणसी: भारत और डेनमार्क के सहयोग से विलुप्त हो चुकी नदियों को पुनर्जीवित करने के लिए एक महत्वाकांक्षी परियोजना शुरू की गई है। आईआईटी बीएचयू के वैज्ञानिक इस दिशा में एक मॉडल विकसित करने में जुटे हैं, जो इन नदियों को नया जीवन देने की उम्मीद जगा रहा है। इस परियोजना के लिए जल शक्ति मंत्रालय और डेनमार्क सरकार ने 21.60 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं, और पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर वरुणा नदी को चुना गया है।

पायलट प्रोजेक्ट और नदी पुनर्जीविती

आईआईटी बीएचयू में स्थापित स्वच्छ नदियों पर स्मार्ट प्रयोगशाला (एसएलसीआर) के तहत वरुणा नदी के पुनर्जीवीकरण के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए जाएंगे। इस परियोजना में नदी के किनारे मौजूद तालाबों की पहचान की जाएगी और उन्हें उनके पुराने स्वरूप में लाया जाएगा, जिससे नदी के जलस्तर को नियंत्रित किया जा सके। साथ ही, नदी में गिरने वाले सीवेज को रोकने के लिए छोटे-छोटे सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाए जाएंगे।

प्रदूषण और विश्लेषण

आईआईटी बीएचयू के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. शिशिर गौड़ के अनुसार, जल प्रबंधन के लिए एक डिसीजन सपोर्ट सिस्टम (डीएसएस) कंप्यूटर प्रोग्राम एप्लीकेशन विकसित किया जाएगा। यह कार्यक्रम हाइड्रोलॉजी मॉडल, परिदृश्य निर्माण, पूर्वानुमान और डेटा विश्लेषण के माध्यम से बेसिन जल की गतिशीलता पर अध्ययन करेगा। प्रदूषण की मात्रा का निर्धारण क्रोमैटोग्राफी और मास स्पेक्ट्रोमेट्री जैसी विश्लेषणात्मक तकनीकों का उपयोग करके किया जाएगा। इसके साथ ही, डेनमार्क के कोपेनहेगन विश्वविद्यालय और अन्य अंतरराष्ट्रीय भागीदारों के नेतृत्व में फिंगरप्रिंट लाइब्रेरी बनाई जाएगी, जिससे जल गुणवत्ता की निगरानी की जाएगी और उपचार प्रस्ताव विकसित किए जाएंगे।

भविष्य की योजना

स्मार्ट प्रयोगशाला के जरिए वरुणा नदी के लिए एक तीन-चरणीय मॉडल तैयार किया जाएगा, जिसमें तीन साल का समय लगेगा। इस मॉडल के सफल प्रयोग के बाद, इसे देश की अन्य विलुप्त नदियों में लागू किया जाएगा। डेनमार्क सरकार भी इस मॉडल को अपनाने की योजना बना रही है, क्योंकि वहां भी नदियों के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है।

स्थानीय परिदृश्य

उत्तर प्रदेश में मंदाकिनी, सई, पांडु, टेढ़ी, वसुई, पीली, मनोरमा, वरुणा, ससुर खदेरी, अरिल, मोरवा, तमसा, नद, कर्णावती, बान, काली पूर्वी, दधि, ईशान, सोन, बूढ़ी गंगा और गोमती सहित 18 से अधिक नदियाँ अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही हैं। इस पहल से इन नदियों की स्थिति में सुधार की आशा है।

आईआईटी बीएचयू का यह प्रयास न केवल वरुणा नदी के पुनर्जीवित करने में सहायक होगा, बल्कि यह अन्य नदियों के पुनर्जीवित करने के लिए एक मॉडल प्रस्तुत करेगा। यह परियोजना जल प्रबंधन के क्षेत्र में एक नई दिशा प्रदान करती है और विलुप्त हो चुकी नदियों को नया जीवन देने की उम्मीद जगाती है।

आईआईटी बीएचयू द्वारा विकसित किया जा रहा मॉडल विलुप्त नदियों को पुनर्जीवित करने के प्रयासों में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है। वरुणा नदी पर पायलट प्रोजेक्ट के माध्यम से, यह परियोजना न केवल नदी की स्थिति में सुधार करेगी, बल्कि देश और डेनमार्क में अन्य विलुप्त नदियों के पुनर्जीवित करने के लिए एक प्रभावशाली उदाहरण प्रस्तुत करेगी।

स्मार्ट प्रयोगशाला द्वारा किए जा रहे विश्लेषण और सीवेज प्रबंधन के प्रयास नदियों के पुनर्निर्माण में एक नई दिशा प्रदान करेंगे। प्रदूषण की पहचान और जल गुणवत्ता की निगरानी के लिए उन्नत तकनीकों का उपयोग इस परियोजना की सफलता की संभावनाओं को बढ़ाता है।

सही समय पर और प्रभावी तरीके से लागू किए गए इन उपायों से जल प्रबंधन और नदियों की पुनर्जीविती में सफलता प्राप्त की जा सकती है। इस दिशा में किए जा रहे प्रयास न केवल पर्यावरण संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि भविष्य में जल संकट के समाधान में भी सहायक हो सकते हैं।

Source- dainik jagran

Share This Article
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *