उत्तर प्रदेश जल प्रबंधन में कर रहा है प्रगति, लेकिन चुनौतियां अभी भी बरकरार

saurabh pandey
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उत्तर प्रदेश, भारत का सबसे अधिक आबादी वाला राज्य, जल और अपशिष्ट जल प्रबंधन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण सुधार कर रहा है। हालाँकि, राज्य के कुछ हिस्सों में अब भी चुनौतियां मौजूद हैं, जो इस दिशा में किए जा रहे प्रयासों को धीमा कर रही हैं।

आज की स्थिति में, शहरी क्षेत्रों में जल सुरक्षा को लेकर विभिन्न स्तरों पर काम हो रहा है। अमृत मिशन और अन्य योजनाओं के तहत, शहरी बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए नए प्रोजेक्ट शुरू किए गए हैं। इसमें जलाशयों का पुनरुद्धार, सेप्टेज प्रबंधन, और झीलों के कायाकल्प के लिए विशेष प्रोजेक्ट शामिल हैं। इसके साथ ही, प्रदूषण कम करने और जल पुनर्चक्रण पर भी ध्यान दिया जा रहा है।

सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य ने शहरी जल प्रबंधन के तहत कई परियोजनाएं शुरू की हैं। विशेष रूप से, 58 सेप्टेज और फीकल स्लज ट्रीटमेंट प्लांट (एफएसएसएम) का निर्माण एक बड़ा कदम है, जिसमें से 40 पहले से ही काम कर रहे हैं। ये संयंत्र शहरी क्षेत्रों में बिना सीवर वाले स्थानों के लिए बेहद महत्वपूर्ण साबित हो रहे हैं, जहां पारंपरिक सीवरेज सिस्टम मौजूद नहीं है।

जल संकट और जलवायु परिवर्तन की दोहरी चुनौती

उत्तर प्रदेश के जल प्रबंधन में सबसे बड़ी चुनौती है जलवायु परिवर्तन का असर, जो राज्य के जल संसाधनों को प्रभावित कर रहा है। सीएसई की महानिदेशक सुनीता नारायण का कहना है कि, “जलवायु परिवर्तन के कारण जल संकट की समस्या गंभीर हो रही है। इस संकट को हल करने के लिए जल पुनर्चक्रण और अपशिष्ट जल प्रबंधन पर ध्यान देना जरूरी है।”

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि पानी के संरक्षण और पुन: उपयोग की क्षमता को बढ़ाना होगा, ताकि राज्य के अधिकांश हिस्सों में जल की कमी से निपटा जा सके। जलवायु परिवर्तन की वजह से मानसून के पैटर्न में परिवर्तन और सूखे जैसी स्थितियों का सामना करना पड़ रहा है, जिससे जल सुरक्षा सुनिश्चित करना और भी अधिक चुनौतीपूर्ण हो गया है।

झीलों और जलाशयों का पुनरुद्धार

उत्तर प्रदेश में झीलों और जलाशयों का पुनरुद्धार भी प्रमुख मुद्दा है। कई झीलें और तालाब पिछले कुछ वर्षों में या तो सूख चुके हैं या प्रदूषण के कारण खराब हो चुके हैं। शहरी क्षेत्रों में झीलों को फिर से जीवंत करने के लिए कई योजनाएं बनाई गई हैं, लेकिन कुछ चुनौतियां अभी भी बरकरार हैं। उदाहरण के लिए, प्रदूषण और अतिक्रमण की समस्या से झीलों का पुनरुद्धार आसान नहीं है।

सीएसई की एक रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि झीलों और तालाबों का पुनरुद्धार करने से शहरी जल संकट को काफी हद तक हल किया जा सकता है। राज्य के अमृत सिटीज़ जैसे लखनऊ, कानपुर, गाजियाबाद और वाराणसी में झील कायाकल्प योजनाओं पर विशेष जोर दिया जा रहा है। हालाँकि, सही तरीके से संचालन और रखरखाव की कमी के कारण कुछ स्थानों पर परियोजनाएं धीमी गति से चल रही हैं।

फीकल स्लज प्रबंधन (एफएसएसएम) में सुधार की जरूरत

सीएसई द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश ने कई फीकल स्लज और सेप्टेज प्रबंधन (एफएसएसएम) संयंत्रों की स्थापना की है, लेकिन कुछ शहरों में अभी भी इसके प्रभावी संचालन में समस्याएं हैं। उदाहरण के लिए, लखनऊ और कुछ अन्य शहरों में एफएसएसएम संयंत्र पूरी तरह कार्यात्मक नहीं हैं। राज्य सरकार और शहरी विकास विभाग इस दिशा में विशेष ध्यान दे रहे हैं, ताकि इन संयंत्रों को जल्दी से चालू किया जा सके।

राज्य ने एफएसएसएम के लिए राज्य स्तरीय मॉनिटरिंग सिस्टम भी लागू किया है, जो शहरों के प्रदर्शन की रैंकिंग प्रदान करता है। इस सिस्टम से यह स्पष्ट हो जाता है कि कौन से शहर जल प्रबंधन के क्षेत्र में प्रगति कर रहे हैं और कौन से अभी भी सुधार की आवश्यकता है।

भविष्य

उत्तर प्रदेश में जल प्रबंधन को लेकर कई सकारात्मक प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन जल संकट और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों को देखते हुए और अधिक काम करने की जरूरत है। जल संरक्षण के साथ-साथ जल पुनर्चक्रण, फीकल स्लज प्रबंधन और झील कायाकल्प पर ध्यान देना होगा।

कार्यशाला के दौरान, सीएसई ने इस बात पर जोर दिया कि राज्य में जल प्रबंधन के तहत बेहतर परिणाम पाने के लिए संयंत्रों के संचालन और रखरखाव में सुधार जरूरी है। इसके साथ ही, शहरी क्षेत्रों में जल सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जागरूकता अभियान और तकनीकी सुधारों को बढ़ावा देना होगा।

निष्कर्ष में कहा जा सकता है कि उत्तर प्रदेश जल और अपशिष्ट जल प्रबंधन के क्षेत्र में काफी प्रगति कर रहा है, लेकिन राज्य के कुछ हिस्सों में चुनौतियां अभी भी बनी हुई हैं। सही दिशा में किए गए प्रयासों से राज्य भविष्य में जल संकट से निपटने और जल सुरक्षा सुनिश्चित करने में सफल हो सकता है।

प्रमुख मुद्दे:

  • जल संकट और जलवायु परिवर्तन की दोहरी चुनौती
  • फीकल स्लज और सेप्टेज प्रबंधन में सुधार की आवश्यकता
  • झील और तालाब पुनरुद्धार योजनाओं में तेजी की मांग
  • शहरी जल प्रबंधन में प्रगति, लेकिन अभी भी कई चुनौतियाँ

उत्तर प्रदेश में जल और अपशिष्ट जल प्रबंधन के क्षेत्र में बहुत काम हुआ है, लेकिन आने वाले समय में और सुधार की आवश्यकता है ताकि राज्य के हर हिस्से में जल सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

उत्तर प्रदेश ने जल और अपशिष्ट जल प्रबंधन के क्षेत्र में सराहनीय प्रगति की है, लेकिन चुनौतियां अभी भी बरकरार हैं। जलवायु परिवर्तन, झीलों और तालाबों का पुनरुद्धार, और फीकल स्लज प्रबंधन जैसी समस्याएं राज्य की जल सुरक्षा के लिए प्रमुख बाधाएँ बनी हुई हैं। राज्य सरकार और स्थानीय एजेंसियों द्वारा किए जा रहे प्रयास सकारात्मक दिशा में हैं, लेकिन इन्हें और मजबूत और सतत रूप से लागू करने की आवश्यकता है। सही निगरानी, बेहतर संचालन और जागरूकता के साथ उत्तर प्रदेश भविष्य में जल संकट से निपटने और शहरी क्षेत्रों को जल-सुरक्षित बनाने में सक्षम हो सकता है।

source- down to earth

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