भारत में खाद्य महंगाई एक गंभीर समस्या बन चुकी है, जो जलवायु परिवर्तन द्वारा और अधिक जटिल हो गई है। हाल ही में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के अगस्त 2024 बुलेटिन में प्रकाशित शोध ने इस मुद्दे पर चिंता व्यक्त की है। इस शोध में बताया गया है कि खाद्य-पदार्थों की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि का मुख्य कारण जलवायु परिवर्तन है, जो खाद्य आपूर्ति और उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है।
जलवायु परिवर्तन और खाद्य महंगाई: एक नई चुनौती
जलवायु परिवर्तन के कारण देशभर में मौसम की अनिश्चितताएं बढ़ गई हैं, जो फसलों के उत्पादन को प्रभावित कर रही हैं। अत्यधिक तापमान, असामान्य बारिश और चरम मौसम की घटनाएं फसलों की वृद्धि को बाधित कर रही हैं। इस शोध के अनुसार, जलवायु परिवर्तन अब खाद्य-पदार्थों की कीमतों को प्रभावित करने वाला प्रमुख कारक बन गया है।
शोधकर्ताओं ने इस बात पर जोर दिया है कि खाद्य महंगाई का पुराना गणित अब काम नहीं कर रहा है। आम तौर पर, खाद्य कीमतें मांग और आपूर्ति के अनुसार निर्धारित होती थीं, लेकिन अब जलवायु परिवर्तन ने इस गणित को जटिल बना दिया है। इसके चलते खाद्य-पदार्थों की कीमतों में असामान्य वृद्धि देखी जा रही है, जो विशेष रूप से गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों के लिए एक बड़ा संकट बन गया है।
सामाजिक और पोषणात्मक प्रभाव
जलवायु परिवर्तन और खाद्य महंगाई का प्रभाव नवजात बच्चों और शिशुओं के विकास पर भी पड़ सकता है। महंगे खाद्य पदार्थों के कारण गरीब परिवार बेहतर पोषण प्राप्त करने में असमर्थ हो सकते हैं, जो उनके स्वास्थ्य और विकास को प्रभावित कर सकता है। इससे दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं, जो समाज के विकास पर नकारात्मक असर डाल सकती हैं।
शोध में यह पाया गया है कि 2016-2020 के दौरान औसत खाद्य मुद्रास्फीति 2.9 फीसदी थी, जो 2020 में बढ़कर 6.3 फीसदी हो गई। इस वृद्धि का एक प्रमुख कारण जलवायु संबंधित घटनाओं की तीव्रता है, जो फसलों की वृद्धि और उपज को प्रभावित कर रही हैं। मानसून के असामान्य फैलाव और तापमान में वृद्धि ने खाद्य-पदार्थों की कीमतों में वृद्धि को जन्म दिया है।
इस अध्ययन से यह स्पष्ट होता है कि जलवायु परिवर्तन ने खाद्य महंगाई को एक ‘लाइलाज बीमारी’ बना दिया है, जिसका पारंपरिक तरीकों से समाधान नहीं हो सकता। इस चुनौती का सामना करने के लिए नवाचार और नई रणनीतियों की आवश्यकता है। सरकार और नीति-निर्माताओं को इस समस्या की गम्भीरता को समझते हुए प्रभावी उपायों की दिशा में कदम उठाने होंगे ताकि खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके और पोषण की स्थिति में सुधार किया जा सके।
इस संदर्भ में, आवश्यक है कि खाद्य सुरक्षा की चुनौतियों का समाधान जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को ध्यान में रखते हुए किया जाए। इससे खाद्य-पदार्थों की कीमतों में स्थिरता लाने में मदद मिलेगी और गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों के लिए पोषण की स्थिति में सुधार होगा।
Source- down to earth